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RBSE Solution for Class 9 English Moments Chapter 10 The Beggar

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RBSE Solution for Class 9 English Moments Chapter 10 The Beggar

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

पाठ के विषय में : लशकॉफ नामक भिखारी को किस बात ने अपने तरीके बदलने के लिए प्रेरित किया? आओ पढ़ें और पता लगाएँ।

1. Kind sir,………….. somewhere before. 

कठिन शब्दार्थ : Have pity (हैव् पिटि) = दया करें, copecks (कोपेक्स) = रूबल (जैसे भारत में रुपया है) का सौवाँ भाग (जैसे भारत में ‘पैसा’ है), swear (स्वेअ(र)) = कसम खाना, intrigue (इन्ट्रीग्) = षड्यन्त्र, victim (विक्टिम्) = शिकार, calummy (कैल्म्नी ) = झूठा आरोप, ragged (रैग्ड) = फटा हुआ, fawn-coloured (फॉन् कलॅड्) = पीले रंग का, suppliant (सप्लाअन्ट) = प्रार्थी, drunken (ड्रङ्कन्) = नशीली।

हिन्दी अनुवाद : ‘मेहरबानी महोदय, दया करें; अपना ध्यान एक निर्धन, भूखे आदमी की ओर दें! तीन दिनों से मैंने कुछ नहीं खाया है, मेरे पास किसी स्थान पर रहने के लिए पाँच कोपैक्स (सिक्के) नहीं हैं, मैं ईश्वर की कसम खाता हूँ। आठ वर्ष तक मैं गाँव के एक स्कूल में अध्यापक था और तब षड्यन्त्रों के कारण मेरी नौकरी छूट गई। मैं झूठे आरोपों का शिकार हो गया। एक वर्ष से मेरे पास करने के लिए कुछ नहीं है (अर्थात् बेकार हूँ)।’ वकील सर्गेई ने प्रार्थी के फटे हुए पीले रंग के ओवरकोट की ओर, उसकी निस्तेज, शराबी आँखों की ओर, उसके दोनों गालों पर लाल धब्बों की ओर देखा और उसे महसूस हुआ मानो कि उसने इस आदमी को कहीं देखा था। 

2. “I have now………………..damn you!” 

कठिन शब्दार्थ : province (प्रॉविन्स) = प्रान्त, mendicant (मेडिकेन्ट) = भिखारी, obliged to (अब्लाइज्ड टु) = दबाव में आना, circumstances (सकम्स्टन्स्ज) = परिस्थितियाँ, expelled (इक्स्सपेल्ड) = निकाल दिया, mumbled (मम्ब्ल्ड ) = बुदबुदाया, अस्पष्ट बोला, taken aback (टेकन अबैक्) = भौचक्का रह जाना, flushed (फ्लश्ट्) = क्रोध से लाल हो गया. expression (इक्स्प्रेशन्) = भाव, disgust (डिस्गस्ट) = अरुचि, तिरस्कार, swindling (स्विड्लिङ्) = ठगी, damn you (डैम् न्यू) = बदमाश, शैतान ।

हिन्दी अनुवाद : “अब मुझे कालुगा प्रान्त में एक नौकरी की पेशकश आई है,” भिखारी कहता गया, “परन्तु वहाँ पहुँचने के लिए मेरे पास रुपए नहीं हैं। कृपया मेरी सहायता कीजिए। मुझे माँगने में शर्म आती है परन्तु परिस्थितियों के वश मुझे माँगना पड़ रहा है।”  सर्गेई की नज़रें उस व्यक्ति के बड़े जूतों के ऊपर पड़ीं जिनमें से एक ऊँचा था और दूसरा नीचा और अचानक उसे कुछ याद आ गया। “देखिए, मुझे ऐसा लगता है कि मैं तुमसे सदोव्या गली में परसों मिल चुका हूँ”, उसने कहा, “परन्तु तब तुमने मुझे बताया था कि तुम एक विद्यार्थी थे जिसे निकाल दिया गया है और तुम गाँव के स्कूल में अध्यापक नहीं थे। क्या तुम्हें याद है ?”

“न-नहीं, वैसा नहीं हो सकता है”, हक्का-बक्का होकर भिखारी अस्पष्ट बोलने लगा। “मैं गाँव के स्कूल का अध्यापक हूँ और यदि आप चाहें तो मैं आपको अपने प्रपत्र (दस्तावेज) दिखा सकता हूँ।” “झूठ बोल रहे हो! तुमने स्वयं को एक विद्यार्थी बताया था और तुमने मुझे यह भी बताया था कि किस कारण तुम्हें निष्कासित किया गया था। क्या तुम्हें याद नहीं है ?” सर्गेई लाल-पीला हो गया और तिरस्कार के भाव से उस फटे-हाल प्राणी के पास से मुड़ गया। “श्रीमान् ! यह सरासर बेईमानी है!” वह क्रुद्ध होकर चिल्लाया। “यह ठगी है। मैं अभी तुम्हारे पीछे पुलिस भेजता हूँ, तुम शैतान!” 

3. “Sir!” he said,…………….chop wood.” 

कठिन शब्दार्थ : fiction (फिक्श्न् ) = मनगढंत कहानी, formerly (फॉमलि) = पहले, choir (क्वाइअ(र)) = चर्च की भजन-मण्डली, drunkenness (ड्रङ्कन्नस) = नशे की आदत, get along (गेट अलॉङ्) = गुजारा करना, chop (चॉप्) = काटना, hastened (हेस्न्ड ) = जल्दी की।

हिन्दी अनुवाद : “श्रीमान्जी!” वह अपना हाथ अपने हृदय के ऊपर रखकर बोला, “सही बात यह है कि मैं झूठ बोल रहा था। मैं न तो विद्यार्थी हूँ और न ही स्कूल में अध्यापक। वह सब मनगढन्त बात थी। पहले मैं रूसी भजनमण्डली में काम किया करता था और मद्यपान करने के अपराध में मुझे निकाल दिया गया था। परन्तु मैं और क्या कर सकता हूँ? झूठ बोले बगैर मेरा गुजारा नहीं चल सकता है। जब तक मैं सच बोलूँगा, कोई मुझे कुछ भी नहीं देगा, मैं क्या कर सकता हूँ?” “तुम क्या कर सकते हो? तुम यह पूछते हो कि तुम क्या कर सकते हो?” उसके समीप आकर सर्गेई चीख पड़ा। “काम! यह तो तुम कर सकते हो? तुम्हें अवश्य काम करना चाहिए!”

हिला और गिर गया। भिखारी ने दोबारा उसे अपनी तरफ खींचा, अपने ठण्ड से जमे हुए हाथों पर फँक मारीऔर बड़ी सावधानी से उस पर हल्का आघात किया मानो वह डरा हुआ था कि कहीं कुल्हाड़ी उसके लम्बे जूते के ऊपर न लग जाए या उसकी अंगुली को नहीं काट दे; अब लकड़ी का टुकड़ा दोबारा जमीन पर गिर गया। सर्गेई का क्रोध समाप्त हो चुका था और अब उसे अपने पर अफसोस और थोड़ी शर्मिंदगी महसूस होने लगी थी, क्योंकि उसने एक नाकारा, शराबी और सम्भवतः बीमार व्यक्ति को ठण्ड में शारीरिक काम करने में लगा दिया था। एक घण्टे बाद ओल्गा अन्दर आई और उसने घोषणा की कि लकड़ी के टुकड़े काट दिए गये थे।

“ठीक है! उसे आधा रूबल दे दो,” सर्गेई ने कहा। “अगर उसकी इच्छा हो तो प्रत्येक महीने की पहली तारीख को लकड़ियाँ काटने आ जाया करे। हम उसकी खातिर हमेशा काम ढूँढ दिया करेंगे।” महीने की पहली तारीख को वह घुमक्कड़ व्यक्ति आ जाया करता था और बार-बार आधा रूबल कमा लिया करता था यद्यपि वह मुश्किल से ही अपनी टाँगों पर खड़ा हो सकता था। उस दिन के पश्चात् वह प्रायः प्रांगण में आ जाया करता था और हर बार उसके लिए काम तलाश कर दिया जाता था। कभी वह बर्फ को बेलचे से हटा दिया करता था, कभी लकड़ी वाले शैड को ढंग से कर देता था, कभी गद्दों या कालीनों की मिट्टी झाड़ दिया करता था। हर बार उसे 20 से 40 कोपेक्स तक मिल जाया करते थे और एक बार उसे एक जोड़ा पुराने पायजामे भी दे दिए गए। 

6. When Sergei …………………………. yard for work.

कठिन शब्दार्थ : hired (हाइअ(र)ड) = भाड़े पर रखना, hauling (हाल्ङ्) = खींच कर बाहर निकालना, sober (सोबॅ (र)) = गम्भीर, gloomy (ग्लूमि) = निराश, उदास, wagons (वैगन्स) = छकड़ा/गाड़ियाँ, pretence (प्रिटॅन्स्) = बहाना, दिखावा, shivered (शिव(र)ड) = काँप रहा था, embarassed (इम्बैरस्ट) = शर्मिंदा हुआ, carters (काट(र)स) = गाड़ीवान, jeered (जिअ(र)ड) = मजाक उड़ाया, idleness (आइङ्ल्न्स ) = आलस्य, feebleness (फीब्ल्न स) = कमजोरी, tattered (टैटड्) = घिसा और फटा हुआ, effect (इफेक्ट्) = प्रभाव, tapped (टैप्ट) = थपकी दी, parting (पाटिङ्) = जुदा होना।

हिन्दी अनुवाद : जब सर्गेई दूसरे मकान में स्थानान्तरित हुए, तो उन्होंने सामान बाँधने और फर्नीचर को बाहर निकलवाने में उसको भाड़े पर रख लिया। इस बार वह घुमक्कड़ गम्भीर, उदास तथा शान्त था। उसने मुश्किल से ही फनीचर को छुआ और अपना सिर लटकाकर गाड़ियों के पीछे घूमता रहा और उसने व्यस्त रहने का दिखावा भी नहीं किया।

वह केवल ठण्ड में काँपता रहा और उस समय लज्जित महसूस करने लगा जब गाड़ी हाँकने वालों ने उसके आलसी होने, उसकी निर्बलता और घिसे-पिटे बेढंगे ओवरकोट का मजाक उड़ाया। जब स्थानान्तरण का काम समाप्त हो गया, तब सर्गेई ने उसे बुलाया। – “अच्छा, मुझे खुशी है कि मेरे शब्दों का असर हुआ है,” उसे एक रूबल देते हुए वह बोला। “यह तुम्हारी तकलीफों का पुरस्कार है। मैं देख रहा हूँ कि तुम गम्भीर हो और काम करने में तुम्हें कोई आपत्ति नहीं होती है। तुम्हारा क्या नाम है?” “लशकॉफ।” “ठीक है, लशकॉफ, अब मैं तुम्हें कोई दूसरी, साफ-सुथरी नौकरी दे सकता हूँ। क्या तुम लिखना जानते हैं?” “मैं लिख सकता हूँ।”

“तो कल मेरा यह पत्र मेरे एक मित्र के पास ले जाना और आपको नकल करने (लिखने) का कुछ काम मिल जाएगा। कठोर परिश्रम करते रहना, शराब मत पीना और जो कुछ भी मैंने आपसे कहा है, उसे याद रखना। अलविदा!” एक व्यक्ति को सही रास्ते पर लगा देने की खुशी से सर्गेई ने लशकॉफ के कंधे के ऊपर हल्के से थपथपाया और यहाँ तक कि जुदा होते समय उससे हाथ मिलाया। लशकॉफ ने पत्र ले लिया और उस दिन के बाद वह उस प्रांगण में कभी भी काम के लिए वापस नहीं आया।

7. Two years went ………………………… glad, indeed.”

कठिन शब्दार्थ : curly (कलि) = धुंघराले, timidly (टिमिड्लि) = डरते-डरते, individual (इन्डिविजुअल) = व्यक्ति, notary (नउटॅरि) = लेखपत्रों को प्रमाणित करने वाला अधिकारी, delighted (डिलाइटिड्) = आनन्दित हुआ, godson (गॉडसन्) = धर्मपुत्र, push (पुश्) = प्रेरणा दी, to give roasting (टु गिव रोस्ट्रङ्) = मजाक उड़ाना, sinking (सिङ्ङ् ) = बेहोश होना, protection (पॅटेक्श्न्) = सुरक्षा, dragged (ड्रैग्ड) = खींचकर बाहर किया, indeed (इन्डीड्) = वास्तव में।

हिन्दी अनुवाद : दो वर्ष बीत गए। फिर एक दिन शाम को, ज्यों ही सर्गेई एक थियेटर की टिकटखिड़की के पास अपनी सीट बुक कराने के लिए भुगतान कर रहा था, तो उसने अपने नजदीक एक छोटे आदमी को देखा जिसके कोट का कालर धुंघराले रोएं का था और वह सील मछली की त्वचा की बनी एक फटी-पुरानी टोपी पहने हुए था। उस छोटे व्यक्ति ने डरते हुए टिकट-विक्रेता से गैलरी की एक सीट देने के लिए कहा और ताँबे के सिक्कों में उसके लिए भुगतान किया।

“लशकॉफ, क्या तुम हो?” सर्गेई जोर से बोला, उसने बौने व्यक्ति के रूप में अपने पुराने लकड़ी काटने वाले को पहचाना। “तुम्हारा कैसा हाल-चाल है? तुम क्या काम कर रहे हो? तुम्हारा सब-कुछ कैसे चल रहा “ठीक ही है। अब मैं एक लेख्यप्रमाणक (नोटरि) हूँ और मुझे प्रति महीना पैंतीस रूबल मिलते हैं।”

“भगवान का धन्यवाद करो! यह तो बहुत अच्छा है! मुझे तुम्हारी इस बात पर बड़ी खुशी हुई है। लशकॉफ, मुझे अत्यधिक प्रसन्नता हुई है। देखिए, आप एक प्रकार से मेरे धर्मपुत्र हैं। आप जानते ही हैं कि मैंने तुम्हें सही मार्गदर्शन दिया था।

क्या तुम्हें याद है कि मैंने तुम्हारी आलोचना की थी, एह? मैंने उस दिन तुम्हें लगभग अपने पैरों पर गिरा दिया था। भले पुरुष, मेरे शब्द याद रखने के लिए तुम्हारा धन्यवाद।” “आपका भी धन्यवाद”, लशकॉफ ने कहा, “यदि मैं आपके पास नहीं आता तो आज तक स्वयं को अध्यापक या विद्यार्थी कहता फिरता। हाँ, आपके संरक्षण में आकर मैं गड्ढे से बाहर निकल आया हूँ।” “मुझे वास्तव में अत्यधिक खुशी है।” 

8. Thank you for………………to the gallery. 

कठिन शब्दार्थ : deeds (डीड्ज) = कार्य, grateful (ग्रेटफ्ल) = आभारी, noble (नोब्ल्) = सज्जन, indebted (इन्डेटिड्) = आभारी, ऋणी, sot (सॉट्) = पियक्कड़, miserable (मिज़ब्ल्) = बेचारा, creature (क्रीच(र)) = प्राणी, ruin (रूइन्) = सर्वनाश, pleasure (प्लेश(र)) = खुशी, carry on (कैरि ऑन) = जारी रखना, strain (स्ट्रेन्) = आवाज, misery (मिजरि) = दुःख, shed (शेड्) = बहाए, owing to (ओइङ टू) = के कारण, however (हाउएव(र)) = फिर भी, bowed (बोड) = नतमस्तक हुआ।

हिन्दी अनुवाद : “आपके दयालु शब्दों और कार्यों के लिए आपका धन्यवाद। मैं आपका और आपकी रसोइया का अत्यधिक आभारी हूँ। भगवान उस भली और नेक महिला को खुश रखे! उस समय आपने बहुत ही अच्छी बात कही थी और मैं आपका आजीवन ऋणी रहूँगा, लेकिन स्पष्ट बात यह है कि आपकी रसोइया, ओल्गा ने मुझे बचाया (उबारा) है।”

“वह कैसे ?” “जब कभी मैं लकड़ियाँ काटने के लिए आपके घर आया करता था तो वह कहना प्रारम्भ कर देती थी : ‘अरे, तुम पियक्कड़! अरे तुम दयनीय प्राणी! तबाही के अतिरिक्त तेरे भाग्य में कुछ भी नहीं है।’ और तब वह मेरे सामने बैठ जाया करती थी और उदास हो जाया करती थी, मेरे चेहरे की तरफ देखा करती थी और रो पड़ती थी। ‘ओ, तू अभागे व्यक्ति ! इस संसार में तेरे भाग्य में कोई खुशी नहीं है और अगले जन्म में भी तुझे खुशी नसीब नहीं होगी। शराबी! तू नरक में जलेगा। अरे, तू बदकिस्मत व्यक्ति!’ और इसी प्रकार, उसी लहजे में वह बड़बड़ाती रहती थी। 

मैं आपसे यह बयान नहीं कर सकता हूँ कि उसे मेरे कारण कितना दुःख हुआ होगा और उसने मेरे लिए कितने आँसू बहाए होंगे। परन्तु मुख्य बात यह थी वह मेरे लिए लकड़ियाँ काटा करती थी। श्रीमान्जी, क्या आपको पता है कि मैंने आपके लिए एक लकड़ी भी नहीं काटी थी? वह सब-कुछ उसने किया था।

इस बात ने मुझे बचाया है और उसी कारण मैं बदल गया हूँ, मैं इस बात का स्पष्टीकरण नहीं दे सकता हूँ कि मैंने उसकी उपस्थिति में शराब पीना क्यों छोड़ दिया था। मुझे केवल यह ज्ञात है कि उसके शब्दों और नेक कार्यों की वजह से ही मेरे हृदय में परिवर्तन आ गया है, उसी ने मुझे ठीक मार्ग पर लगा दिया है और मैं उसे कभी नहीं भूलूँगा। खैर, अब जाने का समय हो गया है, घण्टी बज चुकी है।” लशकॉफ ने प्रणाम किया और जुदा होकर गलियारे में चला गया।

Textbook Questions and Answers

Think About It

Question 1.
Has Lushkoff become a beggar by circumstances or by choice? 
क्या लशकॉफ परिस्थितिवश भिखारी बना है अथवा अपनी इच्छा से?
Answer: 
Lushkoff became a beggar by choice and not by circumstances. He never asked for work. He always asked for alms. He would say that he was hungry for many days and had nothing to eat. He never looked for work.

लशकॉफ अपनी इच्छा से भिखारी बना था न कि परिस्थितियोंवश । वह कभी काम की माँग नहीं करता था। वह सदा भीख की माँग करता था। वह कहता था कि वह अनेक दिनों से भूखा था और उसके पास खाने को कुछ नहीं था। वह कभी काम की तलाश नहीं करता था।

Question 2. 
What reasons does he give to Sergei for his telling lies ? 
वह सर्गेई को अपने झूठ बोलने के लिए क्या कारण बताता है?
Answer: 
The beggar justifies telling lies because he can not get along without this tact. He will that nobody will give him anything if he tells the truth.

भिखारी झूठ बोलने को उचित ठहराता है, क्योंकि झूठ बोले बिना इसका काम नहीं चल सकता है। उसने कहा कि यदि वह सच बोलेगा तो उसे कोई कुछ नहीं देगा।

Question 3. 
Is Lushkoff a willing worker? Why, then, does he agree to chop wood for Sergei ?
क्या लशकॉफ इच्छा से काम करता है? तब क्यों वह सर्गेई की लकड़ी काटना स्वीकार करता है?
Answer: 
No, Lushkoff was not a willing worker. He agreed because he had been trapped by his own words. He had said that he would not refuse to chop wood if he could get such a work.

नहीं, लशकॉफ स्वेच्छा से काम करने वाला आदमी नहीं था। वह सहमत इसलिए हुआ क्योंकि वह अपने ही शब्दों के जाल में फंस चुका था। उसने कहा था कि वह लकड़ियाँ काटने के काम से इनकार नहीं करेगा अगर उसे ऐसा काम मिल जाए।

Question 4. 
Sergei says, “I am happy that my words have taken effect.” Why does he say so ? Is he right in saying so?
सर्गेई कहता है, “मैं प्रसन्न हूँ कि मेरे शब्दों का असर हुआ है।” वह ऐसा क्यों कहता है? क्या उसका . ऐसा कहना सही है?
Answer: 
When Sergei moved into another house, he hired Lushkoff to help him in packing and hauling the furniture. Sergei thought that Lushkoff had been doing the work very well and had rather stopped begging for his work. After the moving was over Sergei sent for him and said, ‘Tam happy that my words have taken effect.” He had asked him not to beg but work and earn his bread. So he thought that his words had the right effect on him. In my opinion, he was not right in saying so. He was still a work shirker.

जब सर्गेई दूसरे मकान में चला गया तो उसने लशकॉफ को पैकिंग करने तथा फर्नीचर सरकाने के काम में सहायता के लिए लगाया। सर्गेई ने सोचा कि लशकॉफ काम बहुत अच्छी तरह कर रहा था और उसने काम के लिए (काम की वजह से) भीख माँगना बन्द कर दिया था। स्थानान्तरण पूरा होने के बाद सर्गेई ने उसे बुलाया और कहा, “मैं खुश हूँ कि मेरे शब्दों का असर हो रहा है।” उसने उसे भीख नहीं माँगने तथा काम करने एवं आजीविका कमाने को कहा था। अतः उसने सोचा कि उसके शब्दों का उस पर सही असर हुआ था। मेरे विचार में, ऐसा कहने में वह सही नहीं था। वह अभी भी एक कामचोर था।

Question 5. 
Lushkoff is earning thirty-five roubles a month. How is he obliged to Sergei for this?
लशकॉफ प्रति महीना 35 रूबल्स कमा रहा है। वह इसके लिए सर्गेई का किस प्रकार आभारी है? 
Answer: 
Sergei sent Lushkoff to his friend with a letter to work as a copying clerk. Lushkoff was obliged to Sergei for recommending him for the job to his friend. With his hard work and sincerity he had become a notary officer and started earning thirty-five roubles per month. Thus, Sergei dragged Lushkoff out of a pit and helped him stand on his own feet. So Lushkoff was very grateful to Sergei.

सर्गेई ने लशकॉफ को एक नकल करने वाले क्लर्क के रूप में कार्य करने के पत्र के साथ अपने मित्र के पास भेजा। अपने मित्र को उसे कार्य पर लगाने की सिफारिश के लिए लशकॉफ सर्गेई का आभारी था। कठिन परिश्रम तथा वफादारी से वह एक लेखप्रमाणक (नोटेरि) बन गया तथा प्रति महीना पैंतीस रूबल कमाने लगा। इस प्रकार सर्गेई ने लशकॉफ को गड्ढे से बाहर निकाला और उसे अपने पैरों पर खड़े होने में मदद की। . अतः लशकॉफ सर्गेई का बहुत आभारी था।

Question 6. 
During their conversation Lushkoff reveals that Sergei’s cook, Olga, is responsible for the positive change in him. How has Olga saved Lushkoff ?
वार्ता के मध्य लशकॉफ खुलासा करता (बताता) है कि उसमें सकारात्मक परिवर्तन की जिम्मेदार सर्गेई की रसोइया, ओल्गा है। ओल्गा ने लशकॉफ का जीवन कैसे बचाया?
Answer: 
Sergei’s cook, Olga helped in changing the life of Lushkoff. She admonished and scolded him for his drinking habit. She always called him a miserable man. She always sat opposite to him and grew sad by looking into his face. She wept for him for his misery. She suffered great misery for his sake. She used to chop wood for him. Owing to her words and noble deeds, a change took place in his heart. He stopped drinking at the sight of her. So she changed his life.

सर्गेई की रसोइया, ओल्गा ने लशकॉफ के जीवन को बदलने में सहायता की। वह उसे सदैव उसकी शराबखोरी की आदत के लिए फटकारती थी तथा प्रताड़ित करती थी। वह उसे दुःखी प्राणी कहकर पुकारती थी। वह हमेशा उसके सामने बैठ जाती तथा उसके चेहरे को देखकर दुःखी होती थी। वह उसके कष्ट के लिए रोती थी। उसने उसके लिए बहुत कष्ट सहे। वह उसके लिए लकड़ी काटा करती थी। उसके शब्दों तथा अच्छे कार्यों से उसके हृदय में परिवर्तन हुआ। उसने  उसे देखकर ही शराब पीना छोड़ दिया। इस प्रकार उसने उसका जीवन बदल दिया। 

Talk About It

Q. How can we help beggars/abolish begging ?
हम किस प्रकार भिखारियों की सहायता अथवा भीख माँगने का उन्मूलन कर सकते हैं? 
Answer:
Help Beggars/Abolish Begging
Beggars and begging are a curse. A plan should be made to help beggars and thus abolish begging. Govt. and Corporate people should provide jobs to the beggars. A strict law should be enacted to ban begging. Offenders should be sent to reformation centres and not to prisons. Motivation should be given to the beggars. In this manner, we can help beggars.

भिखारी सहायता/भिक्षा उन्मूलन भिखारी व भिक्षा एक शाप है। भिखारियों की सहायता के लिए व भिक्षा उन्मूलन के लिए एक योजना बनानी चाहिए। सरकार व उद्योगपतियों को भिखारियों को काम देना चाहिए। भिक्षा पर प्रतिबन्ध के लिए एक सख्त कानून बनाना चाहिए। उल्लंघनकर्ताओं को सुधार केन्द्र भेजना चाहिए न कि जेल में। भिखारियों को अभिप्रेरित किया जाना चाहिए। इस प्रकार, हम भिखारियों की सहायता कर सकते हैं।

Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions

Question 1. 
What did the beggar look like? 
भिखारी कैसा लगता था?
Answer: 
The beggar wore a ragged fawn-coloured overcoat. His eyes were dull and drunken. He had red spot on either cheek.

भिखारी ने पीले रंग का ओवरकोट पहन रखा था। उसकी आँखें लाल और नशीली थीं। उसके दोनों गालों पर लाल निशान थे।

Question 2. 
What various jobs did the beggar do for the advocate? 
भिखारी ने वकील के भिन्न-भिन्न प्रकार के क्या कार्य किए?
Answer: 
The beggar chopped wood for the advocate. At times he would shovel the snow and beat the dust of rugs and mattresses.

भिखारी वकील के लिए लकड़ी काटता था। यदाकदा वह बेलचे से बर्फ हटाता और कालीन तथा गद्दों की धूल झाड़ता था।

Question 3. 
From the dining room window what did Sergei see Olga doing ? 
अपने भोजन कक्ष की खिड़की से सर्गेई ने ओल्गा को क्या करते हुए देखा?
Answer: 
Sergei saw Olga glare wrathfully at her companion. She shoved him aside with her elbow, unlocked the shed and angrily banged the door.

सर्गेई ने ओल्गा को क्रोध से अपने सहयोगी की ओर घूरते हुए देखा। उसने उसे अपनी कुहनी से एक तरफ हटाया। भण्डार का ताला खोला तथा गुस्से से धड़ाम से दरवाजा बन्द कर दिया।

Question 4. 
How did the advocate know that he had seen the beggar before? 
वकील ने किस प्रकार जाना कि वह पहले उस भिखारी से मिल चुका था?
Answer: 
The advocate saw the beggar’s gumboots one was high and the other was low. He can me to know that he had seen the beggar somewhere before.

वकील ने भिखारी के जूते देखे – एक जूता ऊँचा था और दूसरा जूता नीचा था। वह जान गया कि वह भिखारी से पहले कहीं मिल चुका है।

Question 5. 
Which two lies did the beggar tell the advocate to get alms from him? 
भिखारी ने वकील से भीख माँगने के लिए कौनसे दो झूठ बोले थे?
Answer: 
First; he told the advocate that he had been a village school teacher for eight years and that he lost his job because of intrigues. Secondly, he told him that he had an offer of a job in the province of Kaluga but had no money to get there.

पहले, वह वकील से कहता है कि वह आठ वर्ष तक एक स्कूल मास्टर रहा है और झूठे आरोपों के कारण उसकी नौकरी चली गई। दूसरे, वह उसे कहता है कि उसे कालुगा प्रान्त में नौकरी का प्रस्ताव है किन्तु उसके पास वहाँ जाने के पैसे नहीं हैं।

Question 6. 
What role did the cook play in changing the beggar’s life? 
भिखारी के जीवन में परिवर्तन लाने में भोजन पकाने वाली की क्या भूमिका थी?
Answer: 
When the beggar went to chop wood, the cook would rebuke and condemn him. She would sit opposite him grow sad and wept. She shed tears. She used to chop the wood for him. She set him right.

जब भिखारी लकड़ी काटने जाता था तो भोजन पकाने वाली उसे फटकारती थी और उसकी भर्त्सना करती थी। वह उसके सामने बैठ जाती थी और उदास हो जाती थी और रोती थी। वह आँसू बहाती थी। वह उसके लिए लकड़ी काटती थी। वह उसे (भिखारी को) सही रास्ते पर ले आई।

Long Answer Type Questions

Question 1. 
What did the beggar tell when the advocate got angry on being him a liar?
भिखारी के झूठा होने पर जब वकील नाराज हुआ तो भिखारी ने उसे क्या बताया?
Answer: 
The advocate lost his temper and began to shout at him for telling lies. On this the beggar grew silent and hung his head in confusion. He admitted that he was lying. He was neither a student nor a school teacher. Formerly he sang in Russian choir and was dismissed for drunkness. He told that no one would give him anything if he did not tell lies. If he spoke the truth he would starve to death or die of cold for lack of lodging.

वकील ने भिखारी के झूठ बोलने पर अपना आपा खो दिया। इस पर भिखारी मौन हो गया और उसने अपना सिर असमंजस अवस्था में झुका लिया। उसने स्वीकार किया कि वह झूठ बोल रहा था। न तो वह विद्यार्थी था और न स्कूल शिक्षक। पहले वह रूसी गायन मण्डली में था और शराब की आदत के कारण उसे निकाल दिया गया। उसने बताया कि यदि वह झूठ नहीं बोलेगा तो उसे कोई भी कुछ नहीं देगा। यदि वह सच बोलेगा तो वह भूख से मर जायेगा अथवा ठहरने के स्थान के अभाव में ठण्ड से मर जायेगा।

Question 2. 
How did the beggar earn money while he worked for the advocate? 
जब भिखारी वकील के लिए काम करता था तो धन कैसे अर्जित करता था?
Answer: 
When Olga gave a report that the work of chopping wood was finished, the advocate asked her to give him half a rouble. Then the advocate asked him to come if he wanted to work for him. He used to come on the first day of the month and earned half a rouble. He worked in the yard. Sometimes he would shovel snow or put the wood shed in order. Sometimes he would beat the dust out of rugs and mattresses. Everytime he received from twenty to forty copecks.

जब ओल्गा ने यह रिपोर्ट दी कि लकड़ी काटने का काम पूरा हो गया है तो वकील ने उससे भिखारी को आधा रूबल देने को कहा। फिर वकील ने उससे कहा कि यदि वह उसके लिए काम करना चाहे तो आ सकता है। वह प्रत्येक महीने के प्रथम दिन आता था और आधा रूबल कमाता था। वह आँगन में काम करता था। कभी-कभी वह बर्फ हटाता अथवा लकड़ी वाले आँगन को व्यवस्थित करता। कभी वह कालीनों या गद्दों की मिट्टी झाड़ दिया करता था। हर बार वह बीस से चालीस कॉपेक्स प्राप्त करता था।

Question 3. 
Describe the mental and physical state of Lushkoff when the advocate was shifting to another place?
लशकॉफ की उस समय की शारीरिक एवं मानसिक दशा का वर्णन करो जबकि वकील दूसरी जगह बदल रहा था।
Answer: 
When the advocate was shifting to another place, he hired Lushkoff to help in the packing and hauling the furniture. This time he was gloomy, sober and silent. He did not touch the furniture. He walked behind the wagons hanging his head. He also did not show that he was busy doing the work. When the carters made fun of him for his idleness, feebleness and for his fancy overcoat, he only shivered in the cold and became restless.

जब वकील दूसरी जगह बदल रहा था, उसने फर्नीचर खिसकवाने तथा पैकिंग में सहायता के लिए लशकॉफ को काम पर लगाया। इस बार वह दु:खी, गम्भीर और शान्त था। उसने फर्नीचर को हाथ तक नहीं लगाया। वह मालवाहकों के पीछे अपना सिर लटकाए चला गया। उसने व्यस्त होने का भी दिखावा नहीं किया। जब माल ढोने वाले उसकी कमजोरी, निकम्मेपन तथा रंग-बिरंगे कोट का मजाक बनाते थे तो वह ठंड से कांपता था और बेचैन हो जाता था।

RBSE Solution for Class 9 English Moments Chapter 10 The Beggar, Study Learner


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