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RBSE Solution for Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

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RBSE Solution for Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

RBSE Solution for Class 7 Sanskrit Chapter 14 अनारिकायाः जिज्ञासा

कठिन शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या

पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में एक अनारिका नामक बालिका के रोचक दृष्टान्त द्वारा बालकों की जिज्ञासा का सुन्दर वर्णन किया गया है। बालकों के मन की जिज्ञासा यथार्थ सत्य को उजागर करती है। अनेक बार बालकों के प्रश्न सुनकर प्रत्येक व्यक्ति की बुद्धि भ्रमित हो जाती है, जैसा कि प्रस्तुत पाठ में अनारिका के द्वारा पूछा गया प्रश्न।

अनारिका अपने पिताजी से मन्त्री के आगमन का कारण पूछती है। उसके पिता ने बताया कि एक नवनिर्मित पुल का उद्घाटन करने के लिए मन्त्रीजी आ रहे हैं। अनारिका इस पर अनेक प्रश्न करती हुई कहती है कि पुल का उद्घाटन उसके निर्माणकर्ता द्वारा होना चाहिए, मन्त्री द्वारा नहीं। अनारिका का पिता उसे अनेक प्रकार से समझाने का प्रयास करते हैं, किन्तु अनारिका की जिज्ञासा शान्त नहीं हो पाती है। उसके बाल मन में नये-नये प्रश्न उत्पन्न होते है।

1. बालिकायाः अनारिकायाः मनसि ……………………………. बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति। 

हिन्दी अनुवाद – बालिका अनारिका के मन में हमेशा महान् जिज्ञासा (बहुत बड़ी जानने की इच्छा) होती है। इसलिए वह बहुत प्रश्नों को पूछती है। उसके प्रश्नों से सभी की बुद्धि चक्र (पहिए) के समान घूमती थी। 

पठितावबोधनम् : 
निर्देश: – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखतप्रश्ना :
(क) का बहून् प्रश्नान् पृच्छति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) अनारिकायाः मनसि सर्वदा महती का भवति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘जिज्ञासा’ इति पदस्य गद्यांशे विशेषणपदं किम् अस्ति?
(ङ).’मनसि सर्वदा महती जिज्ञासा भवति।’ अत्र अव्ययपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) अनारिका (सा)।
(ख) जिज्ञासा। 
(ग) अनारिकायाः प्रश्नैः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति। 
(घ) महती।
(ङ) सर्वदा।

2. प्रातः उत्थाय सा अन्वभवत् …………………………………………………. मन्त्री आगमिष्यति। 

हिन्दी अनुवाद – सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न नहीं है। मन प्रसन्न करने के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर चली गई। भ्रमण के समय उसने देखा कि मार्ग सुसज्जित हैं। वह सोचती है-यह सजावट किसलिए है? उसे याद आया कि आज तो मन्त्री आयेगा। 

पठितावबोधनम्प्रश्ना: 
(क) बालिका मनोविनोदाय कस्मात् बहि: अगच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) मार्गाः कीदृशाः आसन्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) प्रातः उत्थाय बालिका किम् अन्वभव? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘आगमिष्यति’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किम्? ।
(ङ) ‘गृहातू बहिः’ – अत्र रेखाङ्कितपदे का विभक्तिः प्रयुक्ता? 
उत्तराणि : 
(क) गृहात्।
(ख) सुसज्जिताः। 
(ग) प्रातः उत्थाय बालिका अन्वभवत् यत् तस्याः मनः प्रसन्नं नास्ति। 
(घ) मन्त्री।
(ङ) पंचमी।

3. सः अत्र किमर्थम् आगमिष्यति ………………………………………. निर्माणम् अकरोत्?” 

हिन्दी अनुवाद – वह यहाँ किसलिए आयेगा, इस विषय में उसकी जिज्ञासा प्रारम्भ हो गई। घर आकर उसने पिता से पूछा- “हे पिताजी, मन्त्री किसलिए आ रहा है?” पिता बोला-“पुत्री! नदी के ऊपर नया पुल बनाया गया है। उसका उद्घाटन करने के लिए मन्त्री आ रहा है।” अनारिका ने फिर से पूछा-“हे पिताजी ! क्या मन्त्री ने पुल का निर्माण किया है?” 

पठितावबोधनम्प्रश्ना:
(क) गृहम् आगत्य बालिका कम् अपृच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) नवीनः सेतुः कुत्र निर्मित:? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) किमर्थ मन्त्री आगच्छति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘अवदत्’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ङ) ‘नद्याः उपरि’-रेखाङ्कितपदे का विभक्तिः प्रयुक्ताः? 
उत्तराणि : 
(क) पितरम्।
(ख) नद्याः उपरि। 
(ग) नवीनसेतो: उद्घाटनार्थ मन्त्री आगच्छति। 
(घ) पिता।
(ङ) षष्ठी।

4. पिता अकथयत्-“न हि पुत्रि! ……………………………………….. तानि मन्त्री ददाति?” 

हिन्दी अनुवाद – पिता ने कहा-“नहीं पुत्री, पुल का निर्माण कारीगरों ने किया है।” फिर से अनारिका का प्रश्न था-“यदि कारीगरों ने पुल का निर्माण किया है, तो मन्त्री किसलिए आ रहा है?”

पिता बोला – “क्योंकि वह हमारे देश का मन्त्री है।” “पिताजी! पुल का निर्माण करने के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं? क्या उन्हें मन्त्री देता है?” 

पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) सेतो: निर्माणं के अकुर्वन्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) सेतो: निर्माणाय कानि आयान्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) सः कस्य मन्त्री अस्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) ‘अकथयत्’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ङ) ‘पुनः अनारिकायाः प्रश्नः आसीत्।’ अत्र अव्ययपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) कर्मकराः।
(ख) प्रस्तराणि। 
(ग) सः अस्माकं देशस्य मन्त्री अस्ति। 
(घ) पिता।
(ङ) पुनः।

5. विरक्तभावेन पिता उदतरत्- ………………………………………….. किमर्थम् आगच्छति?” 

हिन्दी अनुवाद – विरक्त भाव से पिता ने उत्तर दिया-“अनारिका, पत्थर लोग पर्वतों से लाते हैं।””पिताजी! तो क्या, इसके लिए मन्त्री धन देता है? उसके पास धन कहाँ से आता है?” इन प्रश्नों को सुनकर पिता बोला”अरे! प्रजा सरकार के लिए धन देती है।” आश्चर्यचकित अनारिका ने फिर से पूछा-हे पिताजी ! कारीगर/मजदूर पर्वतों से पत्थर लाते हैं। वे ही पुल का निर्माण करते हैं। प्रजा सरकार के लिए धन देती है। फिर भी पुल का उद्घाटन करने के लिए मन्त्री किसलिए आ रहा है?”

पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) जनाः प्रस्तराणि केभ्यः आनयन्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) प्रजाः कस्मै धनं ददति? (एकपदेन उत्तरत) 
(म) केन भावेन पिता उदतरत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘धनानि’ इति पदस्य गद्यांशे क्रियापदं किम् अस्ति?
(ङ) ‘प्रयच्छन्ति’ इति पदे कः उपसर्ग:?
उत्तराणि : 
(क) पर्वतेभ्यः।
(ख) सर्वकाराय। 
(ग) विरक्तभावेन पिता उदतरत्। 
(घ) आगच्छन्ति।
(ङ) प्र।

6. पिता अवदत-“प्रथममेव अहम् ……………………………………. बहवः प्रश्नाः सन्ति। 

हिन्दी अनुवाद – पिता बोला-“पहले ही मैंने कहा था कि वही देश का मन्त्री है। बहुत प्रश्न करती हो। चलो, तैयार होकर विद्यालय चलो।” इस समय भी अनारिका के मन में बहुत प्रश्न हैं। 

पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) का बहुप्रश्नान् करोति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) सः एव कस्य मन्त्री अस्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) अनारिकायाः मनसि के सन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘अकथयम्’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ङ) ‘बहवः’ इति विशेषणस्य गद्यांशे विशेष्यपदं किं प्रयुक्तम्? 
उत्तराणि : 
(क) अनारिका।
(ख) देशस्य
(ग) अनारिकायाः मनसि बहवः प्रश्नाः सन्ति। 
(घ) अहम्।
(ङ) प्रश्नाः। 

पाठ के कठिन-शब्दार्थ :

  • महती = बड़ी। 
  • जिज्ञासा = जानने की इच्छा। 
  • अन्वभवत् = अनुभव किया। 
  • मनोविनोदाय = मन प्रसन्न करने के लिए। 
  • चिन्तयति = सोचती है। 
  • अस्मरत् = याद किया। 
  • सेतुः = पुल। 
  • उदतरत् (उत् + उतरत्) = उत्तर दिया। 
  • प्रस्तराणि = पत्थर। 
  • सर्वकाराय = सरकार के लिए। 
  • उद्घाटनार्थम् = उद्घाटन के लिए। 
  • निर्मान्ति = निर्माण करते हैं/बनाते हैं। 
  • ददति = देते हैं। 
  • चक्रवत् = पहिए के समान। 
  • आगत्य = आकर। 
  • उपरि = ऊपर। 
  • कर्मकराः = मजदूर। 
  • आयान्ति = आते हैं। 
  • इदानीम् = अब। 

पाठ्यपुस्तक प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत –

मन्त्री – कर्मकरा: – निर्माणम्
जिज्ञासा – भ्रात्रा – पित्रे .
भ्रातृणाम् – उद्घाटनार्थम् – पितृभ्याम्
नेतरि – अपृच्छत् – चिन्तयन्ती
उत्तर:
स्वयं उच्चारण कीजिए।

प्रश्न 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत –

(क) कस्याः महती जिज्ञासा वर्तते ?
(ख) मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?
(ग) सेतोः निर्माण के अकुर्वन् ?
(घ) सेतोः निर्माणाय कर्मकराः प्रस्तराणि कुतः आनयन्ति ?
(ङ) के सर्वकाराय धनं प्रयच्छन्ति ?
उत्तर:
(क) अनारिकायाः
(ख) सेतोः उद्घाटनार्थम्
(ग) कर्मकराः
(घ) पर्वतेभ्यः
(छ) प्रजाः ।

प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत –

(क) अनारिकायाः प्रश्नः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति।
(ख) मन्त्री सेतो: उद्घाटनार्थम् आगच्छति।
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणम् कुर्वन्ति।
(घ) पर्वतेभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतोः निर्माणं भवति।
(ङ) जनाः सर्वकाराय देशस्य विकासार्थं धनं ददति।
उत्तर:
(क) कस्याः प्रश्नः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति?
(ख) मन्त्री किमर्थम् आगच्छति ?
(ग) के सेतो: निर्माणम् कुर्वन्ति ?
(घ) केभ्यः प्रस्तराणि आनीय सेतो: निर्माण भवति?
(ङ) जनाः कस्मै देशस्य विकासार्थं धनं ददति ?

प्रश्न 4.
उदाहरणानुसारं रूपाणि लिखत- .

उत्तर:

प्रश्न 5.
कोष्ठकेभ्यः समुचितपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत –

(क) अहं प्रातः ……….. सह भ्रमणाय गच्छामि। (पित्रा/पितुः)
(ख) बाला आपणात् ………….. फलानि आनयति । (धातु:/भाने)
(ग) कर्मकराः सेतोः निर्माणस्य ………… भवन्ति । (कर्तारम/कर्तारः)
(घ) मम ……………. तु एतेषां प्रश्नानाम् उत्तराणि अददात्। (पिता/पितरः)
(ङ) तव ………. कुत्र जीविकोपार्जनं कुरुतः ? (भ्रातरः/धातरी)
उत्तर:
(क) पित्रा
(ख) भ्रात्रे
(ग) कर्तारः
(घ) पिता
(ङ) भ्रातरौ।

प्रश्न 6.
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत –

उत्तर:
अयम् वर्षाकालः अस्ति।
वर्षायाम् बाला: छत्रम् धारयन्ति ।
ते बसयानम् आरोहन्ति।

प्रश्न 7.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयत –

बहुविकल्पी प्रश्न

निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत –

प्रश्न 1.
कस्याः प्रश्नः सर्वेषां बुद्धिः चक्रवत् भ्रमति ?
(क) अम्बिकायाः
(ख) लतायाः
(ग) मालायाः
(घ) अनारिकायाः।
उत्तर:
(घ) अनारिकायाः।

प्रश्न 2.
मन्त्री कस्य उद्घाटनार्थम् आगच्छति ?
(क) सेतोः
(ख) आपणस्य
(ग) विद्यालयस्य
(घ) मन्दिरस्य।
उत्तर:
(क) सेतोः

प्रश्न 3.
‘अवदत्’ पदे कः लकार: ?
(क) लट्
(ख) लृट्
(ग) लङ्
(घ) लोट्।
उत्तर:
(ग) लङ्

प्रश्न 4.
‘पार्वे’ पदस्य विपरीतार्थकपदम् किम् अस्ति?
(क) नीचैः
(ख) सदा
(ग) दूरे
(घ) बहिः।
उत्तर:
(ग) दूरे

प्रश्न 5.
‘प्रश्नान्’ पदे का विभक्तिः ?
(क) प्रथमा
(ख) द्वितीया
(ग) तृतीया
(घ) चतुर्थी।
उत्तर:
(ख) द्वितीया।

सारांश

1. बालिकाया: ………… भ्रमति । (पृष्ठ 75)

हिन्दी सरलार्थ – बालिका अनारिका के मन में हमेशा बहुत अधिक जिज्ञासा होती है। इसलिए वह बहुत अधिक प्रश्न पूछती है। उसके प्रश्नों से सबकी बुद्धि चक्र की तरह घूम जाती है।

2. प्रातः उत्थाय …………. मन्त्री ददाति? (पृष्ठ 75-76)

हिन्दी सरलार्थ – सुबह उठकर उसने अनुभव किया कि उसका मन प्रसन्न नहीं है। मनोरंजन के लिए वह घूमने के लिए घर से बाहर चली गई और देर तक घूमती रही। घूमते समय उसने देखा कि रास्ते सजे हुए हैं। क्या कारण है’ यह सोचती हुई उसे याद आया कि आज तो मन्त्री जी आएंगे। वे क्यों आएंगे इस विषय में उसकी जिज्ञासा शुरू हुई। उस जिज्ञासा को शांत करने के लिए वह घर लौट आई और पिता से पूछा-पिताजी ! मन्त्री जी क्यों आ रहे हैं। पिता बोले-पुत्रि | नदी के ऊपर जो नया पुल बना है, उसके उदघाटन के लिए मंत्री जी आ रहे हैं। अनारिका ने फिर पूछा-क्या मन्त्री जी ने पल का निर्माण किया है? पिता ने कहा-नहीं मजदूरों ने किया है। फिर अनारिका का प्रश्न था-यदि मजदूरों ने पुल का निर्माण किया है, तब मंत्रीजी क्यों आ रहे हैं। पिता बोलेक्योंकि वे हमारे देश के मंत्री हैं। पिताजी ! पुल के निर्माण के लिए पत्थर कहाँ से आते हैं ? क्या उन्हें मंत्री जी देते हैं।

3.विरक्तभावेन पिता ………………. आगच्छति? (पृष्ठ 76)

हिन्दी सरलार्थ – विरक्त भाव से पिता ने उत्तर दिया-अनारिका ! पत्थर लोग पर्वतों से लाते हैं। “पिताजी ! तो क्या, इसके लिए मंत्री जी धन देते हैं ? उसके पास धन कहाँ से आता है। इन प्रश्नों को सुनकर पिता बोले-अरे ! प्रजा सरकार को धन देती है। हैरान अनारिका ने फिर पूछा-पिताजी ! यदि मजदूर पर्वतों से पत्थर लाकर पुल बनाते हैं, प्रजा सरकार को धन देती है, तो मंत्री जी पुल के उद्घाटन के लिए क्यों आ रहे हैं।

4. बहून् प्रश्नान् …..प्रश्नाः सन्ति । (पृष्ठ 76)

हिन्दी सरलार्थ – अनेक प्रश्नों के उत्तर देते हुए पिता बोले-पहले ही मैंने कहा था कि वे ही देश के मंत्री हैं। बहुत ज्यादा प्रश्न करती हो। चलो, तैयार होकर विद्यालय जाओ। अब भी अनारिका के मन में बहुत प्रश्न हैं।

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