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RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्

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RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्

हिन्दी अनुवाद

पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में मध्यप्रदेश के डिण्डोरी जिले में परधानों के बीच प्रचलित एक लोककथा है। यह कथा पञ्चतन्त्र की शैली में रचित है। इस कथा में यह स्पष्ट किया गया है कि संकट में पड़ने पर चतुराई एवं प्रत्युत्पन्नमतित्व से बाहर निकला जा सकता है। 

पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् – 

1. आसीत् कश्चित् ………………………… बद्धः आसीत्।

कठिन-शब्दार्थ : 

  • व्याधः = शिकारी, बहेलिया। 
  • ग्रहणेन = पकड़कर। 
  • स्वीयां = स्वयं की। 
  • विस्तीर्य = फैलाकर। 
  • व्याघ्रः = सिंह। 
  • बद्धः = बँधा हुआ। 

हिन्दी अनुवाद – कोई चञ्चल नामक शिकारी था। पशु, पक्षी आदि पकड़कर वह अपनी जीविका चलाता था। एक बार वह वन में जाल बिछाकर घर आ गया। दू दिन सुबह जब चञ्चल वन में गया तो उसने देखा कि उसके द्वारा बिछाये गये जाल में दुर्भाग्य से एक सिंह बँधा हुआ था। पठितावबोधनम् 

निर्देशः – उपर्युक्तंगद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत प्रश्ना : 

(क) जाले कः बद्धः आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) व्याधस्य किम् नाम आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) व्याधः कथं स्वीया जीविका निर्वाहयति स्म? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘तदा सः दृष्टवान्’- इत्यत्र ‘सः’ इति सर्वनामस्थाने संज्ञापदं किम् अस्ति? 
उत्तराणि : 
(क) व्याघ्रः। 
(ख) चञ्चलः। 
(ग) व्याधः पक्षिमृगादीनां ग्रहणेन स्वीयां जीविका निर्वाहयति स्म। 
(घ) चञ्चलः। 

2. सोऽचिन्तयत्, …………………….. बहिः निरसारयत्। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • अचिन्तयत् = सोचा। 
  • 3पलायनम् = पलायन करना, भाग जाना। 
  • न्यवेदयत् = निवेदन किया। 
  • मोचयिष्यसि = मुक्त करोगे/छुड़ाओगे।

हिन्दी अनुवाद – उसने (शिकारी ने) सोचा-“सिंह मुझे खा जायेगा, इसलिए मुझे भाग जाना चाहिए।” सिंह ने. निवेदन किया- “हे मानव! तुम्हारा कल्याण हो। यदि तुम मुझे मुक्त करोगे तो मैं तुम्हें नहीं मारूँगा।” तब उस शिकारी ने सिंह को जाल से बाहर निकाल दिया। 

पठितावबोधनम् प्रश्नाः 
(क) कः पलायनं कर्तुम् इच्छति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) व्याधः कम् जालात् बहिः निरसारयत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) व्याधः किम् अचिन्तयत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘तर्हि अहं त्वां न हनिष्यामि’..इत्यत्र अव्ययपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) व्याधः। 
(ख) व्याघ्रम्। 
(ग) व्याधः अचिन्तयत् “व्याघ्रः मां खादिष्यति, अतएव पलायनं करणीयम्।” 
(घ) तर्हि। 

3. व्याघ्रः क्लान्तः  ………………………………. खादितुम् इच्छसि?

कठिन-शब्दार्थ : 

  • क्लान्तः = थका हुआ। 
  • पिपासुः = प्यासा। 
  • आनीय = लाकर। 
  • शमय = शान्त कर, मिटाओ।
  • साम्प्रतम् = इस समय। 
  • बुभुक्षितः = भूखा। 
  • त्वकृते = तुम्हारे लिए। 
  • मिथ्या = झूठ, असत्य। 
  • भणितम् = कहा है। 

हिन्दी अनुवाद – सिंह थका हुआ था। वह बोला-“हे मानव! में प्यासा.हूँ। नदी का जल लाकर मेरी प्यास शान्तं करो।” सिंह जल पीकर पुन: शिकारी से बोला-“मेरी प्यास शान्त हो गई है। इस समय मैं भूखा हूँ। अब मैं तुम्हें खाऊँगा।” चञ्चल ने कहा-“मैंने तुम्हारे प्रति धर्म का आचरण किया है। तुमने झूठ कहा था। तुम मुझको खाना चाहते हो?” 

पठितावबोधनम् प्रश्ना – 

(क) पिपासुः कः आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) व्याघ्रस्य कृते कः धर्मम् आचरितवान? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) व्याघ्रः जलं पीत्वा पुनः व्याधं किम् अवदत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘त्वं मां खादितुम् इच्छसि’-इत्यत्र ‘त्वम्’ इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्? 
उत्तराणि :
(क) व्याघ्रः।
(ख) चञ्चलः (व्याधः)। 
(ग) व्याघ्रः जलं पीत्वा पुनः व्याधमवदत्-“शान्ता मे पिपासा। साम्प्रतं बुभुक्षितोऽस्मि। इदानीम् अहं त्वा खादिष्यामि।” 
(घ) व्याघ्राय। 

4. व्याघ्रः अवदत्, ………………………………………………… स्वार्थं समीहते।’ 

कठिन-शब्दार्थ :

  • क्षुधार्ताय = भूखे के लिए। 
  • अकार्यम् = न करने योग्य।
  • समीहते = चाहते हैं। 
  • प्रक्षालयन्ति = धोते हैं। 
  • विसृज्य = छोड़कर। 
  • निवर्तन्ते = चले जाते हैं।लौटते हैं। 

हिन्दी अनुवाद – सिंह बोला-‘अरे मूर्ख ! भूखे के लिए कुछ भी न करने योग्य नहीं होता है अर्थात् भूखा व्यक्ति कुछ भी कर सकता है। सभी अपना भला (स्वार्थ) ही चाहते हैं।’ 
चञ्चल ने नदी के जल से पूछा, नदी का जल बोला-‘ऐसा ही होता है, लोग मेरे अन्दर स्नान करते हैं, वस्त्रों को धोते हैं और मल-मूत्र आदि छोड़कर चले जाते हैं, वास्तव में सभी स्वार्थ सिद्ध ही करना चाहते हैं।’ 

पठितावबोधनम् प्रश्ना : 

(क) चञ्चलः किम् अपृच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) सर्वः किम् समीहते? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) जनाः नद्यां किं कृत्वा किञ्च विसृज्य निवर्तन्ते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘अपृच्छत्’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किं प्रयुक्तम्?
उत्तराणि : 
(क) नदीजलम्।
(ख) स्वार्थम्।
(ग) जनाः नद्यां स्नानं वस्त्र-प्रक्षालनं च कृत्वा मल-मूत्रादिकञ्च विसृज्य निवर्तन्ते।
(घ) चञ्चलः।

5. चञ्चलः वृक्षम् ……………………………………………… कथांन्यवेदयत्।

कठिन-शब्दार्थ : 

  • उपगम्य = पास जाकर। 
  • विरमन्ति = विश्राम करते हैं। 
  • कुठारः = कुल्हाड़ियों से। 
  • प्रहृत्य = प्रहार करके। 
  • छेदनम् = काटना। 
  • लोमशिका = लोमड़ी। 
  • बदरी-गुल्मानां = बेर की झाड़ियों के। 
  • निलीना = छुपी हुई। 
  • मातृस्वसः = मौसी।
  • निखलाम् = सम्पूर्ण, पूरी। 
  • न्यवेदयत् = निवेदन कर दिया। 

हिन्दी अनुवाद – चञ्चल ने वृक्ष के पास जाकर पूछा। वृक्ष बोला-“मानव हमारी छाया में विश्राम करते हैं। हमारे फलों को खाते हैं और फिर कुल्हाड़ियों से प्रहार करके हमें हमेशा कष्ट देते हैं। जहाँ कहीं भी काटने का कार्य करते हैं। सभी अपना ही भला करना (स्वार्थ) चाहते हैं।” 

पास में ही एक लोमड़ी बेर की झाड़ियों के पीछे छुपी हुई इस बात को सुन रही थी। वह अचानक चञ्चल के समीप जाकर बोली-“क्या बात है? मुझे भी बतलाइए।” वह बोला-“अरे हे मौसी! समय पर तुम आई हो। मेरे द्वारा इस सिंह के प्राणों की रक्षा की गई, परन्तु यह ‘मुझे ही खाना चाहता है।” इसके बाद उसने लोमड़ी को सम्पूर्ण कथा बतला दी। 

पठितावबोधनम् प्रश्नाः 
(क) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) लोमशिकायै निखिलां कथां कः न्यवेदयत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) व्याघ्रस्य प्राणाः केन रक्षिताः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) “परम् एषः मामेव खादितुम् इच्छति’-इत्यत्र ‘एषः’ सर्वनामपदस्थाने संज्ञापदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) लोमशिका। 
(ख) चञ्चलः। 
(ग) व्याघ्रस्य प्राणा: चञ्चलेन व्याधेन रक्षिताः। 
(घ) व्याघ्रः। 

6. लोमशिका चञ्चलम् …………………………….. स्वार्थं समीहते।’ 

कठिन-शब्दार्थ :

  • बाढम् = ठीक है, अच्छा।
  • प्रसारय = फैलाओ। 
  • प्राविशत् = प्रवेश किया। 
  • कूर्दनम् = उछल कूद। 
  • दर्शय = दिखलाओ। 
  • समाचरत् = आचरण करने लगा। 
  • अनारतं = निरन्तर, लगातार। 
  • श्रान्तः = थका हुआ। 
  • अयाचत = माँगने लगा। 
  • भणितम् = कहा गया है। 

हिन्दी अनुवाद – लोमड़ी ने चञ्चल से कहा-ठीक है, तुम जाल फैलाओ। फिर वह सिंह से बोली-किस प्रकार से तम इस जाल में बँध गये थे. ऐसा मैं अपने सामने देखना चाहती हैं। सिंह उस घटना को दिखलाने के लिए उस जाल में प्रवेश कर गया। लोमड़ी फिर से बोली-अब बार-बार कूदकर दिखलाओ। वह उसी प्रकार से आचरण करने लगा। लगातार कूदने से वह (सिंह) थका हुआ हो गया। जाल में बँधा हुआ वह सिंह थकने से बेसहारा होकर वहाँ गिर गया और प्राणों की भिक्षा के समान याचना करने लगा। लोमड़ी सिंह से बोली-“सभी अपना ही भला (स्वार्थ) चाहते है।”

पठितावबोधनम् प्रश्ना: 
(क) जालं प्रसारयितुं का अकथयत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) तद् वृत्तान्तं प्रदर्शयितुं व्याघ्रः कुत्र प्राविशत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) लोमशिका किं प्रत्यक्षं द्रष्टुमिच्छति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत). 
(घ) ‘पुनः सा व्याघ्रम् अकथयत्’-इत्यत्र ‘सा’ इतिसर्वनामपदस्थाने संज्ञापदं किम्?
उत्तराणि : 
(क) लोमशिका।
(ख) जाले। 
(ग) ‘व्याघ्रः केन प्रकारेण जाले बद्धः’ इति लोमशिका प्रत्यक्षं द्रष्टुमिच्छति। 
(घ) लोमशिका।

पाठ्यपुस्तक प्रश्न और उत्तर

1. एकपदेन उत्तरं लिखत –
(एकपद में उत्तर लिखो)

(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्?
उत्तराणि:
चञ्चलः।

(ख) चञ्चलः व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्?
उत्तराणि:
जाले।

(ग) कस्मै किमपि अकार्यं न भवति।
उत्तराणि:
क्षुधा-य।

(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्?
उत्तराणि:
लोमशिका।

(ङ) सर्वः किं समीहते?
उत्तराणि:
स्वार्थम्।

(च) नि:सहायो व्याधः किमयाचत?
उत्तराणि:
प्राणभिक्षाम्।

2. पूर्णवाक्येन उत्तरत
(संस्कृत में उत्तर दो)

(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्?
उत्तराणि:
चञ्चलेन वने जालं प्रासारयत्।

(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्?
उत्तराणि:
व्याघ्रस्य पिपासा जलेन शान्ता अभवत्।

(ग) जलं पीत्वा व्याघ्रः किम् अवदत्?
उत्तराणि:
जलं पीत्वा व्याघ्रः अवदत्-‘साम्प्रतं अहं बुभुक्षितोऽस्मि, इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि।

(घ) चञ्चलः ‘मातृस्वस:!’ इति को सम्बोधितवान्?
उत्तराणि:
चञ्चलः लोमशिकां ‘मातृस्वसः’ इति सम्बोधितवान्।

(ङ) जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः किम् अकरोत्?
उत्तराणि:
जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः प्रसन्नः भूत्वा गृहं प्रत्यावर्तत।

3. अधोलिखितानि वाक्यानि कः/का कं/कां प्रति कथयति –
(निम्नलिखित वाक्यों को किसने किसके प्रति कहा है)

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम् 1
उत्तराणि:
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम् 2

4. रेखांकित पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं –
(रेखांकित पदों के लिए प्रश्न निर्माण कीजिए।)

(क) व्याधः व्याघ्रं जालात् बहिः निरसारयत्।
उत्तराणि:
(क) व्याधः व्याघ्र कस्मात् बहिः निरसारयत्?

(ख) चञ्चलः वृक्षम् उपगम्य अपृच्छत्।
उत्तराणि:
(ख) चञ्चलः कम् उपगम्य अपृच्छत्?

(ग) व्याघ्रः लोमशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्।
उत्तराणि:
(ग) व्याघ्रः कस्यै निखिला कथां न्यवेदयत्?

(घ) मानवाः वृक्षाणां छायायां विरमन्ति।
उत्तराणि:
(घ) मानवाः केषां छायायां विरमन्ति?

(ङ) व्याघ्रः नद्याः जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्।
उत्तराणि:
(ङ) व्याघ्रः कस्याः जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्?

5. मञ्जूषातः पदानि चित्वा कथां पूरयत
(मञ्जूषा से पदों का चयन करके कथा को पूरा करो)

मञ्जूषा –

वृद्धः
साट्टहासम
कृतवान्
क्षुद्रः
अकस्मात्
तर्हि
दृष्ट्वा
स्वकीयैः
मोचयितुम्
कर्तनम्

एकस्मिन् वने एकः ……………. व्याघ्रः आसीत्। सः एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्धः अभवत्। सः बहुप्रयासं …………….. किन्तु जालात् मुक्तः नाभवत्। …………… तत्र एकः मूषकः समागच्छत्। बद्धं व्याघ्रं ……. सः तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्धः। अहं त्वां ……. इच्छामि। तच्छ्रुत्वा व्याघ्रः ……….. अवदत्-अरे ! त्वं ………. जीव: मम साहाय्यं करिष्यसि । यदि त्वं मां मोचयिष्यसि ……….. अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषकः ………….. लघुदन्तैः तज्जालस्य …………. कृत्वा तं व्याघ्रं बहिः कृतवान्।
उत्तराणि:
एकस्मिन् वने एकः वृद्धः व्याघ्रः आसीत्। सः एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्धः अभवत्। सः बहुप्रयासं कृतवान् किन्तु जालात् मुक्तः नाभवत् । अकस्मात् तत्र एकः मूषकः समागच्छत् । बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा सः तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्धः। अहं त्वां मोचयितुम् इच्छामि । तच्छ्रुत्वा व्याघ्रः साट्टहासम अवदत्-अरे ! त्वं क्षुद्रः जीवः मम साहाय्यं करिष्यसि। यदि त्वं मां मोचयिष्यसि तर्हि अहं त्वां न हनिष्यामि। मूषकः स्वकीयैः लघुदन्तैः तज्जालस्य कर्त्तनम् कृत्वा तं व्याघ्रं बहिः कृतवान्।

6. यथानिर्देशमुत्तरत
(निर्देशानुसार उत्तर दीजिए)

(क) सः लोमशिकायै सर्वां कथां न्यवेदयत् – अस्मिन् वाक्ये विशेषणपदं किम्।
(ख) अहं त्वत्कृते धर्मम् आचरितवान् – अत्र अहम् इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्।
(ग) ‘सर्वः स्वार्थं समीहते’, अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम्।
(घ) सा सहसा चञ्चलमुपसृत्य कथयति – वाक्यात् एकम् अव्ययपदं चित्वा लिखत।
(ङ) ‘का वार्ता? माम् अपि विज्ञापय’ – अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम्? क्रियापदस्य पदपरिचयमपि लिखतः।
उत्तराणि:
(क) सर्वाम्
(ख) चञ्चलाय
(ग) सर्वः
(घ) सहसा
(ङ) विज्ञापय – वि + ज्ञा + णिच् + लोट्लकार।

बहुवचनम्
द्विवचनम् मातरौ
मातरः

7. (अ) उदाहरणानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत –
(उदाहरण के अनुसार रिक्तस्थानों की पूर्ति करो)

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम् 3
उत्तराणि:
NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम् 4

(आ) धातुं प्रत्ययं च लिखत –
(धातु व प्रत्यय लिखो)

पदानि = धातुः + प्रत्ययः
यथा- गन्तम = गम् + तुमुन्
द्रष्टुम् = ………. + …………
करणीय = ………. + …………
पातुम् = ………. + …………
खादितुम् = ………. + …………
कृत्वा = ………. + …………
उत्तराणि:
द्रष्टुम् = दृश् + तुमुन्
करणीय = कृ + अनियर्
पातुम् = पा + तुमुन्
खादितुम् = खाद् + तुमुन्
कृत्वा = कृ + क्त्वा

अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा निर्देशानुसारं प्रश्नान् उत्तरत-

(क) तदा सः व्याधः व्याघ्रं जालात् बहिः निरसारयत्। व्याघ्रः क्लान्तः आसीत्। सोऽवदत्, ‘भो मानव! पिपासुः अहम्। नद्याः जलमानीय मम पिपासां शमय।

I. एकपदेन उत्तरत –

(i) क्लान्तः कः आसीत्?
उत्तराणि:
व्याघ्रः।

(ii) व्याघ्र जालाद् बहिः कः निरसारयत्?
उत्तराणि:
व्याधः।

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत

(i) व्याघ्रः किम् अब्रवीत्?
उत्तराणि:
व्याघ्रः अब्रवीत्-भो! मानव! पिपासुः अहम्। नद्याः जलम् आनीय मम पिपासां शमय।

III. निर्देशानुसारम् उत्तरत

(i) ‘जालात्’ इति पदे का विभक्तिः ?
उत्तराणि:
पञ्चमी

(ii) ‘आनीय’ इति पदे को धातुः अस्ति?
उत्तराणि:
नी।

समुचितपदेन रिक्तस्थानानि पूरयत येन कथनानां भावः स्पष्टो भवेत् –

(i) अहं त्वत्कृते धर्मम् आचरितवान्।
भावः -अहं …………. धर्मस्य …………. कृतवान्।
उत्तराणि:
(i) अहं त्वर्थं धर्मस्य आचरणं कृतवान्।

अधोलिखितेषु भावार्थेषु समुचितभावार्थं लिखत –

(क) दौर्भाग्यात् जाले एकः व्याघ्रः बद्धः आसीत्
भावार्थाः
(i) जाले एकः विडालः बद्धः अभवत्।
(ii) दुर्भाग्यवशात् एकः व्याघ्रः जाले बद्धः आसीत् ।
(iii) वने एकः व्याघ्रः वसति स्म।
उत्तराणि:
(ii) दुर्भाग्यवशात् एकः व्याघ्रः जाले बद्धः आसीत्।

अधोलिखितेषु शुद्धकथनं ( ✓ ) चिह्नेन, अशुद्धकथनं (✗) चिह्नन अङ्कयत-

(क) शान्ता मे पिपासा
(i) मम पिपासा शान्ता जाता।
(ii) शान्ता पिपासा मम जाता।
उत्तराणि:
(i) मम पिपासा शान्ता जाता। ( ✓ )
(ii) शान्ता पिपासा मम जाता। (✗)

अधोलिखितवाक्येषु स्थूलपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –

(i) जाले एक: व्याघ्रः बद्धः आसीत्।
(क) किम्
(ख) कः
(ग) का
(घ) कम्
उत्तराणि:
जाले कः बद्धः आसीत्?

(ii) व्याधः व्याघ्र जालात् बहिः निरसारयत्।
(क) कस्मात्
(ख) कया
(ग) कः
(घ) कौ
उत्तराणि:
कः व्याघ्र जालात् बहिः निरसारयत्?

(iii) कश्चित् चञ्चलो नाम व्याधः आसीत् ।
(क) कस्मै
(ख) केन
(ग) कौ
(घ) कः
उत्तराणि:
चञ्चलो नाम कः आसीत्?

घटनाक्रमानुसारम् अधोलिखितानि वाक्यानि पुनः योजयत –

(i) व्याधः जालं प्रासारयत्।
उत्तराणि:
व्याधः लोमशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्।

(ii) व्याधः लोमशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्।
उत्तराणि:
सा अवदत्-बाढम्। अहं पुनः व्याघ्र जाले बद्धं द्रष्टुमिच्छामि।

(iii) जाले पुनः तम् बद्धं दृष्ट्वा सः व्याधः प्रसन्नः सन् गृहम् प्रत्यावर्तत।
उत्तराणि:
व्याधः जालं प्रासारयत्।

(iv) सा अवदत्-बाढम्। अहं पुनः व्याघ्रं जाले बद्धं द्रष्टुमिच्छामि।
उत्तराणि:
व्याघ्रः तम् वृत्तान्तं दर्शयितुम् पुनः जाले प्राविशत्।

(v) लोमशिका व्याघ्रं अवदत्-सत्यं त्वया भणितम्।
उत्तराणि:
लोमशिका अवदत्-पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय इति।

(vi) लोमशिका अवदत्-पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय इति।
उत्तराणि:
नि:सहायः भूत्वा सः प्राणभिक्षामिव अयाचत्।

(vii) निःसहायः भूत्वा सः प्राणभिक्षामिव अयाचत्।
उत्तराणि:
लोमशिका व्याघ्र अवदत्-सत्यं त्वया भणितम्।

(viii) व्याघ्रः तम् वृत्तान्तं दर्शयितुम् पुनः जाले प्राविशत्।
उत्तराणि:
जाले पुनः तं बद्धं दृष्ट्वा सः व्याधः प्रसन्नः सन् गृहम् प्रत्यावर्तत।

अधोलिखिते सन्दर्भे रिक्तस्थानानि मंजूषातः उचितपदैः पूरयत –

चञ्चल: …………. उपगम्य अपृच्छत् । …………. अवदत्-मानवाः अस्माकं …………… विरमन्ति। अस्माकं ……………. खादन्ति। पुनः ……………” प्रहृत्य ……………. सर्वदा …………… ददति।
कष्टम् , अस्मभ्यम् , फलानि, कुठारैः, छायायाम् , वृक्षः, वृक्षम् ।
उत्तराणि:
चञ्चलः वृक्षम् उपगम्य अपृच्छत् । वृक्षः अवदत्-मानवाः अस्माकं छायायां विरमन्ति। अस्माकं फलानि खादन्ति। पुनः कुठारैः प्रहृत्य अस्मभ्यं सर्वदा कष्टं ददति ।

अधोलिखितानां शब्दानां वाक्येषु प्रयोगं कुरुत –

खादति, कुत्र, समीपे।
उत्तराणि:
(i) खादति = भक्षयति।
सिंह: मांसम् खादति।

(ii) कुत्र = कस्मिन् स्थाने।
भवान् कुत्र वसति?

(iii) समीपे = निकटे।
ग्रामस्य समीपे कूपः अस्ति।

अधोलिखितानां शब्दानां समक्षं दत्तैः अर्थैः सह मेलनं कुरुत –

शब्दाः – अर्थाः
(i) स्वीयः – सम्प्रति
(ii) खादति – असत्यम्
(iii) तर्हि – भक्षयति
(iv) शमय – अवश्यम्
(v) मिथ्या – शान्तं कुरु
(vi) इदानीम् – निजः
उत्तराणि:
(i) स्वीयः – निजः
(ii) खादति – भक्षयति
(iii) तर्हि – अवश्यम्
(iv) शमय – शान्तं कुरु
(v) मिथ्या – असत्यम्
(vi) इदानीम् – सम्प्रति

1. निम्नलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नान् उत्तरत –

चञ्चलः वृक्षम् उपगम्य अपृच्छत्। वृक्षः अवदत्, “मानवाः अस्माकं छायायां विरमन्ति। अस्माकं फलानि खादन्ति, पुनः कुठारैः प्रहृत्य अस्मभ्यं सर्वदा कष्टं ददति। यत्र कुत्रापि छेदनं कुर्वन्ति। सर्वः स्वार्थं समीहते।’

(i) एकपदेन उत्तरत –

कः वृक्षम् उपगम्य अपृच्छत्?
(क) लोमशिका
(ख) चञ्चलः
(ग) व्याघ्रः
(घ) वृक्षः
उत्तराणि:
(ख) चञ्चलः

(ii) पूर्णवाक्येन
के वृक्षेषु कुठारैः प्रहारं कुर्वन्ति?
उत्तराणि:
मानवाः वृक्षेषु कुठारैः प्रहारं कुर्वन्ति।

(iii) ‘अस्माकं’ इति सर्वनाम पदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
(क) वृक्षाय
(ख) वृक्षाभ्यः
(ग) वृक्षेभ्यः
(घ) वृक्षस्य
उत्तराणि:
(ग) वृक्षेभ्यः

(iv) ‘विरमन्ति’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किं?
(क) फलानि
(ख) अस्माकं
(ग) छायायां
(घ) मानवाः
उत्तराणि:
(घ) मानवाः

2. ‘चञ्चलः’ इति अभिधानं कस्य आसीत्?
(क) व्याधस्य
(ख) व्याघ्रस्य
(ग) वृक्षस्य
(घ) नद्याः
उत्तराणि:
(क) व्याधस्य

3. ‘अन्येधुः’ इत्यर्थे किं पदं?
(क) अपरः दिनं
(ख) अन्यस्मिन् दिने
(ग) परश्वः
(घ) पूर्वदिने
उत्तराणि:
(ख) अन्यस्मिन् दिने

4. आचरितवान् इति क्रियापदे कः प्रत्ययः?
(क) क्तवतु
(ख) मतुप्
(ग) वतुप्
(घ) शानच्
उत्तराणि:
(क) क्तवतु

5. ‘सम्प्रति पुनः पुनः कूर्दनं कृत्वा दर्शय।’ इति कः कम् कथयति?
(क) लोमशिका चञ्चलं
(ख) व्याधः व्याघ्रम्
(ग) लोमशिका, व्याघ्रम्
(घ) व्याघ्रः व्याधम्
उत्तराणि:
(ग) लोमशिका, व्याघ्रम्

6. ….. बद्धं दृष्ट्वा व्याधः प्रसन्नः अभवत्। रिक्तपूर्तिः कुरुत –
(क) लोमाशिका
(ख) व्याधं
(ग) वृक्षं
(घ) व्याघ्र
उत्तराणि:
(घ) व्याघ्र

7. ……. इति पदं भूतकालार्थे न प्रयुक्त।
(क) निर्वाहयति स्म
(ख) आगतवान्
(ग) शमय
(घ) प्रत्यावर्तत।
उत्तराणि:
(ग) शमय

8. ‘यत्र कुत्र अपि छेदनं कुर्वन्ति।’ अधोलिखितपदेषु किं अव्ययपदं नास्ति?
(क) छेदनं
(ख) अपि
(ग) कुत्र
(घ) यत्र
उत्तराणि:
(क) छेदनं

9. ‘सकला’ इत्यस्य पदस्य समानार्थकं पदं किं?
(क) श्रान्तः
(ख) निखिलां
(ग) सर्वदा
(घ) वार्ताम्
उत्तराणि:
(ख) निखिला

10. रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत

(i) मया अस्य व्याघ्रस्य प्राणाः रक्षिताः।
(क) काः
(ख) के
(ग) कान्
(घ) का
उत्तराणि:
(ख) के

(ii) लोमशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्।
(क) कस्मै
(ख) कस्याः
(ग) कस्य
उत्तराणि:
(घ) कस्यै

(iii) नद्याः जलं आनीय मम पिपासां शमय।
(क) कस्य
(ख) कस्याः
(ग) काः
(घ) के
उत्तराणि:
(ख) कस्याः ।

RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 5 कण्टकेनैव कण्टकम्, Study Learner


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