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RBSE Solution for class 7 Sanskrit Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

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RBSE Solution for class 7 Sanskrit Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

RBSE Solution for class 7 Sanskrit Chapter 11 समवायो हि दुर्जयः

कठिन शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद एवं व्याख्या

पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ में एक रोचक कथा के माध्यम से संगठन (समूह) के महत्त्व को बतलाते हुए कहा गया है कि संगठन (एकता) में रहने से छोटे-छोटे जीव भी विशालकाय हाथी को परास्त कर देते हैं। वास्तव में एकता में ही ताकत होती है। 

1. पुरा एकस्मिन् वृक्षे एका ……………………………. किमर्थं विलपसि?” इति। 

हिन्दी अनुवाद – पुराने समय में एक वृक्ष पर एक चिड़िया रहती थी। समयानुसार उसके सन्तान उत्पन्न हुई। एक बार किसी मदमस्त हाथी ने उस वृक्ष के नीचे आकर उसकी शाखा को सूंड से तोड़ दिया। चिड़िया का घोंसला धरती पर गिर पड़ा। उससे उसके अण्डे नष्ट हो गए। इसके बाद वह चिड़िया विलाप करने लगी। उसका विलाप सुनकर काष्ठकूट नामक पक्षी ने दुःखपूर्वक उससे पूछा- “हे भद्रे ! किसलिए विलाप कर रही हो?” पठितावबोधनम्

निर्देश: – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखतप्रश्ना :
(क) वृक्षस्य शाखां गजः केन अत्रोटयत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) कस्याः नीडं भुवि अपतत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) चटकायाः विलापं श्रुत्वा कः दुःखेन ताम् अपृच्छत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘प्रतिवसति स्म’ इति क्रियायाः गद्यांशे कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ङ) ‘पक्षी’ इत्यर्थे गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्? 
उत्तराणि : 
(क) शुण्डेन।
(ख) चटकायाः। 
(ग) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः नाम खगः दुःखेन ताम् अपृच्छत्। 
(घ) चटका।
(ङ) खगः।

2. चटकावदत-“दष्टेनैकेन गजेन …………………………………. सर्वं वृत्तान्तं न्यवेदयताम्। 

हिन्दी अनुवाद – चिड़िया बोली-“एक दुष्ट हाथी ने मेरे बच्चों को नष्ट कर दिया है। उस हाथी की मृत्यु से ही मेरा दु:ख दूर होगा।” इसके बाद काष्ठकूट उस चिड़िया को वीणारवा नामक मक्खी के पास ले गया। उन दोनों की बात सुनकर मक्खी बोली-“मेरा भी मित्र मेंढक मेघनाद है। शीघ्र ही उसके पास जाकर यथोचित करेंगे।” तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सम्पूर्ण वृत्तान्त निवेदन किया। 

पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) मक्षिकाया: किन्नाम आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) मण्डूकस्य नाम किम् आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) चटकायाः सन्तति: केन नाशिता? (पूर्णवाक्येन उत्तर) 
(घ) ‘मक्षिकया सह गत्वा’- अत्र रेखातिपदे का विभक्तिः प्रयुक्ता?
(ङ) ‘समक्षम्’ इत्यर्थे गद्यांशे किं पदम् अस्ति? 
उत्तराणि : 
(क) वीणारवा।
(ख)मेघनादः। 
(ग) चटकाया सन्ततिः दुष्टेनैकेन गजेन नाशिता। 
(घ) तृतीया।
(ङ) पुरः।

3. मेघनादः अवदत्-“यथाहं …………………………………………… गजः अन्धः भविष्यति।” 

हिन्दी अनुवाद – मेघनाद बोला-जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही तुम दोनों करो। मक्खी! पहले तुम दोपहर में उस हाथी के कान में आवाज करना, जिससे वह नेत्र बन्द करके रुक जाएगा। तब काष्ठकूट चोंच से उसकी दोनों आँखों को फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अन्धा हो जायेगा। 

पठितावबोधनम्प्रश्नाः
(क) गजस्य कर्णे शब्दं कः करिष्यति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) क: नयने निमील्य स्थास्यति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) काष्ठकूटः चञ्च्या कस्य नयने स्फोटयिष्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘स्फोटयिष्यति’ इति क्रियायाः कर्तृपदं गद्यांशे किमस्ति?
(ङ) ‘नेत्रे’ इति पदस्य गद्यांशे पर्यायपदं किं प्रयुक्तम्? 
उत्तराणि : 
(क) मक्षिका।
(ख) गजः। 
(ग) काष्ठकूट: चञ्च्या गजस्य नयने स्फोटयिष्यति। 
(घ) काष्ठकूटः।
(ङ) नयने।

4. “तृषार्तः सः जलाशय. ………………………………. समवायो हि दुर्जयः। 

हिन्दी अनुवाद – प्यास से पीड़ित वह तालाब पर जायेगा। रास्ते में बहुत बड़ा गड्ढा है। उसके पास मैं बैठ जाऊँगा और आवाज करूँगा। मेरी आवाज से उस गड्ढे को तालाब मानकर वह उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा। इसके बाद वैसा ही करने पर वह हाथी दोपहर में मेंढक की आवाज का अनुसरण करके उस बहुत बड़े गड्ढे के अन्दर गिर गया और मर गया। और जैसा कि कहा भी गया है-“अनेक निर्बलों के समूह को भी जीतना अत्यन्त कठिन होता है।” 

पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) बहूनामप्यसाराणां कः दुर्जयः? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) महान् गर्तः कुत्र अस्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) गजः केन प्रकारेण मृतः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘तृषार्तः’ इति कर्तृपदस्य गद्यांशे क्रियापदं किम् अस्ति?
(क) ‘महान्’ इति विशेषणस्य गद्यांशे विशेष्यपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) समवायः।
(ग) गजः मण्डूकस्य शब्दम् अनुसृत्य महतः गर्तस्य अन्तः पतितः मृतः च। 
(घ) गमिष्यति।
(ङ) गर्तः।
(ख) मार्गे।

पाठ के कठिन-शब्दार्थ : 

  • पुरा = पहले, पुराने समय में। 
  • शुण्डेन = सूंड से।
  • नीडम् = घोंसले को। 
  • विशीर्णानि = नष्ट हो गए। 
  • तमुपेत्य (तम् + उपेत्य) = उसके पास जाकर। 
  • मध्याह्ने = दोपहर में। 
  • निमील्य = बन्द करके। 
  • स्थास्यति = रुक जाएगा। 
  • स्फोटयिष्यति = फोड़ देगा। 
  • तृषार्तः (तृषा + आर्तः) = प्यास से पीड़ित। 
  • गर्तः = गड्ढा। 
  • तथा कृते = वैसा करने पर। 
  • अनुसृत्य = अनुसरण करके। 
  • पतितः = गिर गया। 
  • मृतः = मर गया। 
  • चोक्ताम् (च + उक्तम्) = और कहा गया है। 
  • दुर्जयः = कठिनता से जीतने योग्य। 
  • बहूनामप्यसाराणाम् (बहुनाम् + अपि + असाराणाम्) = अनेक निर्बलों का।
  • समवायः = समूह, संगठन।

पाठ्यपुस्तक प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत
(क) वृक्षे का प्रतिवसति स्म?
(ग) गज: केन शाखाम् अत्रोटयत्?
(ङ) मक्षिकायाः मित्रं कः आसीत्?
(ख) वृक्षस्य अधः कः आगतः?
(घ) काष्ठकूट: चटकां कस्याः समीपम् अनयत्?
उत्तर:
(क) चटका
(ख) प्रमत्तः गजः
(ग) शुण्डेन
(घ) वीणारवा-नाम्न्याः मक्षिकायाः समीपम्
(ङ) मण्डूकः।

प्रश्न 2.
रेखाङ्कितानि पदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) कालेन चटकायाः सन्ततिः जाता।
(ख) चटकायाः नीडं भुवि अपतत्।
(ग) गजस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्।
(घ) काष्ठकूटः चञ्च्वा गजस्य नयने स्फोटयिष्यति।
उत्तर:
(क) कालेन कस्याः सन्ततिः जाता?
(ख) चटकायाः किम् भुवि अपतत्?
(ग) कस्य वधेनैव मम दुःखम् अपसरेत्?
(घ) काष्ठकूटः केन गजस्य नयने स्फोटयिष्यति?

प्रश्न 3.
मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
करिष्यामि गमिष्यति अनयत् पतिष्यति स्फोटयिष्यति त्रोटयति
(क) काष्ठकूटः चञ्च्वा गजस्य नयने …………………………….।
(ख) मार्गे स्थितः अहमपि शब्द …………………………….।
(ग) तृषार्तः गजः जलाशयं …………………………….।
(घ) गजः गर्ते …………………………….।
(ङ) काष्ठकूटः तां मक्षिकायाः समीपं …………………………….।
(च) गजः शुण्डेन वृक्षशाखाः …………………………….।
उत्तर:
(क) स्फोटयिष्यति
(ख) करिष्यामि
(ग) गमिष्यति
(घ) पतिष्यति
(ङ) अनयत्
(च) त्रोटयति।

प्रश्न 4.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकवाक्येन लिखत
(क) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः तां किम् अपृच्छत्?
(ख) चटकायाः काष्ठकूटस्य च वार्ता श्रुत्वा मक्षिका किम् अवदत्?
(ग) मेघनादः मक्षिकां किम् अवदत्?
(घ) चटका काष्ठकूटं किम् अवदत्?
उत्तर:
(क) चटकायाः विलापं श्रुत्वा काष्ठकूटः ताम् अपृच्छत्-“भद्रे, किमर्थं विलपसि?”
(ख) चटकायाः काष्ठकूटस्य च वार्ता श्रुत्वा मक्षिका अवदत्-“ममापि मित्रं मण्डूकः मेघनादः अस्ति। शीघ्रं तमुपेत्य यथोचितं करिष्यामः।”
(ग) मेघनादः मक्षिकाम् अवदत्-“यथाहं कथयामि तथा कुरुतम्।”
(घ) चटका काष्ठकूटम् अवदत्-“एकेन दुष्टेन गजेन मम सन्ततिः नाशिताः। तस्य गजस्य वधेन एव मम दुःखम् अपसरेत्।”

प्रश्न 5.
उदाहरणमनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत –
 

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं ‘स्म’ शब्दं योजयित्वा भूतकालिकक्रियां रचयत
यथा- अवसत् – वसति स्म।
अपठत् – ………………… (1) …………………।
अत्रोटयत् – ………………… (2) …………………।
अपतत् – ………………… (3) …………………।
अपृच्छत् – ………………… (4) …………………।
अवदत् – ………………… (5) …………………।
अनयत् – ………………… (6) …………………।
उत्तर:
(1) पठति स्म
(2) त्रोटयति स्म
(3) पतति स्म
(4) पृच्छति स्म
(5) वदति स्म
(6) नयति स्म।

प्रश्न 7.
कोष्ठकात् उचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) ……………………………. बालिका मधुरं गायति। (एकम्, एका, एकः)
(ख) ……………………………. कृषकाः कृषिकर्माणि कुर्वन्ति। (चत्वारः, चतस्त्रः, चत्वारि)
(ग) ……………………………. पत्राणि सुन्दराणि सन्ति। (ते, ताः, तानि)
(घ) धेनवः दुग्धं ……………………………. (ददाति, ददति, ददन्ति)
(ङ) वयं संस्कृतम् ……………………………. (अपठम्, अपठन्, अपठाम)
उत्तर:
(क) एका
(ख) चत्वारः
(ग) तानि
(घ) ददति
(ङ) अपठाम।

बहुविकल्पी प्रश्न
प्रश्न- निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् शुद्धम् उत्तरं चित्वा लिखत-

प्रश्न 1.
कस्याः अण्डानि विशीर्णानि?
(क) लतायाः
(ख) चटकायाः
(ग) मक्षिकायाः
(घ) काष्ठकूटस्य।
उत्तर:
(ख) चटकायाः

प्रश्न 2.
मक्षिकायाः नाम किम् आसीत् ?
(क) मेघनादः
(ख) मधुरिमा
(ग) वीणारवा
(घ) सरस्वती।
उत्तर:
(ग) वीणारवा

प्रश्न 3.
कः गजस्य नयने स्फोटयिष्यति?
(क) काकः
(ख) मण्डूकः
(ग) सिंहः
(घ) काष्ठकूटः।
उत्तर:
(घ) काष्ठकूटः

प्रश्न 4.
गजः कस्य अन्तः पतितः मृतः च?
(क) गर्तस्य
(ख) समुद्रस्य
(ग) नद्याः
(घ) वनस्य।
उत्तर:
(क) गर्तस्य

प्रश्न 5.
‘स्थास्यामि’ पदे कः लकारः?
(क) लट्
(ख) लृट्
(ग) लङ्
(घ) लोट्
उत्तर:
(ख) लृट्

प्रश्न 6.
‘अन्तः’ पदस्य विपरीतार्थकपदम् किं भवति?
(क) अधः
(ख) नीचैः
(ग) बहिः
(घ) पुरा।
उत्तर:
(ग) बहिः।

सारांश

1. पुरा एकस्मिन् ………………………………… इति। (पृष्ठ 59)

हिन्दी सरलार्थ-प्राचीन काल में एक वृक्ष पर एक चिड़िया रहती थी। समय के साथ उसके बच्चे पैदा हुए। एक बार किसी . मतवाले हाथी ने उस वृक्ष के नीचे आकर उसकी शाखा को सूंड से तोड़ दिया। चिड़िया का घोंसला भूमि पर गिर पड़ा। उससे अंडे नष्ट हो गए। फिर वह चिड़िया रोने लगी। उसका रोना सुनकर काष्ठकूट नामक पक्षी ने दुःख से उसे पूछा-भद्रे ! क्यों रो रही हो?

2. चटकावदत् ………………………………… न्यवेदयताम्। (पृष्ठ 59)

हिन्दी सरलार्थ-चिड़िया बोली-एक दुष्ट हाथी ने मेरे बच्चे नष्ट कर दिए हैं। उस हाथी को मारकर ही मेरा दु:ख दूर होगा। फिर काष्ठकूट उसे वीणारवा नामक मक्खी के पास ले गया। उन दोनों की बात सुनकर मक्खी बोली-मेरा भी मित्र मेंढ़क मेघनाद है। जल्दी उसके पास जाकर जैसा उचित है, वैसा ही करेंगे। तब उन दोनों ने मक्खी के साथ जाकर मेघनाद के सामने सारी घटना बताई।

3. मेघनादः अवदत् ………………………………… हि दुर्जयः। (पृष्ठ 59-60)

हिन्दी सरलार्थ-मेघनाद बोला-जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही तुम दोनों करो। मक्खी ! पहले तुम दोपहर में उस हाथी के कान में आवाज करना, जिससे वह आँखें बंद करके सो जाएगा। तब काष्ठकूट चोंच से उसकी आँखें फोड़ देगा। इस प्रकार वह हाथी अंधा हो जाएगा। प्यास से व्याकुल वह तालाब पर जाएगा। रास्ते में बहुत बड़ा गड्ढा है। उसके पास मैं खड़ा रहूँगा और आवाज करूँगा। मेरी आवाज से उस गड्ढे को तालाब मानकर वह उसी गड्ढे में गिर जाएगा और मर जाएगा। फिर वैसा करने पर वह हाथी दोपहर में मेंढक की आवाज का अनुसरण करके बहुत बड़े गड्ढे के अंदर गिर गया और मर गया। उसी प्रकार कहा गया है अनेक निर्बलों का समूह भी कठिनता से जीतने योग्य हो जाता है।

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