RBSE Solution for class 7 Sanskrit Chapter 15 लालनगीतम्
RBSE Solution for class 7 Sanskrit Chapter 15 लालनगीतम्
कठिन शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या
पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में बालकों के लिए अत्यन्त सरल संस्कृत-गीत दिया गया है। इसमें बालसुलभ लयबद्ध श्लोकों में प्रकृति की शोभा का सुन्दर चित्रण किया गया है। इन श्लोकों में प्रातः सूर्योदय के समय पृथ्वी की शोभा, पक्षियों का कूजना तथा कमल के खिलने का, मन्दिर में नगाड़ों की ध्वनि का, नदी में हिलती हुई नाव का तथा अन्य पशु-पक्षी, पुष्प, वृक्ष, गाय, सिंह आदि का सुन्दर चित्रण किया गया है।
1. उदिते सूर्य धरणी ………………………………………. कमलं विकसति॥
अन्वयः – सूर्ये उदिते धरणी विहसति, पक्षी कूजति, कमलं (च) विकसति।
हिन्दी भावार्थ – सूर्य के उगने (निकलने) पर धरती (पृथ्वी) हँसती है अर्थात् सभी जगह प्रकाश फैल जाता है, पक्षी कूजने लगते हैं तथा कमल खिलते हैं।
2. नदति मन्दिरे उच्चैढक्का ………………………………….. सेलति नौका।।
अन्वयः – (प्रात:काले) मन्दिरे ढक्का उच्चैः नदति। सरितः सलिले नौका सेलति।
हिन्दी भावार्थ – प्रात:काल मन्दिर में नगाड़ा जोर से बजता है (ध्वनि करता है)। नदी के जल में नाव (नौका) डगमगाती है।
3. पुष्ये पुष्ये नानारङ्गाः ……………………………………. डयन्ते चित्रपतङ्गाः॥
अन्वयः – पुष्ये पुष्पे नानारङ्गाः (सन्ति)। तेषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते।
हिन्दी भावार्थ – प्रात:काल पुष्प-पुष्प अर्थात् प्रत्येक पुष्प में भिन्न-भिन्न रंग हैं तथा उन पर तितलियाँ उड़ती हैं।
4. वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम् …………………………………….. विभाति चित्रम्।।
अन्वयः – वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम् (अस्ति)। विविधैः वण: चित्रं विभाति।
हिन्दी भावार्थ – प्रात:काल प्रत्येक पेड़ पर नए पत्ते हैं। विभिन्न रंगों से चित्र (दृश्य) सुशोभित है।
5. धेनुः प्रातर्यच्छति दुग्धम् ……………………………….. मधुरं स्निग्धम्।।
अन्वयः – प्रातः धेनुः शुद्धं स्वच्छं मधुरं स्निग्धं दुग्धं यच्छति।
हिन्दी भावार्थ – प्रात:काल गाय शुद्ध, स्वच्छ, मीठा और चिकना दूध देती है।
6. गहने विपिने व्याघ्रो………………………………………….सिंह: नर्दति।।
अन्वयः – गहने विपिने व्याघ्रः गर्जति। तत्र सिंहः उच्चै नर्दति।
हिन्दी भावार्थ – घने जंगल में बाघ गरजता है। वहाँ सिंह जोर से दहाड़ता है।
7. हरिणोऽयं खादति ……………………………………………… पश्यति सविलासम्।।
अन्वयः – अयं हरिणः नवघासं खादति, सर्वत्र च सविलासं पश्यति।
हिन्दी भावार्थ – यह हिरण (मृग) नई घास (मुलायम घास) को खा रहा है और चारों ओर विलासपूर्वक (प्रसन्नता से) देख रहा है।
8. उष्ट्र: तुङ्गः मन्दं ………………………………………………. भारं निवहति।।
अन्वयः – तुङ्गः उष्ट्रः मन्दं गच्छति। (स:) पृष्ठे प्रचुरं भारं निवहति।
हिन्दी भावार्थ – ऊँचा ऊँट धीरे-धीरे चलता है। (वह).पीठ पर बहुत अधिक भार ढोता है।
9. घोटकराजः क्षिप्रं …………………………………………………. किमपि न खादति।।
अन्वयः – घोटकराजः क्षिप्रं धावति। (स:) धावनसमये किमपि न खादति।।
हिन्दी भावार्थ – घोड़ा तेजी से दौड़ता है। (वह) दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है।
10. पश्यत भल्लुकमिमं …………………………………………… कुरु करतालम्।।
अन्वयः – इमं करालं भल्लुकं पश्यत। (अयम्) थथथै नृत्यति, करतालं कुरु।
हिन्दी भावार्थ – इस भयानक भालू को देखो। (यह) ‘थ थ थै’ करता हुआ नाचता है। ताली बजाओ।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ :
- उदिते = उगने पर, निकलने पर।
- नदति = आवाज/ध्वनि करता है।
- उच्चैः = ऊँची आवाज में, जोर से।
- ढक्का = नगाड़ा।
- सेलति = डगमगाती है, हिलती-डुलती है।
- डयन्ते = उड़ते हैं।
- चित्रपतङ्गाः = तितलियाँ।
- वर्णः = रंगों से।
- विभाति = सुशोभित होता है।
- स्निग्धम् = मुलायम, चिकना।
- गहने = घने।
- विपिने = जंगल में।
- नर्दति = दहाड़ता है।
- तुङ्गः = ऊँचा।
- निवहति = ढोता है।
- क्षिप्रम् = जल्दी से, तेजी से।
- भल्लकः = भालू।
- करालम् = भयानक।
- करतालम् = ताली।
पाठ्यपुस्तक प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1.
गीतम् सस्वरं गायत।
उत्तर:
स्वयं गायन करें।
प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत
(क) का विहसति ?
(ख) किम् विकसति ?
(ग) व्याघ्रः कुत्र गर्जति ?
(घ) हरिणः किं खादति ?
(ङ) मन्दं कः गच्छति ?
उत्तर:
(क) धरणी
(ख) कमलम्
(ग) गहने विपिने
(घ) नवधासम्
(ङ) तुङ्गः उष्ट्रः।
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) सलिले नौका सेलति।
(ख) पुष्पेषु चित्रपतङ्गा: डयन्ते।
(ग) उष्ट्रः पृष्ठे भार वहति।
(घ) धावनसमये अश्वः किमपि न खादति।
(ङ) उदिते सूर्ये धरणी विहसति।
उत्तर:
(क) सलिले का सेलति ?
(ख) केषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते ?
(ग) कः पृष्ठे भारं वहति ?
(घ) कदा अश्व: किमपि न खादति ?
(ङ) उदिते कस्मिन् धरणी विहसति ?
प्रश्न 4.
उत्तर:
प्रश्न 5.
विलोमपदानि मेलयतमन्दरम्
प्रश्न 6.
उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’ अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
(क) धावनसमये अश्वः खादति।
(ख) उष्ट्रः पृष्ठे भारं न वहति।
(ग) सिंहः नीचैः क्रोशति।
(घ) पुष्पेषु चित्रपतङ्गाः डयन्ते।
(ङ) वने व्याघ्रः गर्जति।
(च) हरिण: नवधासम् न खादति।
उत्तर:
(क) न
(ख) न
(ग) न
(घ) आम्
(ङ) आम्
(च) न।
प्रश्न 7.
अधोलिखितानि पदानि निर्देशानुसार परिवर्तयत –
उत्तर:
प्रश्न 8.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषात: पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत –
उत्तर:
इदम् उद्यानस्य चित्रम् अस्ति।
सूर्य: उदेति।
बाला: कन्दुकेन क्रीडन्ति।
खगाः आकाशे उड्डयन्ति।
सरोवरे कमलानि विकसन्ति।
खगाः कुजन्ति।
पुष्पेषु चित्रपतङ्गाः उड्डयन्ते।
बहुविकल्पी प्रश्न
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत –
प्रश्न 1.
‘धरणी’ पदस्य समानार्थकपदं किम् अस्ति ?
(क) नदी
(ख) पृथ्वी
(ग) लता
(घ) धैर्य
उत्तर:
(ख) पृथ्वी
प्रश्न 2.
‘पुरातनम्’ पदस्य किम् विपरीतार्थकं पदम् ?
(क) नूतनम्
(ख) प्राचीनम्
(ग) सनातनम्
(घ) पुरा।
उत्तर:
(क) नूतनम्
प्रश्न 3.
‘मन्दम्’ पदस्य किम् विपरीतार्थकपदम् ?
(क) दूरम्
(ख) शीघ्रम्
(ग) पुरा
(घ) अधुना।
उत्तर:
(ख) शीघ्रम्
प्रश्न 4.
‘विपिने’ पदस्य समानार्थकपदम् किम् अस्ति ?
(क) वने
(ख) ग्रामे
(ग) वृक्ष
घ) नगरे।
उत्तर:
(क) वने
प्रश्न 5.
उष्ट्रः कथं गच्छति?
(क) शान्तम्
(ख) शीघ्रम्
(ग) मन्दम्
(घ) रुदन्तम्।
उत्तर:
(ग) मन्दम्।
सारांश
- सूर्य निकलने पर धरती हँसती है। पक्षी कूजते हैं। कमल खिलता है।
- मन्दिर में जोर से नगाड़ा बजता है। नदी के पानी में नाव चलती है (हिलती-डुलती है)।
- अनेक रंगों के फूलों पर तितलियाँ उड़ती हैं।
- हर वृक्ष पर नए पत्ते आते हैं। अनेक रंगों से चित्र (की तरह) सुशोभित होते हैं।
- सुबह गाय शुद्ध, साफ, मधुर और चिकना दूध देती है।
- घने जंगल में बाघ गरजता है और वहाँ जोर से शेर दहाड़ता है।
- हरिण नई घास खाता है और सब तरफ सुन्दर ढंग से देखता है।
- ऊँचा ऊँट धीरे चलता है। वह अपनी पीठ पर बहुत अधिक भार ढोता है।
- घोड़ा जल्दी दौड़ता है। दौड़ने के समय वह कुछ नहीं खाता है।
- इस भयंकर भालू को देखो। ताली बजाकर थ-थ-था करके नाचता है।
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