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Class 10 Chapter : 3 (Part-1), अनुवांशिकी Genetics

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अनुवांशिकी (Genetics)

जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें  सजीवों के लक्षणों की आनुवंशिकता (heredity)एवं  विभिन्नताओं (variations) का अध्ययन किया जाता है, उसे अनुवांशिकी (genetics) कहते है।

  • जेनेटिक्स (genetics)शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बेटसन ( Bateson, 1905) ने किया था।

आनुवंशिकता

सजीवों में लैंगिक जनन की क्रिया के दौरान युग्मकों द्वारा आनुवांशिक लक्षणों (heredity characters) का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण होता है, इस गुण को आनुवंशिकता कहते हैं।

  • हेरिडिटी शब्द का  सर्वप्रथम प्रतिपादन स्पेंसर (Spencer, 1863) ने किया था।

जीन विनिमय लैंगिक जनन के दौरान जीन विनिमय (Crossing Over) की एक महत्वपूर्ण घटना होती है जिसके कारण एक ही जाति के जीवो के मध्य विभिन्नताएँ पाई जाती है।

ग्रेगर जॉन मेंडल का जीवन परिचय

  • ग्रेगर जॉन मेंडल का जन्म ऑस्ट्रिया के हैंजनडॉर्फ प्रांत के सिलिसिया ग्राम में
  • 22 जुलाई 1822 को माली परिवार में हुआ था।
  • बचपन से ही मेंडल को सजीव वस्तुओं में गहरी रुचि थी।
  • प्रारंभिक शिक्षा अपने ही गांव के विद्यालय में प्राप्त की थी।
  • सन 1842 में दर्शनशास्त्र में डिग्री प्राप्त की थी, अक्टूबर, 1845 में ब्रुन शहर में चर्च में पादरी का पद ग्रहण किया।
  • चर्च में पादरी रहते मेंडल को ग्रेगर की उपाधि मिली।
  • सन 1849 में मंडल ने 1 वर्ष तक अध्यापन कार्य किया बाद में प्राकृतिक विज्ञान एवं गणित के अध्ययन हेतु वियना विश्वविद्यालय चले गए।
  • कुछ समय पश्चात वापस लौट आए एवं विज्ञान के अध्यापक बने।
  • अध्यापन काल के दौरान मेंडल ने गिरजाघर के उद्यान में उद्यान मटर (pisum sativum)पर कई वर्षों तक संकरण प्रयोग किए।
  • मेंडल ने अपने प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षों को 1865 में “ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री” के समक्ष अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
  • मेंडल द्वारा उद्यान मटर पर किए गए प्रयोगों के आधार पर आनुवंशिकता के नियमों का प्रतिपादन किया गया, जिन्हें मेंडलवाद कहा गया।
  • मेंडल को आनुवंशिकता का जनक(father of genetics) कहा जाता है।
  • ब्रुन शहर का चर्च जहां पर रहते हुए मेंडल ने अपने आनुवंशिकता के प्रयोग किए थे।
  • मटर (pisum sativum)
  • 6 जनवरी 1884  को मंडल की मृत्यु हो गई

सन 1865 में खोजे गए मेंडल के महत्वपूर्ण नियम

लगभग 35 वर्षों तक  उपेक्षित रहने के बाद सन 1900 में पुनः खोजे गए।

तीन भिन्न देशों के एक दूसरे से अपरिचित वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र रूप से कार्य करते  हुए अपने प्रयोग किए और मेंडल के निष्कर्षों के समान ही पहुंचे।

इस प्रकार इन तीनों वैज्ञानिकों को मेंडलवाद के पुनर्खोजकर्ता माना जाता है।

  • ह्यूगो डी व्रीज़ (हौलेंड)
  • कार्ल कोरेन्स (जर्मनी)
  • इरिक वॉन शेरमेक (ऑस्ट्रिया)

मेंडल की सफलता के कारण

मेंडल की सफलता के मुख्य कारण निम्न है

1 मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए ऐसे पौधे का चयन किया जो ऐसे लक्षणों की दृष्टि से आनुवंशिक रूप से शुद्ध थे शुद्धता की जांच स्वपरागण से उत्पन्न F1 पीढ़ी से की जा सकती है।

2  मेंडल की सफलता का एक मुख्य कारण एक समय में एक ही लक्षण की वंशानुगति का अध्ययन करना था।

3 मेंडल ने अपने प्रयोगो का सांख्यिकीय विश्लेषण /अभिलेख रखा तथा उनका गणितीय विश्लेषण कर F1 पीढ़ी तक अध्ययन कर परिणामों को सुनिश्चित किया।

मटर के पौधे का चुनाव

मेंडल की सफलता में मटर के पौधे का चयन महत्वपूर्ण रहा कुछ विशेषताओं के कारण पाईसम सेटाईवम इसमें महत्वपूर्ण रहा

1 मटर का पौधा 1 वर्षीय शाक है अतः 1 वर्ष में इसकी कई पीढ़ियों का अध्ययन संभव है

2  इसके पुष्प बड़े तथा द्विलिंगी होते हैं अतः पर परागण एवं विपुंसन की क्रिया सफलता पूर्वक हो जाती है जो संकरण की आवश्यक क्रियाएं हैं।

3 प्राकृतिक रूप से मटर के पौधे में स्वनिषेचन होता है अतः पौधे समयुग्मजी होते हैं

4 आवश्यकता अनुसार मटर के पौधे में पर परागण करवाया जा सकता है।

5 मटर के कई पौधों में विभिन्न विपर्यासी लक्षण स्पष्ट रूप से पाए जाते हैं।

संकर संकरण

एक संकर संकरण वह संकरण जिसमें एक लक्षण की वंशानुगति  का अध्ययन किया जाता है, एक संकर संकरण कहलाता है।


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