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RBSE Solution for Class 9 Math Chapter 1 संख्या पद्धति

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Last Updated on March 14, 2023 by Rohitash Kumawat

RBSE Solution for Class 9 Math Chapter 1 संख्या पद्धति

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.1

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य? कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए
(i) प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
उत्तर:
सत्य है। प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण वर्ग संख्या होती है। यह कथन सत्य है क्योंकि पूर्ण संख्याओं के संग्रह में सभी प्राकृत संख्याएँ भी होती हैं, केवल शून्य ही अतिरिक्त होता है।

पूर्ण संख्याएँ अतः यह भी कहा जा सकता है कि प्रत्येक पूर्ण संख्या प्राकृतं संख्या नहीं होती लेकिन प्रत्येक प्राकृत संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।

(ii) प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या होती है।
उत्तर:
असत्य है। दिया गया कथन कि प्रत्येक पूर्णांक एक पूर्ण संख्या होती है सत्य नहीं है क्योंकि पूर्ण संख्याओं के संग्रह में 0, 1, 2, 3, … आदि संख्याएँ ही होती हैं ऋणात्मक संख्याएँ जैसे – 3, – 2, – 1 आदि नहीं।

(iii) प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है।
उत्तर:
असत्य है। दिया गया कथन कि प्रत्येक परिमेय संख्या एक पूर्ण संख्या होती है, सत्य नहीं है क्योंकि पूर्ण संख्याएँ परिमेय संख्याओं का ही भाग होती हैं। जैसे 5/7 में एक परिमेय संख्या है किन्तु पूर्ण संख्या नहीं है।

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.2

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए कथन सत्य हैं या असत्य हैं। कारण के साथ अपने उत्तर दीजिए
(i) प्रत्येक अपरिमेय संख्या एक वास्तविक संख्या होती है।
उत्तर:
दिया गया कथन सत्य है क्योंकि प्रत्येक वास्तविक संख्याओं का संग्रह परिमेय और अपरिमेय संख्याओं के संग्रह से मिलकर ही बनता है। अर्थात् अन्य शब्दों में कहा जाए तो परिमेय संख्या एवं अपरिमेय संख्या दोनों ही वास्तविक संख्याओं का भाग होती हैं।

(ii) संख्या रेखा का प्रत्येक बिन्दु √m के रूप का होता है, जहाँ m एक प्राकृत संख्या है।
उत्तर:
दिया गया कथन असत्य है क्योंकि वास्तविक संख्याएँ ….. – 4, – 3, – 2, – 1 संख्या रेखा पर हैं लेकिन ये किसी भी प्राकृत संख्या के वर्गमूल के रूप का नहीं हैं।

(iii) प्रत्येक वास्तविक संख्या एक अपरिमेय संख्या होती है।
उत्तर:
दिया गया कथन असत्य है क्योंकि वास्तविक रेखाओं के संग्रह में परिमेय संख्याओं एवं अपरिमेय संख्याओं का संग्रह होता है। अतः परिमेय संख्याएँ वास्तविक संख्याएँ होते हुए भी अपरिमेय संख्याएँ नहीं हो सकती।

प्रश्न 2.
क्या सभी धनात्मक पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय होते हैं? यदि नहीं, तो एक ऐसी संख्या के वर्गमूल का उदाहरण दीजिए जो एक परिमेय संख्या है।
हल:
नहीं। सभी धनात्मक पूर्णांकों के वर्गमूल अपरिमेय नहीं होते हैं। जैसे -4, 9, 16, 25, 36, …. आदि धनात्मक पूर्णांक हैं लेकिन इनके वर्गमूल एक अपरिमेय संख्या न होकर परिमेय संख्या है, जैसे
√4 = 2 = एक परिमेय संख्या
√9 = 3 = एक परिमेय संख्या
√16 = 4 = एक परिमेय संख्या
√25 = 5 = एक परिमेय संख्या
√36 = 6 = एक परिमेय संख्या आदि।

प्रश्न 3.
दिखाइए कि संख्या रेखा पर 15 को किस प्रकार निरूपित किया जा सकता है?
हल:
∵ 5 = (2)2 + (1)2

यहाँ हम √5 की रचना एक समकोण त्रिभुज के कर्ण की लम्बाई के रूप में तथा आधार व लम्ब की लम्बाई के रूप में 2 व 1 एकक (इकाई) के रूप में करेंगे।
माना कि Ox एक संख्या रेखा है जिस पर 0 शून्य (0) को और A, 2 एकक लम्बाई को निरूपित करता है। अब एक रेखा AB, OA पर खींची जो A बिन्दु पर लम्ब है अर्थात् AB ⊥ OA. अब AB = 1 एकक लम्बाई पर B बिन्दु लिखेंगे।

अब OB2 = OA2 + AB2
= (2)2 + (1)2
= 4 + 1 = 5
∴ OB = 15
संख्या रेखा पर निरूपण करने के लिए एक परकार की सहायता से 0 को केन्द्र और OB को त्रिज्या मानकर हम संख्या रेखा पर एक बिन्दु P अंकित करेंगे जो कि संख्या रेखा पर √5 के संगत है। अत: P वह बिन्दु होगा जो अपरिमेय संख्या √5 का निर्धारण करेगा।

प्रश्न 4.
कक्षा के लिए क्रियाकलाप (वर्गमूल सर्पिल की रचना)
हल:

कागज की एक बड़ी शीट लीजिए और नीचे दी गई विधि से वर्गमूल सर्पिल की रचना कीजिए। अर्थात् सबसे पहले एक O बिन्दु लीजिए और एकक लम्बाई का रेखाखण्ड OP1 खींचिए। आद एकक लम्बाई वाले OP1
की रचना पर लम्ब रेखाखण्ड P1P2 खींचिए अर्थात् OP1 ⊥ PP2.

इसी प्रकार OP2 पर लम्ब रेखाखण्ड P2P3 खींचिए व OP3 पर लम्ब रेखाखण्ड P3P4 खींचिए। इस प्रक्रिया को जारी रखते हुए OPn-1 पर एकक लम्बाई वाला लम्ब रेखाखण्ड खींचकर आप रेखाखण्ड Pn-1 Pn. प्राप्त कर सकते हो। इस प्रकार आप बिन्दु O, P1, P2, P3, …… Pn…… प्राप्त कर लेंगे और उन्हें मिलाकर √2, √3, √4,….. को प्रदर्शित करने वाला एक सुन्दर सर्पिल प्राप्त कर सकते हो। 

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित भिन्नों को दशमलव रूप में लिखिए और बताइए कि प्रत्येक का दशमलव प्रसार किस प्रकार का है


या x= 0.6666 ………..(i)
दोनों पक्षों में 10 का गुणा करने पर
10x = 10 × (0.6666…) = 6.6666 ….
⇒ 10x = 6.6666……….(ii)
समीकरण (ii) में से (i) को घटाने पर
10x – x = (6.6666…..) – (0.6666)
या 9x = 6

प्रश्न 4.
0.9999….. को p/q के रूप में व्यक्त कीजिए। क्या आप अपने उत्तर से आश्चर्यचकित हैं ? अपने अध्यापक और कक्षा के सहयोगियों के साथ उत्तर की सार्थकता पर चर्चा कीजिए।
हल:
माना कि x = 0.9999 ………(i)
दोनों पक्षों में 10 से गुणा करने पर
10x = 10 × (0.99999…..)
10x = 9.9999 ……….(ii)
समीकरण (ii) में से (i) को घटाने पर
10x – x = (9.9999….) – (0.9999….)
⇒ 9x = 9
⇒ x = 9/9 = 1
अतः 0.99999….. = 1

हाँ। हम उत्तर से आश्चर्यचकित हैं। परन्तु उत्तर सार्थक है क्योंकि प्रश्नानुसार हम देखते हैं कि 0.9999….. सतत है अर्थात् दशमलव के बाद 9 का अंक लगातार आएगा। अर्थात् 1 और 0.9999 के बीच कोई रिक्तता या शून्यता नहीं है। अत: वे समान हैं।

प्रश्न 5.
\frac{1}{17} के दशमलव प्रसार में अंकों के पुनरावृत्ति खण्ड में अंकों की अधिकतम संख्या क्या हो सकती है? अपने उत्तर की जाँच करने के लिए विभाजन क्रिया कीजिए।
हल:

यहाँ शेष 1 रहने पर चरण B अर्थात् आगे का हल प्रथम चरण A के अनुसार है।

प्रश्न 6.
p/q (q ≠ 0) के रूप की परिमेय संख्याओं के अनेक उदाहरण लीजिए, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, जिनका 1 के अतिरिक्त अन्य कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड नहीं है और जिसका सांत दशमलव निरूपण (प्रसार) है। क्या आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि 4 को कौनसा गुण अवश्य सन्तुष्ट करना चाहिए?
हल:
 आदि हो सकती हैं जिनका सात दशमलव निरूपण होता है। सात दशमलव की परिभाषा के अनुसार जब किसी परिमेय संख्या का हर 2 या 5 या दोनों की घात में हो तो ऐसी परिमेय संख्याओं से सांत दशमलव प्राप्त होता है। अन्य शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि परिमेय संख्या \frac{p}{q} (q ≠ 0) को सांत दशमलव रूप में निरूपित करने के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक ऐसा लिया जाए कि के अभाज्य गुणनखण्ड में केवल 2 के घात या 5 के घात या दोनों ही हों।

प्रश्न 7.
ऐसी तीन संख्याएँ लिखिए जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती हों।
हल:
हम जानते हैं कि एक अपरिमेय संख्या का दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती होता है या इसका विलोम अर्थात् वह संख्या जिसका दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती होता है, अपरिमेय होती है।
अतः √2 = 1.41421356237 …..
√3 = 1.73205080756 …..

√10 = 3.16227766016 …..
इन उदाहरणों के अतिरिक्त छात्र स्वयं भी कुछ अन्य अपरिमेय या ऐसी संख्याएँ लिख सकते हैं जिनके दशमलव प्रसार अनवसानी हों। जैसे
0.01001000100001……,
0.202002000200002…..,
0.003000300003….. आदि।

प्रश्न 8.
परिमेय संख्याओं में 5/7 और 9/11 के बीच की = तीन अलग-अलग अपरिमेय संख्याएँ ज्ञात कीजिए।
हल:
परिमेय संख्या \frac{5}{7} का दशमलव निरूपण निम्नानुसार है-

इसके आगे हल करने की प्रक्रिया पूर्वानुसार है।


प्रश्न 9.
बताइए कि निम्नलिखित संख्याओं में कौन-कौन संख्याएँ परिमेय और कौन-कौन संख्याएँ अपरिमेय हैं
(i) √23
(ii) √225
(iii) 0.3796
(iv) 7.478478…..
(v) 1.101001000100001…..
हल:
अपरिमेय संख्याएँ-(i) व (v) हैं।
(i) √23 अभाज्य संख्या होने के कारण अपरिमेय है क्योंकि अभाज्य संख्या एक पूर्ण वर्ग संख्या नहीं होती है।
(v) 1.101001000100001….. यह संख्या अपरिमेय संख्या है क्योंकि दशमलव प्रसार अनवसानी अनावर्ती है।
परिमेय संख्याएँ-(ii), (iii) व (iv) हैं।

(iii) 0.3796 का दशमलव प्रसार सांत दशमलव होने के कारण परिमेय संख्या है।
(iv) 7.478478…. का दशमलव प्रसार अनवसानी आवर्ती होने के कारण एक परिमेय संख्या है।

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.4

प्रश्न 1.
उत्तरोत्तर आवर्धन करके संख्या रेखा पर 3.765 को देखिए।
हल:

इस प्रश्न को हल करने की उत्तरोत्तर आवर्धन प्रक्रिया के निम्नलिखित पद होंगे
(i) दी गई संख्या 3.765, 3 व 4 के बीच स्थित है अर्थात् अन्तराल [3, 4] हुआ। अंतराल [3, 4] को 10 बराबर भागों में बाँट दिया गया तथा आवर्धन शीशे से [3.7, 3.8] को देखा [चित्र (i) के अनुसार] ।

(ii) अब [3.7, 3.8] अन्तराल को पुनः 10 बराबर भागों में बाँटा तथा आवर्धन शीशे से यह देखा कि संख्या 3.765 किस अन्तराल में है? यह अन्तराल [3.76, 3.77] है [चित्र (ii) के अनुसार] ।

(iii) अब अन्तराल [3.76, 3.77] को पुनः 10 बराबर भागों में बाँटा तथा आवर्धन लैंस में दी गई संख्या 3.765 को चित्र (iii) के अनुसार प्राप्त किया जो कि 3.764 व 3.766 के बीच स्थित है।

प्रश्न 2.

(ii) अब अन्तराल [4.2, 4.3] को पुनः 10 बराबर भागों में विभाजित किया तथा आवर्धन शीशे से यह देखा कि संख्या 4.2626… किस अन्तराल में है? यह अन्तराल [4.26, 4.27] है [चित्र (ii) के अनुसार] ।

(iii) अब अन्तराल [4.26, 4.27] को पुन: 10 बराबर भागों में विभाजित किया। आवर्धन शीशे से [4.262, 4.263] के अन्तराल में दी गई संख्या 4.2626… प्राप्त हुई [चित्र (iii) के अनुसार] ।

(iv) अंत में पुनः [4.262, 4.263] अन्तराल को 10 बराबर भागों में विभाजित किया तथा आवर्धन शीशे से 4.2626 को देखा जो अन्तराल [4.2625, 4.2627] के बीच स्थित है [चित्र (iv) के अनुसार] ।

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.5

प्रश्न 1.
बंताइए नीचे दी गई संख्याओं में कौन-कौन परिमेय हैं और कौन-कौन अपरिमेय हैं
(i) 2 – √5
उत्तर:
2 – √5
हम जानते हैं कि एक परिमेय तथा अपरिमेय संख्या का अन्तर सदा ही अपरिमेय संख्या होता है। दी गई संख्या में 2 एक परिमेय संख्या है जिसमें से √5 अपरिमेय संख्या को घटाना है। घटाने पर निश्चित ही एक अपरिमेय संख्या प्राप्त होगी अर्थात् 2 – √5 = अपरिमेय संख्या

(ii) (3 + √23) – √23
उत्तर:
(3 + √23) – √23
= 3 + √23 – √23 = 3 = एक परिमेय संख्या अर्थात् दी गई संख्या एक परिमेय संख्या है।

हम जानते हैं कि शून्येतर परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का भागफल सदैव एक अपरिमेय संख्या होता है। अत: दी गई संख्या एक अपरिमेय संख्या है।

(v) 2π
उत्तर:
2π, इस दी गई संख्या में 2 एक परिमेय संख्या है तथा 7 एक अपरिमेय संख्या है। हम जानते हैं कि एक शून्येतर परिमेय संख्या तथा एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल सदैव ही एक अपरिमेय संख्या होता है। अतः दी गई संख्या एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित व्यंजकों में से प्रत्येक व्यंजक को सरल कीजिए
(i) (3 + √3)(2+ √2)
हल:
(3 + √3)(2 + √2)
= 3 × 2 + 3 – 2 + 2√3 + √3 × √2
= 6 + 3√2 + 2√3 + √6

(ii) (3 + √3)(3 – √5)
हल:
(3 + √3)(3 – √3)
= 3 × 3 – 3√3 + 3√3 – √3 × √3
= 9 – 3 = 6

(iii) (√5 + √2)2
हल:
(√5 + √2)2
= (√5)2 + (√2)2 + 2√5 × √2
[सूत्र (a + b)2 = a2 + b2 + 2ab के अनुसार]
= 5 + 2 + 2√10
= 7 + 2√10

(iv) (√5 – √2)(√5 + √2)
हल:
(√5 – √2) (√5 + √2)
= (√5)2 – (√2)2
[सूत्र (a – b) (a + b) = a2 – b2 के अनुसार]
= 5 – 2 = 3.

प्रश्न 3.
आपको याद होगा कि 1 को एक वृत्त की परिधि (मान लीजिए c) और उसके व्यास (मान लीजिए d) के अनुपात से परिभाषित किया जाता है, अर्थात् π = c/d है। इस तथ्य का अंतर्विरोध करता हुआ प्रतीत होता है कि π अपरिमेय है। इस अंतर्विरोध का निराकरण आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
इसका कोई अन्तर्विरोध नहीं है क्योंकि एक वृत्त की परिधि (c) तथा उसका व्यास (d) अपरिमेय होते हैं। इसका कारण यह है कि जब कभी भी एक स्केल से या किसी अन्य युक्ति से लम्बाई मापते हैं, तब केवल एक निकटतम परिमेय मान प्राप्त होता है। इसी कारण आप यह अनुभव नहीं कर पाते हैं कि c या d अपरिमेय हैं। यहाँ
π = c/d
अत: ए एक अपरिमेय संख्या है।

प्रश्न 4.
संख्या रेखा पर √9.3 को निरूपित कीजिए।
उत्तर:
√9.3 को संख्या रेखा पर प्रदर्शित करने के लिए सर्वप्रथम एक दी हुई रेखा पर एक स्थिर बिन्दु A से 9.3 एकक की दूरी पर एक अन्य बिन्दु B अंकित किया अर्थात् अब AB = 9.3 एकक। बिन्दु B से 1 एकक की दूरी पर एक और बिन्दु C अंकित कर दिया। अब रेखा AC का समद्विभाग कर बिन्दु 0 ज्ञात कर लिया। अब O को केन्द्र मानकर OC के बराबर त्रिज्या लेकर एक अर्द्धवृत्त की रचना की। अब AC पर एक लम्ब रेखा खींचिए जो B से होकर जाए तथा अर्द्धवृत्त को बिन्दु D पर काटे। इस प्रकार प्राप्त BD = 19.3 है। केन्द्र B से BD त्रिज्या का चाप खींचा जो BX को E पर काटे। इस प्रकार प्राप्त BE संख्या रेखा पर √9.3 को निरूपित करता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित के हरों का परिमेयीकरण कीजिए-


हल:


दी गई संख्या के अंश व हर में √5 – √2 से गुणा करने पर


दी गई संख्या के अंश व हर में √7 + 2 से गुणा करने पर

Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6

प्रश्न 1.
ज्ञात कीजिए


RBSE Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 3
[सूत्र (am)n = am × n के अनुसार]
= 51 = 5

प्रश्न 2.
ज्ञात कीजिए

हल:


हल:


हल:


हल:

प्रश्न 3.
सरल कीजिए-

हल:


हल:


हल:


हल:
RBSE Solutions for Class 9 Maths Chapter 1 संख्या पद्धति Ex 1.6 11

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