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RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य

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Last Updated on November 29, 2022 by Rahul

RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य

अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भू-चुम्बकत्व सम्बन्धी निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

  1. एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतन्त्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
  2. दक्षिण भारत में किसी स्थान पर नति कोण का मान लगभग 18° है। ब्रिटेन में आप इससे अधिक नति कोण की अपेक्षा करेंगे या कम की?
  3. यदि आप ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में भू-चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का नक्शा बनाएँ तो ये रेखाएँ पृथ्वी के अन्दर जाएँगी या इससे बाहर आएँगी?
  4. एक चुम्बकीय सुई जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, यदि भू-चुम्बकीय उत्तर या दक्षिण ध्रुव पर रखी हो तो यह किस दिशा में संकेत करेगी?
  5. यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विध्रुव के क्षेत्र जैसा है। जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विध्रुव आघूर्ण 8 x 1022 JT-1 है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
  6. भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि मुख्य N-S चुम्बकीय ध्रुवों के अतिरिक्त, पृथ्वी की सतह पर कई अन्य स्थानीय ध्रुव भी हैं, जो विभिन्न दिशाओं में विन्यस्त हैं। ऐसा होना कैसे सम्भव है?

उत्तर-

  1. पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होने वाली तीन राशियाँ निम्नलिखित
    • नति कोण अथवा नमन कोण δ (Angle of Dip or Angle of Magnetic Inclination)
    • दिकुपात का कोण θ (Angle of Declination)
    • पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का क्षैतिज अवयव BH (Horizontal Component of Earth’s Magnetic Field)
  2. जी हाँ, चूँकि ब्रिटेन, दक्षिण भारत की तुलना में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के अधिक समीप है; अतः यहाँ नति कोण अधिक होगा। वास्तव में ब्रिटेन में नति कोण लगभग 70° है।
  3. ऑस्ट्रेलिया, पृथ्वी के दक्षिण गोलार्द्ध में स्थित है। चूंकि पृथ्वी के दक्षिण ध्रुव से चुम्बकीय-क्षेत्र रेखाएँ बाहर निकलती हैं; अतः ये पृथ्वी से बाहर निकलती प्रतीत होंगी।
  4. चूँकि ध्रुवों पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र ऊर्ध्वाधर होता है; अतः ध्रुवों पर लटकी चुम्बकीय सुई (जो ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है) ऊर्ध्वाधर दिशा की ओर इंगित करेगी।
  5. यदि हम मान लें कि पृथ्वी के केन्द्र पर M चुम्बकीय-आघूर्ण का चुम्बकीय द्विध्रुव रखा है तो पृथ्वी के चुम्बकीय निरक्ष पर स्थित बिन्दुओं की इस द्विध्रुव के केन्द्र से दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के बराबर होगी।
    UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q1
    स्पष्ट है कि पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का यह मान 8 x 1022 JT-1 के अत्यन्त निकट है। इस प्रकार पृथ्वी के चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण के परिमाण की कोटि की जाँच की जा सकती है।
  6. यद्यपि पृथ्वी का सम्पूर्ण चुम्बकीय-क्षेत्र, एकल चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण माना जाता है अपितु स्थानीय स्तर पर चुम्बकित पदार्थों के भण्डार अन्य चुम्बकीय ध्रुवों का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

  1. एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अन्तराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?
  2. पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का स्रोत नहीं मानते। क्यों?
  3. पृथ्वी के क्रोड के बाहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँ भू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है?
  4. अपने 4-5 अरब वर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय-क्षेत्र की दिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के बारे में कैसे जान पाते हैं?
  5. बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 km से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
  6. अन्तरातारकीय अन्तरिक्ष में 10-12 T की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय-क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय-क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं। समझाइए। [टिप्पणी : प्रश्न 5.2 का उद्देश्य मुख्यतः आपकी जिज्ञासा जगाना है। उपरोक्त कई प्रश्नों के उत्तर या तो काम चलाऊ हैं या अज्ञात हैं। जितना सम्भव हो सका, प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर पुस्तक के अन्त में दिए गए हैं। विस्तृत उत्तरों के लिए आपको भू-चुम्बकत्व पर कोई अच्छी पाठ्यपुस्तक देखनी होगी।]

उत्तर-

  1. यद्यपि यह सत्य है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र समय के साथ बदलता है, परन्तु चुम्बकीय-क्षेत्र में प्रेक्षण योग्य परिवर्तन के लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। इसमें सैकड़ों वर्ष का समय भी लग सकता है।
  2. यह सुज्ञात तथ्य है कि पृथ्वी के क्रोड में पिघला हुआ लोहा है परन्तु इसका ताप लोहे के क्यूरी ताप से कहीं अधिक है। इतने उच्च ताप पर यह (लौह चुम्बकीय नहीं हो सकता) कोई चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न नहीं कर सकता।
  1. यह माना जाता है कि पृथ्वी के गर्भ में उपस्थित रेडियोएक्टिव पदार्थों के विघटन से प्राप्त ऊर्जा ही आवेश धाराओं की ऊर्जा का स्रोत है।
  2. प्रारम्भ में पृथ्वी के गर्भ में अनेक पिघली हुई चट्टानें थीं जो समय के साथ धीरे-धीरे ठोस होती चली गईं। इन चट्टानों में मौजूद लौह-चुम्बकीय पदार्थ उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के अनुरूप संरेखित हो गए। इस प्रकार भूतकाल का पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र इन चट्टानों में चुम्बकत्व एवं द्रव्य 185 चुम्बकीय पदार्थों के अनुरूपण में अभिलेखित है। इन चट्टानों का भूचुम्बकीय अध्ययन उस समय के पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का ज्ञान प्रदान करता है।
  3. पृथ्वी के आयनमण्डल में अनेक आवेशित कण विद्यमान रहते हैं जिनकी गति एक अलग चुम्बकीय-क्षेत्र उत्पन्न करती है। यही चुम्बकीय-क्षेत्र, पृथ्वी तल से अधिक दूरी पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र को विकृत कर देता है। आयनों के कारण उत्पन्न चुम्बकीय-क्षेत्र सौर पवन पर निर्भर करता है।
  4. UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q2
    इससे स्पष्ट है कि अत्यन्त क्षीण चुम्बकीय-क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण अति विशाल त्रिज्या का मार्ग अपनाती है जो कि थोड़ी दूरी में लगभग सरल रेखीय प्रतीत होता है; अतः छोटी दूरियों के लिए सूक्ष्म चुम्बकीय-क्षेत्र अप्रभावी प्रतीत होते हैं परन्तु बड़ी दूरियों में ये प्रभावी विक्षेपण उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 3.
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र 0.25 T के साथ 30° का कोण बनाता है, पर 4.5 x 10-2 J का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय-आघूर्ण का परिमाण क्या है?

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q3

प्रश्न 4.
चुम्बकीय-आघूर्ण M = 0.32 JT-1 वाला एक छोटा छड़ चुम्बक, 0.15 T के एकसमान बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र हो तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह
(i) स्थायी सन्तुलन और
(ii) अस्थायी सन्तुलन में होगा? प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
हल-
दिया है, चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण M = 0.32 जूल/टेस्ला
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = 0.15 टेस्ला
(i) चुम्बकीय क्षेत्र में छड़ चुम्बक के स्थायी सन्तुलन के लिए  \vec { M } तथा  \vec { B } एक ही दिशा में होने चाहिए,
अर्थात् θ = 0 इस स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा
U =  \vec { M } . \vec { B }
= – MB cos θ
= – 0.32 x 0.15 x cos 0
= – 0.32 x 0.15 x 1
= – 0.048 जूल

(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में छड़ चुम्बक के अस्थायी सन्तुलन के लिए  \vec { M } तथा  \vec { B } परस्पर विपरीत दिशा में होने चाहिए, अर्थात् θ = 180°
U =  \vec { M } .  \vec { B }
= – MB cos θ
= – MB cos 180
= – 0.32 x 0.15 x (-1)
= +0.048 जूल

प्रश्न 5.
एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं तथा इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 25 x 10-4 m2 है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है। इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय-आघूर्ण कितना है?
हल-
चुम्बकीय आघूर्ण M = NiA
M = 800 x 3.0 ऐम्पियर x 2.5 x 10-4 मी2
= 0.600 ऐम्पियर-मीटर
चूँकि परिनालिका को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में लटकाने पर दण्ड-चुम्बक के समान ही इस पर भी एक बल-युग्म कार्य करता है, अत: यह दण्ड-चुम्बक के समान व्यवहार करती है।

प्रश्न 6.
यदि प्रश्न 5 में बताई गई परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतन्त्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक 0.25 T का एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा से 30° का कोण बना रही हो?
हल-
बल-आघूर्ण τ = MB sin θ
τ = (0.600) x (0.25) (sin 30°)
= (0.6 x 0.25 x 0.5) न्यूटन मीटर
= 7.5 x 10-2 न्यूटन-मीटर

प्रश्न 7.
एक छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 15 JT-1 है, 0.22 T के एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र के अनुदिश रखा है।
(a) एक बाह्य बल आघूर्ण कितना कार्य करेगा यदि यह चुम्बक को चुम्बकीय-क्षेत्र के
(i) लम्बवत
(ii) विपरीत दिशा में संरेखित करने के लिए घुमा दे।
(b) स्थिति
(i) एवं
(ii) में चुम्बक पर कितना बल आघूर्ण होता है।
हल-
दिया है, चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण M = 1.5 जूल/टेस्ला
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = 0.22 टेस्ला
θ1 = 0
(a) (i) चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् लाने के लिए
θ2 = 90°
अतः कृत कार्य W= MB [cos θ1 – cos θ2]
= 1.5 x 0.22 x [cos 0 – cos 90°]
= 1.5 x 0.22 x [1 – 0]
= 0.33 जूल

(i) चुम्बक को चुम्बकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में लाने के लिए
θ2 = 180°
अतः कृत कार्य W = MB [cos θ1 – cos θ2]
= 1.5 x 0.22 x [cos 0 – cos 180°]
= 1.5 x 0.22 x [1 – (-1)]
= 0.66 जूल

(b) (i) जब θ2 = 90° तब चुम्बक पर बल-आघूर्ण
t = MB sinθ
= 1.5 x 0.22 x sin 90
= 1.5 x 0.22 x 1
= 0.33 न्यूटन-मीटर

(ii) जब θ2 = 180° तब चुम्बक पर बल-आघूर्ण
t = MB sinθ
= 1.5 x 0.22 x sin 180°
= 1.5 x 0.22 x 0
= 0

प्रश्न 8.
एक परिनालिका जिसमें पास-पास 2000 फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 1.6 x 10-4 m है और जिसमें 4.0 A की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकाई गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।
(a) परिनालिका के चुम्बकीय-आघूर्ण का मान क्या है?
(b) परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर, इसकी अक्ष से 30° का कोण बनाता हुआ 7.5 x 10-2 T का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय-क्षेत्र लगाया जाए?
हल-
यहाँ N = 2000, A = 1.6 x 10-4 m, i = 4.0 A
(a) परिनालिका का चुम्बकीय आघूर्ण, M = NiA = 2000 x 4.0 x 1.6 x 10-4 = 1.28 ऐम्पियर-मीटर
(b) धारावाही परिनालिका (अथवा चुम्बकीय द्विध्रुव) पर एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में नेट बल सदैव शून्य होगा।
परिनालिका पर बल-आघूर्ण, τ = MB sin θ.
यहाँ B = 7.5 x 10-2 T, θ = 30°
τ = 1.28 x 7.5 x 10-2 x sin 30° = 1.28 x 7.5 x 10-2 x 0.5 = 48 x 10-2 न्यूटन-मीटर

प्रश्न 9.
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 16 फेरे हैं, जिसकी त्रिज्या 10 सेमी है और जिसमें 0.75 A धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल, 5.0 x 10-2 T परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत है। कुंडली, चुम्बकीय-क्षेत्र के लम्बवत और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतन्त्र है। यदि कुंडली को जरा-सा घुमाकर छोड़ दिया जाए तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर 2.0 s-1 की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण क्या है?
हल-
दिया है, कुण्डली की त्रिज्या r = 10 सेमी = 0.1 मीटर
कुण्डली में तार के फेरों की संख्या N = 16
कुण्डली में प्रवाहित धारा I = 0.75 ऐम्पियर
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B = 5.0 x 10-2 टेस्ला
कुण्डली की दोलन आवृत्ति f = 2.0 प्रति सेकण्ड
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q9

प्रश्न 10.
एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊध्र्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है। इसका उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 22° के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इसे स्थान पर चुम्बकीय-क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान 0.35 G है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q10

प्रश्न 11.
दक्षिण अफ्रीका में किसी स्थान पर एक चुम्बकीय सुई भौगोलिक उत्तर से 12° पश्चिम की ओर संकेत करती है। चुम्बकीय याम्योत्तर में संरेखित नति-वृत्त की चुम्बकीय सुई का उत्तरी ध्रुव क्षैतिज से 60° उत्तर की ओर संकेत करता है। पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का क्षैतिज अवयव मापने पर 0.16 G पाया जाता है। इस स्थान पर पृथ्वी के क्षेत्र का परिमाण और दिशा बताइए।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q11

प्रश्न 12.
किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय-आघूर्ण 0.48 JT-1 है। चुम्बक के केन्द्र से 10 cm की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु
(i) चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो,
(ii) चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर स्थित हो।

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q12

प्रश्न 13.
क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। सन्तुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर, इसके केन्द्र से 14 सेमी दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र 0.36 G एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर (14 सेमी) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय-क्षेत्र क्या होगा ?
हल-
दिया है, पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र B = 0.36 गौस = 0.36 x 10-4 टेस्ला
θ = 0
चुम्बक की अक्ष पर उदासीन बिन्दु की दूरी r = 14 सेमी = 0.14 मीटर
यदि अक्षीय बिन्दु पर चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B1 हो, तो
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q13

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q13.1

प्रश्न 14.
यदि प्रश्न 13 में वर्णित चुम्बक को 180° से घुमा दिया जाए तो सन्तुलन बिन्दुओं की नई स्थिति क्या होगी?
हल-
चुम्बक को 180° घुमाने पर चुम्बक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर हो जाएगा, अत: अब उदासीन बिन्दु चुम्बक की विषुवत् रेखा पर प्राप्त होगा।
यदि उदासीन बिन्दु की चुम्बके से दूरी r हो, तो
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q14

प्रश्न 15.
एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय-आघूर्ण 5.25 x 10-2 JT-1 है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा के लम्बवत है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर, परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से 45° का कोण बनाएगा, यदि हम
(a) अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें,
(b) अक्ष पर देखें। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र का परिमाण 0.42 G है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।
हल-
दिया है,
m = 5.25 x 10-2 JT-1, Be = 0.42 G = 0.42 x 10-4 T
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q15

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q15.1

अतिरिक्त अभ्यास

प्रश्न 16.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

  1. ठण्डा करने पर किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का नमूना अधिक चुम्बकन क्यों प्रदर्शित करता हैं? (एक ही चुम्बककारी क्षेत्र के लिए)
  2. अनुचुम्बकत्व के विपरीत, प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का प्रभाव लगभग नहीं होता। क्यों ?
  3. यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय-क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?
  4. क्या किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकशीलता चुम्बकीय-क्षेत्र पर निर्भर करती है? यदि हाँ, तो उच्च चुम्बकीय-क्षेत्रों के लिए इसका मान कम होगा या अधिक?
  5. किसी लौह चुम्बक की सतह के प्रत्येक बिन्द पर चुम्बकीय-क्षेत्र रेखाएँ सदैव लम्बवत होती हैं (यह तथ्य उन स्थिरविद्युत क्षेत्र रेखाओं के सदृश है जो कि चालक की सतह के प्रत्येक बिन्दु पर लम्बवत होती हैं। क्यों?
  6. क्या किसी अनुचुम्बकीय नमूने का अधिकतम सम्भव चुम्बकन, लौह चुम्बक के चुम्बकन के परिमाण की कोटि का होगा?

उत्तर-

  1. ताप के घटने पर पदार्थ के परमाण्वीय चुम्बकों का ऊष्मीय विक्षोभ कम हो जाता है जिसके कारण इन चुम्बकों के बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
  2. प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु ऊष्मीय विक्षोभ के कारण, भले ही किसी भी स्थिति में हों, उनमें बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के कारण, प्रेरित चुम्बकीय आघूर्ण सदैव ही बाह्य क्षेत्र के विपरीत दिशा में प्रेरित होता है। इस प्रकार प्रतिचुम्बकत्व पर ताप का कोई प्रभाव नहीं होता।
  3. चूँकि बिस्मथ एक प्रतिचुम्बकीय पदार्थ है; अतः चुम्बकीय-क्षेत्र अपेक्षाकृत कुछ कम हो जाएगा।
  4. लौह चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकशीलता बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र पर निर्भर करती है तथा तीव्र चुम्बकीय-क्षेत्र के लिए इसका मान कम होता है।
  5. जब दो माध्यम किसी स्थान पर मिलते हैं जिनमें से एक के लिए µ >> 1 हो तो इनके सीमा पृष्ठ पर क्षेत्र रेखाएँ लम्बवत् हो जाती हैं।
  6. हाँ, किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ का अधिकतम सम्भव चुम्बकत्व, लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन के परिमाण की कोटि को हो सकता है। परन्तु किसी अनुचुम्बकीय पदार्थ को इस कोटि तक चुम्बकित करने के लिए अति उच्च चुम्बकीय-क्षेत्र की आवश्यकता होती है जिसे प्राप्त करना व्यवहार में सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

  1. लौह चुम्बकीय पदार्थ के चुम्बकन वक्र की अनुत्क्रमणीयता, डोमेनों के आधार पर गुणात्मक दृष्टिकोण से समझाइए।
  2. नर्म लोहे के एक टुकड़े के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल, कार्बन-स्टील के टुकड़े के शैथिल्य लूप के क्षेत्रफल से कम होता है। यदि पदार्थ को बार-बार चुम्बकन चक्र से गुजारा जाए तो कौन-सा टुकड़ा अधिक ऊष्मा ऊर्जा का क्षय करेगा?
  3. लौह चुम्बक जैसा शैथिल्य लूप प्रदर्शित करने वाली कोई प्रणाली स्मृति संग्रहण की युक्ति है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  4. कैसेट के चुम्बकीय फीतों पर परत चढ़ाने के लिए या आधुनिक कम्प्यूटर में स्मृति संग्रहण के लिए, किस तरह के लौह चुम्बकीय पदार्थों का इस्तेमाल होता है?
  5. किसी स्थान को चुम्बकीय-क्षेत्र से परिरक्षित करना है। कोई विधि सुझाइए।

उत्तर-

  1. जब बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र को शून्य कर दिया जाता है तो भी लौह चुम्बकीय पदार्थ के डोमेन अपनी प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौट पाते अपितु उनमें कुछ चुम्बकन शेष रह जाता है। यही कारण है कि लौह चुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन वक्र अनुत्क्रमणीय होता है।
  2. किसी पदार्थ के शैथिल्य लूप का क्षेत्रफल एक पूर्ण चुम्बकन चक्र में होने वाली ऊर्जा हानि को प्रदर्शित करता है। यह ऊर्जा हानि ही पदार्थ में ऊष्मा के रूप में उत्पन्न होती है। चूंकि कार्बन-स्टील के शैथिल्य लूप को क्षेत्रफल अधिक है; अतः इसमें अधिक ऊष्मा उत्पन्न होगी अर्थात् कार्बन-स्टील का टुकड़ा अधिक ऊष्मा क्षय करेगा।
  3. किसी लौह-चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए बाह्य चुम्बकीय-क्षेत्र के चक्रों की संख्या पर निर्भर करता है। इस प्रकार किसी लौह चुम्बकीय पदार्थ का चुम्बकन उस पर लगाए गए चुम्बकन चक्र की सूचना दे सकता है। इस प्रकार चुम्बकन चक्र की स्मृति, चुम्बकित पदार्थ के नमूने में एकत्र हो जाती है।
  4. इस कार्य के लिए सिरेमिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है।
  5. किसी स्थान को चुम्बकीय-क्षेत्र से परिरक्षित करने के लिए उस स्थान को नर्म लोहे के रिंग से घेर देना चाहिए। इससे चुम्बकीय-क्षेत्र रेखाएँ, नर्म लोहे के रिंग से होकर गुजर जाती हैं तथा रिंग के भीतर प्रवेश नहीं कर पातीं।

प्रश्न 18.
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में 2.5 A धारा, 10° दक्षिण-पश्चिम से 10° उत्तर-पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के 10° पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र 0.33 G एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। (केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं।) (उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय-क्षेत्र, पृथ्वी के क्षैतिज घटक के चुम्बकीय-क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q18

प्रश्न 19.
किसी स्थान पर एक टेलीफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में 1.0 A की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय-क्षेत्र 0.39 G एवं नति कोण 35° है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के 4.0 cm नीचे और 4.0 cm ऊपर परिणामी चुम्बकीय-क्षेत्रों के मान क्या होंगे?
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q19

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q19.1

प्रश्न 20.
एक चुम्बकीय सुई जो क्षैतिज तल में घूमने के लिए स्वतन्त्र है, 30 फेरों एवं 12 cm त्रिज्या वाली एक कुंडली के केन्द्र पर रखी है। कुंडली एक ऊर्ध्वाधर तल में है और चुम्बकीय याम्योत्तर से 45° का कोण बनाती है। जब कुंडली में 0.35 A धारा प्रवाहित होती है, चुम्बकीय सुई पश्चिम से पूर्व की ओर संकेत करती है।
(a) इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय-क्षेत्र के दौतिज अवयव का मान ज्ञात कीजिए।
(b) कुंडली में धारा की दिशा उलट दी जाती है और इसको अपनी ऊध्र्वाधर अक्ष पर वामावर्त दिशा में (ऊपर से देखने पर) 90° के कोण पर घुमा दिया जाता है। चुम्बकीय सुई किस दिशा में ठहरेगी? इस स्थान पर चुम्बकीय दिक्पात शून्य लीजिए।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q20


UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q20.1
(b) चित्र (b) से स्पष्ट है कि इस बार नेट चुम्बकीय-क्षेत्र पूर्व से पश्चिम की ओर होगा; अत: चुम्बकीय सुई पूर्व से पश्चिम की ओर संकेत करेगी।

प्रश्न 21.
एक चुम्बकीय द्विध्रुव दो चुम्बकीय-क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक-दूसरे से 60° का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण 12 x 10-2 T है। यदि द्विध्रुव स्थायी सन्तुलन में इस क्षेत्र से 15° का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा ?
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q21

प्रश्न 22.
एक समोर्जी 18 keV वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान है, 0.04 G का एक क्षैतिज चुम्बकीय-क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारम्भिक दिशा के लम्बवत है, लगाया गया है। आकलन कीजिए 30 सेमी की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा ? (me = 911 x 10-31 kg, e = 160 x 10-19 C)।
[नोट: इस प्रश्न में आँकड़े इस प्रकार चुने गए हैं कि उत्तर से आपको यह अनुमान हो कि TV सेट में इलेक्ट्रॉन गन से पर्दे तक इलेक्ट्रॉन किरण पुंज की गति भू-चुम्बकीय-क्षेत्र से किस प्रकार प्रभावित होती है।

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q22

प्रश्न 23.
अनुचुम्बकीय लवण के एक नमूने में 2.0 x 1024 परमाणु द्विध्रुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण 1.5 x 10-23 JT-1 है। इस नमूने को 0.64 T के एक एकसमान चुम्बकीय-क्षेत्र में रखा गया है और 4.2 K ताप तक ठण्डा किया गया। इसमें 15% चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को 0.98 T के चुम्बकीय-क्षेत्र में 2.8 K ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा? (यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q23

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q23.1

प्रश्न 24.
एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या 15 सेमी है और इसमें 800 आपेक्षिक चुम्बकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर 3500 फेरे लिपटे हुए हैं। 1.2 A की चुम्बककारी धारा के कारण इसके क्रोड में कितना चुम्बकीय-क्षेत्र ( \vec { B } ) होगा ?
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q24

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q25
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter Q25.1

परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर


बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का मात्रक है- (2011, 12)
(i) न्यूटन/ऐम्पियर-मीटर
(ii) ऐम्पियर-मीटर
(iii) वेबर/मीटर2
(iv) हेनरी
उत्तर-
(ii) ऐम्पियर-मीटर

प्रश्न 2.
एक वृत्तीय धारा लूप का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण M है। यदि धारा लूप की त्रिज्या आधी कर दी जाए तब चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण होगा (2014)
(i) M
(ii)  \frac { M }{ 2 }
(iii)  \frac { M }{ 4 }
(iv) 4M
उत्तर-
(i) 

प्रश्न 3.
l मीटर लम्बाई के एक चालक तार को वृत्ताकार लूप में मोड़ा जाता है तथा ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाती है। लूप का चुम्बकीय आघूर्ण होगा- (2010, 11)
(i) il²/4π
(ii) il²/2π
(iii) πil²
(iv) il
उत्तर-
(i) il²/4π

प्रश्न 4.
पृथ्वी के चुम्बकीय ध्रुवों पर नति(नमन) कोण का मान है- (2012, 18)
(i) 45°
(ii) 30°
(iii) शून्य
(iv) 90°
उत्तर-
(iv) 90°

प्रश्न 5.
चुम्बकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर के बीच के कोण को कहते हैं- (2013)
(i) नति कोण
(ii) दिक्पात कोण
(iii) ध्रुवण कोण
(iv) क्रान्तिक कोण
उत्तर-
(ii) दिक्पात कोण

प्रश्न 6.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक बराबर हैं। उस स्थान पर नति कोण का मान होगा- (2009, 11, 12, 17)
(i) 0°
(ii) 45°
(iii) 60°
(iv) 90°
उत्तर-
(ii) 45°
[संकेत- tan θ = V/H = H/H = 1 = tan 45° ⇒ θ = 45°]

प्रश्न 7.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक शून्य होता है- (2010)
(i) चुम्बकीय ध्रुवों पर
(ii) भौगोलिक ध्रुवों पर
(iii) प्रत्येक स्थान पर
(iv) चुम्बकीय निरक्ष पर
उत्तर-
(i) चुम्बकीय ध्रुवों पर

प्रश्न 8.
पृथ्वी तल के किसी निश्चित स्थान पर, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक, क्षैतिज घटक का √3 गुना है। इस स्थान पर नति कोण है- (2015)
(i) 0°
(ii) 30°
(iii) 45°
(iv) 60°
उत्तर-
(iv) 60°

प्रश्न 9.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकत्व का क्षैतिज घटक H = 0.3 x 10-4 वेबर/मी2 तथा नमन कोण 30° है। सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा| (2017)
(i) 0.46 x 10-4 वेबर/मी2
(ii) 0.26 x 10-4 वेबर/मी2
(iii) 4.6 x 10-6 वेबर/मी2
(iv) 3.4 x 10-5 वेबर/मी2
उत्तर-
(iv) 3.4 x 10-5 वेबर/मी2

प्रश्न 10.
चुम्बकीय क्षेत्र B के लम्बवत् v वेग से चलने वाले आवेश q पर लगने वाले बल F का मान है-
(i) F = qvB
(ii) F =  \frac { qv }{ B }
(iii) F =  \frac { qB }{ v }
(iv) F =  \frac { Bv }{ q }
उत्तर-
(i) F = qvB

प्रश्न 11.
चुम्बकीय प्रवृत्ति का मान कम परन्तु धनात्मक होता है- (2012)
(i) अनुचुम्बकीय पदार्थों के लिए।
(ii) लौहचुम्बकीय पदार्थों के लिए
(iii) प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के लिए
(iv) उपरोक्त सभी पदार्थों के लिए
उत्तर-
(i) अनुचुम्बकीय पदार्थों के लिए

प्रश्न 12.
अनुचुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकशीलता का मान होता है- (2012)
(i) 0
(ii) > 1
(iii) < 1
(iv) 1
उत्तर-
(ii) > 1

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनुदैर्ध्य स्थिति में किसी छोटे चुम्बक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (चुम्बकीय बल क्षेत्र) को सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों का अर्थ भी लिखिए। यो चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण अक्षीय स्थिति में किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक लिखिए। (2013)
उत्तर-
अनुदैर्ध्य स्थिति (End-on Position)- M चुम्बकीय बल- आघूर्ण के किसी छोटे दण्ड चुम्बक की अक्षीय रेखा पर इसके मध्य बिन्दु O से r दूरी पर निर्वात् अथवा वायु में बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र  \vec { B } का परिमाण
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter VSAQ 1
जहाँ, µ0 निर्वात् की चुम्बकशीलता = 4π x 10-7 न्यूटन/ऐम्पियर2 है। चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा अक्ष के समान्तर दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होती है।

प्रश्न 2.
परमाणु में परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण का सूत्र लिखिए। प्रयुक्त संकेतों के अर्थ बताइए। (2016)
उत्तर-
M = NiA
जहाँ, N = फेरों की संख्या, i = कक्षा के किसी बिन्दु से 1 सेकण्ड में गुजरने वाला आवेश तथा A = लूप के परिच्छेद का क्षेत्रफल

प्रश्न 3.
एक चुम्बक के अक्षीय स्थिति में 10 सेमी दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता 2.0 x 10-4 टेस्ला है। चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण तथा उसके निरक्षीय स्थिति में 20 सेमी की दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की गणना कीजिए। (2015)
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प्रश्न 4.
3.5 सेमी त्रिज्या की वृत्ताकार कुण्डली में 10.0 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। इसका चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात कीजिए। (2013)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter VSAQ 4

प्रश्न 5.
चुम्बकीय याम्योत्तर की परिभाषा लिखिए। (2012,14)
उत्तर-
किसी स्थान पर अपने गुरुत्व केन्द्र से स्वतन्त्रतापूर्वक लटकायी गयी चुम्बक के चुम्बकीय अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुम्बकीय याम्योत्तर कहते हैं।

प्रश्न 6.
नति कोण से आप क्या समझते हैं? (2016)
उत्तर-
नति कोण वह कोण है, जो चुम्बकीय याम्योत्तर में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र Be की दिशा तथा क्षैतिज दिशा के बीच बनता है।

प्रश्न 7.
दिक्पात कोण से क्या तात्पर्य है? (2017)
उत्तर-
पृथ्वी की सतह पर किसी स्थान पर भौगोलिक याग्योत्तर तथा चुम्बकीय याम्योत्तर के बीच बने न्यूनकोण को उस स्थान के लिए दिक्पात कोण कहते हैं। इसे ‘α’ से प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर नमन कोण का मान क्या होता है?
उत्तर-
नति कोण को अधिकतम मान 90° है जो पृथ्वी के उत्तरी व दक्षिणी चुम्बकीय ध्रुवों पर होता है।

प्रश्न 9.
किन दो स्थानों पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक शून्य होता है ? (2012)
उत्तर-
पृथ्वी के चुम्बकीय उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव पर। चूँकि इन स्थानों पर नति कोण θ = 90°
अतः H = Be cos θ = Be cos 90° = Be x 0 = 0

प्रश्न 10.
किसी स्थान पर नति कोण, पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक तथा ऊर्ध्व घटक के बीच सम्बन्ध लिखिए। (2010, 12)
या
भू-चुम्बकत्व के अवयवों का आपस में सम्बन्ध लिखिए। (2017)
उत्तर-
tan θ = V/H (जहाँ θ = नति कोण, V = Be sin θ (ऊर्ध्व घटक), H = Be cos θ (क्षैतिज घटक) जहाँ, Be = पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र]

प्रश्न 11.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक प्रत्येक 0.5 गौस के बराबर हैं। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की सम्पूर्ण तीव्रता का मान ज्ञात कीजिए। (2015)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter VSAQ 11

प्रश्न 12.
एक स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक 0.2√3 x 10-4 टेस्ला है। यदि उस स्थान पर नति कोण 30° हो तो चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक के मान की गणना कीजिए। (2014)

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter VSAQ 12

प्रश्न 13.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक का मान ऊर्ध्व घटक के मान का √3 गुना है। उस स्थान पर नमन कोण का मान क्या होगा ? (2011, 14)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter VSAQ 13

प्रश्न 14.
एक स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक 0.3 गौस तथा नति कोण 60° है। उस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की सम्पूर्ण तीव्रता ज्ञात कीजिए। (2013, 16)
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प्रश्न 15.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक प्रत्येक 0.35 गौस के बराबर हैं। उस स्थान पर नमन कोण का मान ज्ञात कीजिए। (2015, 16)
हल-
tan θ =  \frac { V }{ H } = 1 [V = H = 0.35]
नति कोण θ = 45°

प्रश्न 16.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक समान हैं। उस स्थान पर नमन कोण का मान ज्ञात कीजिए। (2015, 16)
हल-
tan θ =  \frac { V }{ H } =  \frac { H }{ H } = 1 [∵ V = H]
tan θ = tan 45° ⇒ θ = 45°
अतः नमन कोण 45° होगा।

प्रश्न 17.
यदि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षैतिज घटक H तथा नमन कोण θ है, तो सम्पूर्ण क्षेत्र की तीव्रता कितनी होगी? (2016)
उत्तर-
दिया है, पृथ्वी का चुम्बकीय घटक H तथा नमन कोण θ है,
H = Be cos θ
सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता Be = H/cos θ

प्रश्न 18.
यदि पृथ्वी के किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के ऊर्ध्वाधर घटक का मान क्षैतिज घटक के मान का √3 गुना हो तो उस स्थान पर नति कोण का मान क्या होगा? (2017)
हल-
माना उर्ध्वघटक V = B sin θ
क्षैतिज घटक H = B cos θ
V = H tan θ प्रश्नानुसार, V√3 = H
अतः V = V√3 tan θ
tan θ =  \frac { 1 }{ \surd 3 } = tan 30°
θ = 30°
अतः नति कोण θ = 30°

प्रश्न 19.
किन्हीं दो प्रतिचुम्बकत्व वाले पदार्थों के नाम लिखिए। (2011)
उत्तर-
बिस्मथ तथा ऐण्टीमनी।

प्रश्न 20.
एक अनुचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय सुग्राहिता (ψ) का मान 10-4 है। पदार्थ के सापेक्ष चुम्बकशीलता (µr) का मान ज्ञात कीजिए। (2014)
हल-
µr = 1 + ψ = 1 + 10-4 = 1 + 0.0001 = 1.0001

प्रश्न 21.
निम्नलिखित पदार्थों में से प्रतिचुम्बकीय तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों को चुनिए-ताँबा, सोडियम, प्लैटिनम तथा चाँदी। (2017)
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय – ताँबा, चाँदी
अनुचुम्बकीय – सोडियम, प्लैटिनम

प्रश्न 22.
प्रति तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों में मुख्य अन्तर लिखिए। (2017, 18)
उत्तर-
ऐसे पदार्थ जो तीव्र प्रबलता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में आंशिक रूप से चुम्बकित होते हैं, प्रति चुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे—सोना, चाँदी, हीरा, नमक, जल, वायु आदि। ऐसे पदार्थ जो प्रबल तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में आंशिक रूप से चुम्बकित होते हैं, अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। जैसे-ऐलुमिनियम, प्लैटिनम, सोडियम, कॉपर क्लोराइड, ऑक्सीजन आदि।

प्रश्न 23.
किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर प्रतिचुम्बकीय पदार्थों का व्यवहार अनुचुम्बकीय पदार्थों से किस प्रकार भिन्न होता है? (2017)
उत्तर-
प्रतिचुम्बकीय पदार्थों की छड़ों को शक्तिशाली चुम्बक के ध्रुवों के बीच स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इनकी अक्ष (लम्बाई) चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् दिशा में हो जाती है। जबकि अनुचुम्बकीय पदार्थों की छड़ों को शक्तिशाली चुम्बक के ध्रुवों के बीच स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाने पर इनकी अक्ष (लम्बाई) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो जाती है।

प्रश्न 24.
विद्युत चुम्बक किसी स्थायी चुम्बक से किस प्रकार भिन्न होता है? (2017)
उत्तर-
वैद्युत चुम्बक बनाने के लिए नर्म लोहे की एक सीधी छड़ अथवा घोड़े की नाल के आकार की छड़ पर किसी चालक पदार्थ के वैद्युतरोधी तार लपेटकर तार में धारा प्रवाहित की जाती है। धारा प्रवाहित करने पर परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है तथा छड़ के अन्दर उपस्थित डोमेनों के घूर्णन द्वारा वह पूर्णत: चुम्बकित हो जाती है। वैद्युत चुम्बकों का उपयोग वैद्युत घण्टी, ट्रांसफॉर्मर, वैद्युतमोटर, डायनमो आदि में किया जाता है जबकि स्थायी चुम्बक बनाने के लिए स्टील का प्रयोग किया जाता है, क्योंकि स्टील की धारणशीलता नर्म लोहे से कम होती है परन्तु इसकी निग्राहिता नर्म लोहे की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। स्टील का एक बार चुम्बकन हो जाने पर सरलता से विचुम्बकन नहीं होता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
चुम्बकीय द्विध्रुव-आघूर्ण की परिभाषा लिखिए। चुम्बकीय द्विध्रुव-आघूर्ण सदिश राशि है। अथवा अदिश राशि? इसका मात्रक भी लिखिए। (2010, 17)
या
चुम्बकीय आघूर्ण की परिभाषा एवं मात्रक लिखिए। (2012, 18)
या
चुम्बकीय द्विध्रुव-आघूर्ण का सूत्र तथा इसका S.I. मात्रक लिखिए। (2014)
या
चुम्बकीय द्विध्रुव-आघूर्ण की परिभाषा लिखिए। समांग चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित चुम्बकीय द्विध्रुव पर लगने वाले बल के आघूर्ण का सूत्र प्राप्त कीजिए। (2015)
उत्तर-
माना चुम्बकीय द्विध्रुव एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B में क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाते हुए रखा गया है। अत: द्विध्रुव पर लगने वाले बल-युग्म का आघूर्ण,
τ = MB sin θ.
यदि θ = 90° तो sin θ = 1, तब चुम्बकीय द्विध्रुव पर लगने वाला बल-आघूर्ण अधिकतम होगा, अर्थात्
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 1
अत: किसी चुम्बकीय द्विधुव( अथवा धारा लूप) का चुम्बकीय आघूर्ण वह बल-आघूर्ण है जो इस द्विध्रुव को एकसमान एकांक चुम्बकीय क्षेत्र में क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखने पर द्विध्रुव पर लगता है।
चुम्बकीय द्विध्रुव-आधूर्ण एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा द्विध्रुव के अक्ष के अनुदिश होती है। धारा लूप में चुम्बकीय-आघूर्ण की दिशा दायें हाथ के नियम द्वारा ज्ञात की जाती है। इस नियम के अनुसार, यदि हम अपने दायें हाथ के पंजे को पूरा फैलाकर अँगुलियों को लूप के चारों ओर धारा की दिशा में मोड़े तो अँगूठा चुम्बकीय-आघूर्ण की दिशा की ओर होगा।
मात्रक एवं विमाएँ

UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 1.1

प्रश्न 2.
एक परमाणु के नाभिक के परितः एक इलेक्ट्रॉन 0.5 Å त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर 5.0 x 1015 चक्कर/से की आवृत्ति से घूम रहा है। परमाणु का चुम्बकीय-आघूर्ण ज्ञात कीजिए। (2012, 18)
हल-
कक्षा में चक्कर काटता इलेक्ट्रॉन एक धारा-लूप के तुल्य है, जिसमें धारा का मान।
i = कक्षा के किसी बिन्दु से 1 सेकण्ड में गुजरने वाला आवेश
= इलेक्ट्रॉन-आवेण x 1 सेकण्ड में चक्करों की संख्या
= (1.6 x 10-19 कूलॉम) x (5.0 x 1015 सेकण्ड-1)
= 8 x 10-4 ऐम्पियर
तुल्य धारा-लूप का चुम्बकीय आघूर्ण M = Ni A
जहाँ, N फेरों की संख्या है तथा A लूप का परिच्छेद-क्षेत्रफल है। यहाँ N = 1; i = 8 x 10-4 ऐम्पियर
तथा A = πr² = π (0.5 x 10-10 मीटर)2
M = 1 x (8 x 10-4) x 3.14 x (0.5 x 10-10)2 = 6.28 x 10-24 ऐम्पियर-मीटर

प्रश्न 3.
100 फेरों वाली तथा 15 सेमी x 10 सेमी क्षेत्रफल की एक कुण्डली B = 1.0 वेबर/मी2 के चुम्बकीय क्षेत्र में रखी गई है। कुण्डली में धारा 0.2 ऐम्पियर है तथा कुण्डली का तलं चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है। कुण्डली पर लगते हुए बल आघूर्ण की गणना कीजिए। (2010)
हल-
τ = NiAB sinθ = 100 x 0.2 (15 x 10 x 10-4) x 1.0 sin 90° = 0.3 न्यूटन-मीटर।

प्रश्न 4.
एक लम्बे सीधे तार में 5 ऐम्पियर की वैद्युत धारा प्रवाहित होती है। एक इलेक्ट्रॉन तार से 10 सेमी दूरी पर हवा में 1 x 106 मी/सेकण्ड से धारा की दिशा के समान्तर गति कर रहा है। इलेक्ट्रॉन पर बल की गणना कीजिए। (2016)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 4

प्रश्न 5.
एक हाईड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन 0.53 Å त्रिज्या की एक कक्षा में 2.3 x 106 मी/सेकण्ड के वेग से घूम रहा है। परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन के चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए। (2016)
हल-
दिया है, इलेक्ट्रॉन की त्रिज्या r = 0.53 Å = 0.53 x 10-10 मीटर = 5.3 x 10-11 मीटर
तथा वेग, v = 2.3 x 106 मीटर/सेकण्ड
परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण,
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 5

प्रश्न 6.
एक परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर 6.6 x 104 मी/से के वेग से 0.7 A त्रिज्या की कक्षा में घूम रहा है। इसके तुल्य वैद्युत धारा तथा इसके तुल्य चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए। (2014)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 6

प्रश्न 7.
किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज व ऊर्ध्व घटक बराबर हैं। यदि क्षैतिज घटक का मान 0.3 x 10-4 वेबर/मीटर2 हो तब उस स्थान पर सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता कितनी होगी ? (2012)
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 7

प्रश्न 8.
चुम्बकत्व के परमाणवीय मॉडल की व्याख्या कीजिए। (2010, 18)
उत्तर-
चुम्बकत्व का परमाणवीय मॉडल- प्रत्येक पदार्थ असंख्य परमाणुओं से मिलकर बना है। प्रत्येक परमाणु के केन्द्र पर एक धनावेशित नाभिक होता है जिसके चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन घूमते रहते हैं। ये इलेक्ट्रॉन कक्षीय परिक्रमण के अतिरिक्त अपनी धुरी पर भी घूमते रहते हैं। इसे ‘चक्रण (spin) कहते हैं। चूंकि प्रत्येक इलेक्ट्रॉन आवेशित होता है; अतः कक्षीय अथवा चक्रण गति करता हुआ इलेक्ट्रॉन एक धारावाही लूप या चुम्बकीय द्विध्रुव की भाँति व्यवहार करता है। इसी कारण परमाणु में चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न होता है। परमाणु में चुम्बकीय आघूर्ण का अधिकांश भाग (90%) इलेक्ट्रॉनों के ‘चक्रण के कारण होता है; कक्षीय परिक्रमण के कारण आघूर्ण बहुत कम (10%) होता है।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter SAQ 8

प्रश्न 9.
चुम्बकशीलता, चुम्बकीय प्रवृत्ति तथा आपेक्षिक चुम्बकशीलता से क्या तात्पर्य है? किस प्रकार के चुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति ताप पर निर्भर नहीं करती है? (2013)
उत्तर-
चुम्बकशीलता µ (Magnetic Permeability)- जब किसी चुम्बकीय पदार्थ को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो वह पदार्थ चुम्बकित हो जाता है तथा उस पदार्थ में से, वायु के सापेक्ष, अधिक बल-रेखाएँ गुजरती हैं। इससे स्पष्ट है कि बल-रेखाएँ वायु की अपेक्षा चुम्बकीय पदार्थ में से अधिक सुगमता से गुजरती हैं। इसे हम इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं कि वायु की अपेक्षा लोहे में अधिक ‘चुम्बकशीलता’ है। किसी चुम्बकीय पदार्थ में उत्पन्न चुम्बकीय प्रेरण  \vec { B } तथा  \vec { H } चुम्बकीय क्षेत्र में के अनुपात को पदार्थ की चुम्बकशीलता कहते हैं, अर्थात्।
µ =  \frac { \vec { B } }{ \vec { H } }
संख्यात्मक रूप से µ = B/H
इसका S.I. मात्रक वेबर/(ऐम्पियर-मीटर) अथवा न्यूटन/ऐम्पियर2 है।

आपेक्षिक चुम्बकशीलता µr (Relative Magnetic Permeability)- किसी चुम्बकीय पदार्थ की आपेक्षिक चुम्बकशीलता, पदार्थ की चुम्बकशीलता µ0 तथा निर्वात् (वायु) की चुम्बकशीलता 40 के अनुपात को कहते हैं, अर्थात्
µr =  \frac { \mu }{ { \mu }_{ 0 } }
यह विमाहीन राशि है तथा निर्वात् के लिए इसका मान 1 है।

चुम्बकीय प्रवृत्ति χm (Magnetic Susceptibility)- किसी पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति उस पदार्थ के चुम्बकत्व धारण करने की क्षमता से नापी जाती है अर्थात् कोई पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में कितनी सरलता से चुम्बकित होता है। किसी चुम्बकीय पदार्थ में उत्पन्न हुई चुम्बकीय तीव्रता (I) तथा उसे उत्पन्न करने वाले चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (H) के अनुपात को उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति कहते हैं, अर्थात्
χm =  \frac { I }{ H }
यह एक शुद्ध संख्या है, (I तथा H दोनों के मात्रक एक ही हैं) तथा निर्वात् के लिए इसका मान शून्य न शून्य है (क्योंकि निर्वात् में चुम्बकेन नहीं हो सकता)। अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है। प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृत्ति ताप पर निर्भर नहीं करती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिकपात कोण, नमन कोण तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक की व्याख्या कीजिए। (2017)
या
उपयुक्त आरेख बनाकर किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के क्षैतिज घटक, ऊर्ध्व-घटक एवं नति कोण में सम्बन्ध ज्ञात कीजिए। दिकपात कोण क्या होता है? (2012)
या
नति कोण तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक से क्या तात्पर्य है ? इनके मध्य सम्बन्ध प्राप्त कीजिए। (2012)
या
भू-चुम्बकत्व के चुम्बकीय अवयव क्या हैं? उपयुक्त आरेख की सहायता से उनकी व्याख्या कीजिए। (2017)
या
भू-चुम्बकीय क्षेत्र के विभिन्न अवयव क्या हैं? उनके बीच के सम्बन्ध का सूत्र स्थापित कीजिए। (2017, 18)
उत्तर-
पृथ्वी के भू-चुम्बकत्व के प्रमाण-

  • स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाये गये चुम्बक का सदैव उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरना,
  • पृथ्वी में गाड़ने पर लोहे के टुकड़े को कुछ समय बाद चुम्बक बनना तथा
  • उदासीन बिन्दुओं का मिलना।

चुम्बकत्व के मौलिक तत्त्व- पृथ्वी भी एक चुम्बक की भॉति व्यवहार करती है। पृथ्वी के इस गुण को भू-चुम्बकत्व कहते हैं। किसी स्थान पर पृथ्वी के भू-चुम्बकत्व का अध्ययन करने के लिए जिन राशियों की आवश्यकता होती है, वे भू-चुम्बकत्व के अवयव कहलाती हैं। भू-चुम्बकत्व के निम्नलिखित तीन अवयव हैं-
1. दिक्पात कोण (Angle of Declination)- किसी स्थान पर अपने गुरुत्व-केन्द्र से स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी चुम्बकीय सूई के अक्ष से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को ‘चुम्बकीय याम्योत्तर’ कहते हैं। इसी प्रकार किसी स्थान पर पृथ्वी के भौगोलिक उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा में से गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को ‘भौगोलिक याम्योत्तर’ कहते हैं। पृथ्वी तल के किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर एवं भौगोलिक याम्योत्तर के बीच बने न्यून
कोण को दिक्पात कोण’ कहते हैं।

2. नति कोण अथवा नमन कोण (Angle of Dip)- यदि किसी चुम्बकीय सूई को उसके गुरुत्व केन्द्र से स्वतन्त्रतापूर्वक इस प्रकार लटकाया जाए कि सूई ऊर्ध्वाधर तल में घूम सके तो चुम्बकीय याम्योत्तर में स्थिर होने पर सूई क्षैतिज दिशा से कुछ झुक जाती है। इस अवस्था में सूई का चुम्बकीय अक्ष, चुम्बकीय याम्योत्तर में क्षैतिज दिशा के साथ जो कोण बनाता है, उसे ‘नति कोण’ कहते हैं। चूँकि सूई का चुम्बकीय अक्ष पृथ्वी के H चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करता है; अत: नति कोण वह नति कोण कोण है, जो चुम्बकीय याम्योत्तर में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र Be की दिशा तथा क्षैतिज दिशा के बीच बनता है। नति कोण का मान पृथ्वी की चुम्बकीय निरक्ष पर 0° तथा पृथ्वी के चित्र 5.10 चुम्बकीय ध्रुवों पर 90° होता है। उत्तरी गोलार्द्ध में नति सूई का उत्तरी सिरा और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणी सिरा नीचे की ओर झुकता है।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter LAQ 1
3. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक (Horizontal Component of Earth’s Magnetic Field)- किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर में कार्य करने वाले पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र Be का जो घटक क्षैतिज दिशा में कार्य करता है, उसे पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक (H) कहते हैं। दिक्पात कोण. (α), नति कोण (θ) तथा चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक (H) में भौगोलिक उत्तर सम्बन्ध-चुम्बकीय निरक्ष को छोड़कर, हर स्थान पर चुम्बकीय सूई क्षैतिज से कुछ झुककर रुकती है। अतः चुम्बकीय उत्तर + किसी स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर में कार्य करने वाले। चुम्बकीय क्षेत्र B को, क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटकों में योम्योत्तर वियोजित किया जा सकता है।

ये घटक क्रमशः H तथा V से प्रकट किये जाते हैं। याम्योत्तर इन दोनों में पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को क्षैतिज घटक H अधिक महत्त्वपूर्ण है। इसीलिए इसको भू-चुम्बकत्व के मौलिक तत्त्वों में सम्मिलित क्रिया गया है।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter LAQ 1.1
NS एक स्वतन्त्रतापूर्वक लटकी चुम्बकीय सूई है। इसके अक्ष में से होकर गुजरने वाला ऊर्ध्वाधर तल OPQR चुम्बकीय याम्योत्तर है। तल OLMR वहाँ पर भौगोलिक याम्योत्तर है। इन तलों के बीच का कोण θ दिक्पात कोण है, जबकि सूई का अक्ष OQ तथा क्षैतिज दिशा OP के बीच का कोण ‘θ’ नति कोण है।
चुम्बकीय सूई का अक्ष OQ पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र Be की दिशा को प्रदर्शित करता है। चुम्बकीय क्षेत्र Be को क्षैतिज तथा ऊध्र्वाधर घटकों (H वे V) में वियोजित करने पर पृथ्वी के क्षेत्र का क्षैतिज घटक H = Be cos θ
पृथ्वी के क्षेत्र का ऊर्ध्वाधर घटक V = Be sin θ
अत: समी० (1) व (2) का वर्ग करके जोड़ने पर,
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter LAQ 1.2
यदि किसी स्थान पर α और θ ज्ञात हों तो पृथ्वी के क्षेत्र Be की दिशा पूर्णतया निर्धारित की जा सकती है तथा यदि H और θ ज्ञात हों तो Be का परिमाण ज्ञात किया जा सकता है। इस प्रकार α, θ तथा H किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का पूर्ण ज्ञान कराते हैं। इसी कारण इन्हें भू-चुम्बकीय अवयव कहते हैं। यही इनका महत्त्व है।

प्रश्न 2.
चुम्बकत्व के परमाणवीय मॉडल के आधार पर लौहचुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए। (2012)
या
डोमेन सिद्धान्त के आधार पर लौहचुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए। (2013, 17)
या
अनुचुम्बकीय तथा प्रतिचुम्बकीय पदार्थों के परमाणुओं में क्या अन्तर होता है? (2014, 18)
या
अनुचुम्बकीय तथा प्रतिचुम्बकीय पदार्थों में क्या अन्तर होता है? परमाणु मॉडल के आधार पर समझाइए। (2015)
या
पदार्थों का उनके चुम्बकीय व्यवहार के आधार पर वर्गीकरण कीजिए। प्रत्येक वर्ग की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। (2016)
या
चुम्बकत्व के परमाणवीय मॉडल के आधार पर प्रतिचुम्बकत्व की व्याख्या कीजिए। (2018)
या
प्रतिचुम्बकीय तथा अनुचुम्बकीय पदार्थों में परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण क्रमशः शून्य एवं अशून्य होता है, क्यों? (2018)
उत्तर-
सन् 1846 में फैराडे ने देखा कि सभी पदार्थों में चुम्बकत्व के गुण पाए जाते हैं। उसने अनेक पदार्थों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर उनके चुम्बकीय व्यवहारों का अध्ययन किया तथा इस आधार पर पदार्थों को निम्न तीन वर्गों में विभाजित किया-
1. प्रतिचुम्बकीय पदार्थ (Diamagnetic Substances)- कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की विपरीत दिशा में क्षीण चुम्बकत्व प्राप्त कर लेते हैं। इन्हें प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। तथा इनके इस गुण को ‘प्रतिचुम्बकत्व’ कहते हैं। बिस्मथ, ऐण्टीमनी, सोना, पानी, ऐल्कोहॉल, जस्ता, ताँबा, चाँदी, हीरा, नमक, पारा इत्यादि प्रतिचुम्बकीय पदार्थ हैं।

प्रतिचुम्बकत्व की व्याख्या- प्रतिचुम्बकत्व का गुण प्रायः उन पदार्थों के अणुओं अथवा परमाणुओं में पाया जाता है जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम (even) होती है तथा दो-दो इलेक्ट्रॉन मिलकर युग्म बना लेते हैं। प्रत्येक युग्म में एक इलेक्ट्रॉन का चक्रण दूसरे इलेक्ट्रॉन के चक्रण की विपरीत दिशा में होता है, जिससे ये एक-दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते हैं।

अतः प्रतिचुम्बकीय पदार्थ के परमाणु का नेट चुम्बकीय आघूर्ण शून्य होता है। जब ऐसे पदार्थ को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो युग्म के एक इलेक्ट्रॉन का चक्रण धीमा तथा दूसरे का त्वरित हो जाता है। अब युग्म के इलेक्ट्रॉन एक-दूसरे के चुम्बकीय प्रभाव को निरस्त नहीं कर पाते और परमाणु में चुम्बकीय आघूर्ण प्रेरित हो जाता है, जिसकी दिशा बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है; अर्थात् पदार्थ बाह्य क्षेत्र की विपरीत दिशा में चुम्बकित हो जाता है। ताप के बदलने पर इन पदार्थों के प्रतिचुम्बकत्व गुण पर कोई प्रभाव नहीं होता।

2. अनुचुम्बकीय पदार्थ (Paramagnetic Substances)- कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में क्षीण चुम्बकत्व प्राप्त कर लेते हैं, इन्हें अनुचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं तथा इनके इस गुण को ‘अनुचुम्बकत्व’ कहते हैं। प्लैटिनम, ऐल्युमीनियम, सोडियम, क्रोमियम, मैंगनीज, कॉपर सल्फेट इत्यादि अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं।

अनुचुम्बकत्व की व्याख्या- अनुचुम्बकत्व का गुण उन पदार्थों में पाया जाता है जिनके परमाणुओं या अणुओं में कुछ ऐसे आधिक्य इलेक्ट्रॉन होते हैं जिनका चक्रण एक ही दिशा में होता है। अत: प्रत्येक परमाणु में स्थायी चुम्बकीय आघूर्ण होता है और वह एक सूक्ष्म दण्ड चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है, जिसे ‘परमाणवीय चुम्बक’ कहते हैं। परन्तु किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में ये पदार्थ कोई चुम्बकीय प्रभाव नहीं दिखाते। इसका कारण परमाणवीय चुम्बकों का अनियमित रूप से अभिविन्यासित (randomly oriented) होना है [चित्र 5.12 (a)]। बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर प्रत्येक परमाणवीय चुम्बक पर एक बल-आघूर्ण कार्य करता है। जिससे ये क्षेत्र की दिशा में संरेखित हो जाते हैं। इस प्रकार पूरा पदार्थ क्षेत्र की दिशा में चुम्बकीय आधूर्ण प्राप्त कर लेता है; अर्थात् क्षेत्र की दिशा में चुम्बकित हो जाता है [चित्र 5.12 (b)]
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter LAQ 2
ऊष्मीय विक्षोभ के कारण चुम्बकीय संरेखण कम होता है, जिससे अनुचुम्बकीय पदार्थों में चुम्बकन बहुत कम हो पाता है। बाह्य क्षेत्र की तीव्रता बढ़ाने पर अथवा ताप घटाने पर चुम्बकन बढ़ जाता है।

3. लौहचुम्बकीय पदार्थ (Ferromagnetic Substances)- कुछ पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल रूप से चुम्बकित हो जाते हैं, इन्हें लौहचुम्बकीय पदार्थ कहते हैं। | लोहा, कोबाल्ट, निकिल तथा मैग्नेटाइट (Fe3O4) इत्यादि लौहचुम्बकीय पदार्थ हैं।

लौहचुम्बकत्व की व्याख्या (डोमेन सिद्धान्त)- अनुचुम्बकत्व तथा लौहचुम्बकत्व में केवल तीव्रता का अन्तर होता है। वास्तव में लौहचुम्बकीय पदार्थ ऐसे अनुचुम्बकीय पदार्थ हैं, जिनका चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकन अत्यन्त तीव्र होता है। लौहचुम्बकीय पदार्थों का भी प्रत्येक परमाणु एक चुम्बक होता है और यह एक स्थायी चुम्बकीय आघूर्ण रखता है परन्तु लौहचुम्बकीय पदार्थों के परमाणुओं की कुछ अन्योन्य क्रियाओं के कारण पदार्थों के भीतर परमाणुओं के असंख्य अतिसूक्ष्म आकार के प्रभावी क्षेत्र बन जाते हैं, जिन्हें डोमेन कहते हैं। प्रत्येक डोमेन में 1017 से 1021 तक परमाणु होते हैं, जिनकी चुम्बकीय अक्षं एक ही दिशा में संरेखित होती हैं (परन्तु पास वाले डोमेनों के परमाणुओं से भिन्न दिशा में)। इस प्रकार चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी प्रत्येक डोमेन चुम्बकीय संतृप्तता की स्थिति में होता है। परन्तु परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण शून्य ही रहता है [चित्र 5.13 (a)]।
UP Board Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 Magnetism and Matter LAQ 2.1
लौहचुम्बकीय पदार्थों को किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर पदार्थ का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण निम्नलिखित दो प्रकार से बढ़ सकता है-

1. डोमेन की परिसीमाओं के विस्थापन द्वारा– बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में संरेखित डोमेनों के आकार में वृद्धि होती है, जबकि अन्य दिशाओं में अभिविन्यस्त डोमेनों के आकार छोटे हो जाते हैं (चित्र 5.13 (b))
जब बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र दुर्बल हो जाता है तो लौहचुम्बकीय पदार्थों का चुम्बकन प्राय: डोमेनों की परिसीमाओं के विस्थापन द्वारा होता है। इस स्थिति में चुम्बकन की क्रिया उत्क्रमणीय होती है; अर्थात् चुम्बकीय क्षेत्र हटा लेने पर डोमेन अपनी पूर्वावस्था में वापस आ जाते हैं। अतः पदार्थ पूर्णत: विचुम्बकित हो जाता है।

2. डोमेनों के घूर्णन द्वारा- डोमेन इस प्रकार घूम जाते हैं कि इनके चुम्बकीय आघूर्ण बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो जाते हैं जिससे प्रबल चुम्बकत्व प्राप्त हो जाता है (चित्र 5.13 (c))

बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के दुर्बल होने पर इन पदार्थों में चुम्बकन डोमेनों की परिसीमाओं के विस्थापन द्वारा होता है। परन्तु प्रबल बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में इन पदार्थों का चुम्बकन डोमेनों के घूर्णन द्वारा होता है। बाह्य क्षेत्र यदि क्षीण है, तो उसे हटा लेने पर डोमेन अपनी मूल स्थितियों में आ जाते हैं और पदार्थ का चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है। यदि बाह्य क्षेत्र तीव्र है तो चुम्बकीय-क्षेत्र को हटा लेने पर पदार्थ पूर्णतः विचुम्बकित नहीं होता, बल्कि उसमें कुछ-न-कुछ चुम्बकत्व शेष रह जाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 5 चुम्बकत्व एवं द्रव्य, Study Learner


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