RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः
हिन्दी अनुवाद
पाठ-परिचय – ‘सप्तभगिनी’ यह एक उपनाम है। उत्तर-पूर्व के सात राज्य विशेष को उक्त उपाधि दी गयी है। इन राज्यों का प्राकृतिक सौन्दर्य अत्यन्त विलक्षण है। इन्हीं के सांस्कृतिक और सामाजिक वैशिष्ट्य को ध्यान में रखका प्रस्तुत पाठ का सृजन किया गया है।
पाठ के नाट्यांशों के कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी-अनुवाद –
1. अध्यापिका-सुप्रभातम् …………………………………….. केन्द्रशासितप्रदेशाः अपि सन्ति।
कठिन-शब्दार्थ :
- ज्ञातुम् = जानने के लिए।
- शोभनम् = सुन्दर।
- चतुर्विंशति = चौबीस।
- पञ्चविंशति = पच्चीस।
- मे = मेरी।
- भगिनी = बहिन।
- अष्टाविंशतिः = अट्ठाईस।
- एतदतिरिच्य = इनके अतिरिक्त।
हिन्दी अनुवाद –
अध्यापिका – सुबह की नमस्कार।
छात्राएँ – सुप्रभात। सुप्रभात।
अध्यापिका – ठीक है। आज क्या पढ़ना है?
छात्राएँ – हम सब अपने देश के राज्यों के विषय में जानना चाहती हैं।
अध्यापिका – सुन्दर (ठीक है)। बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं?
सायरा – महोदया ! चौबीस। सिल्वी-नहीं, नहीं महोदया! पच्चीस राज्य हैं।
अध्यापिका – अन्य कोई भी?
स्वरा – (बीच में ही) महोदया ! मेरी बहिन कहती है कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इनके अतिरिक्त सात केन्द्र-शासित प्रदेश भी हैं।
2. अध्यापिका-सम्यग्जानाति ……………………….. बृहत्तराणि प्रतीयन्ते।
श्लोकस्य अन्वयः – अद्वयं तथा मत्रयं चैव न-त्रि-युक्तं द्वयम्। सप्त-राज्यसमूहः अयं भगिनीसप्तकं मतम्।
कठिन-शब्दार्थ :
- सम्यक = अच्छी प्रकार से।
- जानीथ = जानती हो।
- समवायः = समूह।
- प्रथितः = प्रसिद्ध।
- प्रतीकात्मकः = सांकेतिक।
- साम्याद् = समानता के कारण।
- उक्तोपाधिना = (उक्त + उपाधिना) कही गयी उपाधि के कारण।
- भगिनीसप्तकम् = सात बहिन।
- लघूनि = छोटे।
- बृहत्तराणि = बड़े।
हिन्दी अनुवाद –
अध्यापिका – तुम्हारी बहिन अच्छी प्रकार से जानती है। ठीक है, क्या तुम जानते हो कि इन राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है जो ‘सात बहिन’ इस नाम से प्रसिद्ध है।
सभी – (आश्चर्यपूर्वक आपस में देखते हुए) सात बहिनें? सात बहिनें? निकोलस-ये राज्य ‘सात बहिनें ऐसा क्यों कहे जाते हैं?
अध्यापिका – यह प्रयोग सांकेतिक है। सम्भवतः सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्यों की समानता के कारण ये उक्त उपाधि (सात बहिनें) के नाम से प्रसिद्ध है।
समीक्षा – मेरा कौतूहल शान्त नहीं हो रहा है, यह सुनाइये कि वे सात राज्य कौन से हैं?
अध्यापिका – सुनिये।
अकार दो और मकार तीन तथा दो नकार व त्रिकार से युक्त। सात राज्यों का समूह ‘सात बहिनें’ माना गया है। इस प्रकार ‘सप्त बहिनों’ में ये राज्य हैं-अरुणाचलप्रदेश, असम, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, नागालैण्ड और त्रिपुरा। यद्यपि क्षेत्रफल से ये छोटे राज्य हैं, फिर भी गुण और गौरव की दृष्टि से बड़े प्रतीत होते हैं।
3. सर्वे- कथम्? ……………………………….. किमपि वैशिष्ट्यमस्ति एतेषाम्?
कठिन-शब्दार्थ :
- स्वीये = अपने।
- स्वाधीनाः = स्वतन्त्र।
- दृष्टाः = देखे गये हैं।
- स्वायत्तीकृताः = अपने अधीन किये गये।
- श्रुतमधुरशब्दः = सुनने में मधुर शब्द।
- प्रवर्तितः = प्रारम्भ किया गया।
हिन्दी अनुवाद –
सभी – कैसे? कैसे?
अध्यापिका – ये सात बहिनें अपने प्राचीन इतिहास में प्रायः स्वतन्त्र ही दिखाई दी हैं। किसी भी शासक के द्वारा इन्हें अपने अधीन नहीं किया गया। अनेक प्रकार की संस्कृतियों से विशिष्ट भारत देश में इन बहिनों की संस्कृति महत्त्वपूर्ण है।
तन्वी – यह शब्दं सबसे पहले कब प्रयुक्त हुआ?
अध्यापिका – सुनने में मधुर यह शब्द सबसे पहले विगत शताब्दी के 72वें वर्ष (1972 ई.) में त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन कार्यक्रम में किसी के द्वारा प्रवर्तित (प्रारम्भ) किया गया। इसी समय में इन राज्यों का फिर से संघटन किया गया।
स्वरा – इनकी अन्य भी कुछ विशेषताएँ हैं?
4. अध्यापिका-नूनम् अस्ति एव ……………………. सप्तभगिन्यः सन्ति।
कठिन-शब्दार्थ :
- नूनम् = निश्चय ही (अव्यय)।
- सुमृद्धानि = बहुत समृद्ध।
- भारतवृक्षे = भारत रूपी वृक्ष पर।
- पुष्पस्तबकसदृशानि = पुष्प के गुच्छे के समान।
हिन्दी अनुवाद –
अध्यापिका – निश्चय ही हैं। ये राज्य पर्वत, वृक्ष, पुष्प आदि प्राकृतिक सम्पदाओं से बहुत समृद्ध हैं। भारत रूपी वृक्ष पर पुष्प के गुच्छे के समान ये विराजमान हैं।
राजीव – हे श्रीमतीजी! घर में जिस प्रकार बहिन सबसे अधिक रमणीय होती है उसी प्रकार भारत रूपी घर में भी ये सात बहिनें सबसे अधिक रमणीय हैं।
5. अध्यापिका-मनस्यागता ……………………………. निष्णाताः सन्ति।
कठिन-शब्दार्थ :
- मनस्यागता = (मनसि + आगता) मन को भा गई, मन में समा गई।
- सावहितमनसा = सावधान मन से।
- ऊर्जस्विनः = ऊर्जायुक्त।
- पर्वपरम्पराभिः = पर्वो की परम्परा से।
- परिपूरिताः = पूर्ण, भरे-पूरे।
- निष्णाताः = निपुण।
हिन्दी अनुवाद –
अध्यापिका – परम कल्याणयुक्त तुम्हारी यह भावना मन में समा गई है, किन्तु सभी उसी प्रकार से नहीं जानते हैं। अच्छा, इनके विषय में कुछ विशेषताएँ भी कहने योग्य हैं। सावधान मन से सुनो यह प्रदेश जनजातिबहुल है। यहाँ गारो, खासी, नगा, मिजो आदि बहुत-सी जनजातियाँ रहती हैं। शरीर से ऊर्जायुक्त स प्रदेश के लोग अनेक भाषाओं से युक्त, पर्यों की परम्परा से परिपूर्ण और अपनी क्रिया एवं कलाओं से निपुण हैं।
6. मालती-महोदये! ……………………………………….. स्वर्गसदृशानि इति॥
कठिन-शब्दार्थ :
- वंशवृक्षाः = बाँस के वृक्ष।
- प्राचुर्यम् = अत्यधिकता।
- अवाप्तः = प्राप्त।
- बह्वाकर्षकः = अत्यधिक आकर्षक।
- समीचीनः = बहुत अच्छा, उपयुक्त।
- सार्द्धम् = साथ।
हिन्दी अनुवाद –
मालती – महोदया ! वहाँ तो बाँस के वृक्ष भी प्राप्त होते हैं?
अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तशिल्प की अधिकता है। वस्त्राभूषणों से लेकर गृह-निर्माण तक में प्रायः बाँस के वृक्षों से निर्मित वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के वृक्षों की अधिकता है। इस समय यह बाँस का उद्योग अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि को प्राप्त है।
अभिनव – यह बहिन-प्रदेश अत्यधिक आकर्षक प्रतीत होता है।
सलीम – क्या भ्रमण करने के लिए यह बहिन-प्रदेश उपयुक्त है?
सभी छात्र – (जोर से) महोदया ! आने वाले अवकाश में हम सब वहीं जाना चाहते हैं।
स्वरा – आप भी हमारे साथ चलें।
अध्यापिका – मुझे यह विचार अच्छा लगता है। ये राज्य तो भ्रमण के लिए स्वर्ग के समान हैं।
पाठ्यपुस्तक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-
उत्तरम्:
शिक्षकसहायतया स्वयमेव कुर्युः।
प्रश्न 2.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-
(क) अस्माकं देशे कति राज्यानि सान्ति?
उत्तरम्:
अष्टविंशतिः।
(ख) प्राचीनेतिहासे काः स्वाधीनाः आसन्?
उत्तरम्:
सप्तभागिन्यः।
(ग) केषां समवायः ‘सप्तभगिन्यः’ इति कथ्यते?
उत्तरम्:
सप्तराज्यानाम्।
(घ) अस्माकं देशे कति केन्द्रशासित प्रदेशाः सन्ति?
उत्तरम्:
सप्त।
(ङ) सप्त भगिनी-प्रदेशे कः उद्योगः सर्वप्रमुखः?
उत्तरम्:
वंशोद्योगः।
प्रश्न 3.
पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत-
(क) भगिनीसप्तके कानि राज्यानि सन्ति?
उत्तरम्:
अरुणाचल प्रदेशः, असमः, मणिपुरम्, मिजोरमः, मेघालय, नागालैण्डः, त्रिपुरा।
(ख) इमानि राज्यानि सप्तभगिन्यः इति किमर्थ कथ्यन्ते?
उत्तरम्:
इमानि राज्यानि सप्तभगिन्यः सामजिक, सांस्कृतिक परिदृश्यानां साम्याद कथ्यन्ते।
(ग) सप्तभगिनी -प्रदेशे के निवसन्ति?
उत्तरम्:
सप्तभगिनी प्रदेशे गारो-खासी-नागा-मिजो वहवः जन जातीयाः निवसन्ति।
(घ) एतत्प्रादेशिकाः कैः निष्णाताः सन्ति?
उत्तरम्:
एतत्प्रादेशिकाः बहुभाषाभिः समन्विताः पर्वपरम्पराभिः परिपूरताः स्वलीला कलाभिश्च निष्णाता: सन्ति।
(ङ) वंशवृक्षवस्तूनाम् उपयोगः कुत्र क्रियते?
उत्तरम्:
वंशवृक्षवस्तूनाम् उपयोगः आवस्त्राभूषणेभ्यः गृह निर्माण पर्यन्तं प्रायः वंश वृक्ष निर्मितानां वस्तूनाम् उपयोगः क्रियतेः।
प्रश्न 4.
रेखांकितपदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
(क) वयं स्वदेशस्य राज्यानां विषये ज्ञातुमिच्छामि?
उत्तरम्:
वयं कस्य राज्यानां विषये ज्ञातुमिच्छामि।
(ख) सप्तभगिन्यः प्राचीनेतिहासे प्रायः स्वाधीनाः एव दृष्टाः?
उत्तरम्:
काः प्राचीनेतिहासे प्रायः स्वाधीनाः एव दृष्टाः।
(ग) प्रदेशेऽस्मिन् हस्तशिल्पानां बाहुल्यं वर्तते?
उत्तरम्:
प्रदेशेऽस्मिन् केषाम् बाहुल्यं वर्तते?
(घ) एतानि राज्यानि तु भ्रमणार्थ स्वर्गसदृशानि?
उत्तरम्:
एतानि राज्यानि तु भ्रमणार्थ कानि।
प्रश्न 5.
यथानिर्देशमुत्तरत-
(क) ‘महोदये! मे भगिनी कथयति’- अत्र ‘मे’ इति सर्वनामपदं कस्यै प्रयुक्तम्?
उत्तरम्:
स्वरा।
(ख) समाजिक-सांस्कृतिकपरिदृश्यानां साम्याद् इमानि उक्तोपाधिना प्रथितानि- अस्मिन् वाक्ये प्रथितानि इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
उत्तरम्:
उक्तोपाधिना।
(ग) एतेषां राज्यानां पुनः सङ्घघटनम् विहितम् – अत्र ‘सङ्घघटनम्’ इति कर्तृपदस्य क्रियापदं किम्?
उत्तरम्:
कर्ता-राज्याणं, क्रिया-विहितम्।
(घ) अत्र वंशवृक्षाणां प्राचुर्यम् विद्यते – अस्मात् वाक्यात् ‘अल्पता’ इति पदस्य विपरीतार्थकं पदं चित्वा लिखत?
उत्तरम्:
प्राचुर्यम्।
(ङ) ‘क्षेत्रपरिमाणैः इमानि लघूनि वर्तन्ते’ – वाक्यात् ‘सन्ति’ इति क्रियापदस्य समानार्थकपदं चित्वा लिखत?
उत्तरम्:
वर्तन्ते।
प्रश्न 6(अ).
पाठात् चित्वा तद्भवपदानां कृते संस्कृतपदानि लिखत-
उत्तरम्:
प्रश्न 6(आ).
भिन्नप्रकृतिकं पदं चिनतु-
(क) गच्छति, पठति, धावति, अहसत्, क्रीडति।
(ख) छात्रः सेवकः, शिक्षकः, लेखिका, क्रीडकः।
(ग) पत्रम्, मित्रम्, पुरपम्, आम्र, नक्षत्रम्।
(घ) व्याघ्रः, भल्लूकः, गजः, कपोतः, वृषभः, सिंहः।
(ङ) पृथिवी, वसुन्धरा, धारित्री, यानम्, वसुधा।
उत्तरम्:
(क) अहसत्
(ख) लेखिका
(ग) आम्रः
(घ) कपोतः
(ङ) यानम्
प्रश्न 7.
विशेष्य-विशेषणानम् उचितं मेलनम् कुरुत-
उत्तरम्:
योग्यता-विस्तार
अद्वयं मत्रयं चैव न-त्रि-युक्तं तथा द्वयम्।
सप्तराज्यसमूहोऽयं भगिनीसप्तकं मतम्।।
यह राज्यों के नामों को याद रखने का सरल तरीका है। इसका अर्थ असे आरम्भ होने वाले दो में से आरम्भ होने वाले तीन, न से नगालैण्ड और त्रि से त्रिपुरा का बोध होता है। इसी प्रकार उठारह पुराणों के नाम याद रखने के लिए यह श्लोक प्रसिद्ध है।
मद्वयं भद्वयं यैव ब्रत्रयं वचतुष्टयम्।
अ-ना-प-लिंग कूस्कानि पुराणानि प्रचक्षते॥
‘सप्तभागिनी’ इस उपनाम का सर्वप्रथम प्रयोग 1972 में श्री ज्योति प्रसाद से किया ने आकाशवाणी के साथ भेंटवार्ता के क्रम में किया था।
इनके अन्तर्गत आने वाले राज्यों का उल्लेख प्राचीन ग्रन्थों में भी प्राप्त होता है।
यथा – महाभारत, रामायण, पुराण आदि।
इन राज्यों की राजधानी क्रमशः इस प्रकार है-
अरुणाचल प्रदेश – इटानगर
असम – दिसपुर
मणिपुर – इम्फाल
मिजोरम – ऐजोल
मेघालय – शिलाङ्ग्
नगालैण्ड – कोहिमा
त्रिपुरा – अगरतला
बिहू, मणिपुरी, नानक्रम आदि इस प्रदेश के प्रमुख नृत्य हैं। नगा, मिजो, खासी, असमी, बांग्ला, पदम, बोडो, गारो, जयन्यिा आदि यहाँ प्रमुख भाषाएँ हैं। सप्तसंख्या पर कुछ अन्य प्रचलित नाम हैं-
सप्तसिन्धु – ‘सप्त भागिनी’ के समान सप्तसिन्धु हैं-सिन्धु, शुतुद्री (सतलुज), इरावती (इरावदी), विस्सता (झेलम), विपाशा (व्यास), असिक्नी (चिनाब) और सरस्वती।।
सप्तपर्वत – महेन्द्र, मलय, हिमवान्, अर्बुद, विन्ध्य सह्याद्रि, श्रीशैल।
सप्तर्षि – मरीचि, पुलस्त्य, अंगिरा, क्रतु, अत्रि, पुलह, वसिष्ठ।
कृष्णनाथ की पुस्तक अरुणाचल यात्रा (वाग्देवी प्रकाश बीकानेर 2002) पठनीय है।
परियोजना-कार्यम्
पाठ में स्थित अद्वयं……….वाली पहेली से सातों राज्यों राज्यों के नाम को समझो।
सारांश
पाठ परिचय
भारतवर्ष अपनी भौगोलिक विशेषताओं का एक अनोखा संगम है। ‘सप्तभगिनी’ यह एक उपमाना हैं उत्तरपूर्व के सात राज्य विशेष को उक्त उपाधि दी गयी है। इन राज्यों का प्राकृतिक सौन्दर्य अत्यन्त विलक्षण है। इन्हीं के सांस्कृतिक और सामाजिक वैशिष्ट्य को ध्यान में रखकर प्रस्तुत पाठ का सृजन किया गया है।
शब्दार्थ:
बाढ़म् – हाँ, अच्छा; ज्ञानुम् – जानने हेतु; कति – कितने; भगिनी – बहन; अतिरिच्य – अलावा; भवतु – अच्छा; समवायः – समूह पथितः – प्रसिद्ध; प्रतीकात्मकः – सांकेतिक; कदाचित् – सम्भवतः; साम्याद् – समानता के कारण उक्तोपाधिना – कई गई उपाधि से; नाम्नि – नाम में; संशयः – संदेह; अपरतः – दूसरी और क्षेत्रपरिमाणैः – क्षेत्रफल से; बृहत्तराणि – बड़े स्वाधीनाः – स्वतन्त्र; महत्त्वाधायिनी – महत्त्व को रखने वाली; प्रभृतिभिः – आदि से; विहितम् – विधिपूर्वक किया गया; पुष्पस्तवकसदृशानि – फूलों के गुच्छे के समान; हृद्या – हृदय को प्रिय लगने वाली; सावहितमनसा – सावधान मन से; ऊर्जस्विनः – ऊर्जा युक्त; पूरिपूरिताः – पूर्ण; आम् – हाँ; अवाप्त – प्राप्त; सार्द्धम् – साथ; चलतु – चलो।
मूलपाठः
अध्यापिका-सुप्रभातम्………….सर्वे-कथम्? कथम्?
सरलार्थः
अध्यापिका – सुप्रभात।
छात्रगण – सुप्रभात। सुप्रभात।
अध्यापिका – ठीक है। आज क्या पढ़ा है?
छात्रगण – हम सब अपने देश के राज्यों (प्रदेशों) के विषय में जानना चाहते हैं।
अध्यापिका – ठीक हैं बोलो। हमारे देश में कितने राज्य हैं?
सायरा – चौबीस, महोदया।
सिल्वी – नहीं, नहीं महोदया ! पच्चीस राज्य हैं।
अध्यापिका – दूसरा कोई भी?
स्वरा – (बीच में ही) महोदय! मेरी बहन कहती है-कि हमारे देश में अट्ठाईस राज्य हैं। इसके अलावा सात केन्द्रशासित प्रदेश भी है।
अध्यापिका – सही जानती है तुम्हारी बहन ! उचित है, क्या तुम सब जानते हो कि इस सब राज्यों में सात राज्यों का एक समूह है जो (साब बहनें) इस नाम से प्रसिद्ध है।
सभी – आश्चर्य सहित परस्पर देखते हुए) सात बहनें? सात बहनें?
निकोलस – ये सात राज्य (सात बहनें) क्यों कहे जाते हैं?
अध्यापिका – यह प्रयोग सांकेतिक है। सम्भवतः सामाजिक व सांस्कृतिक परिदृश्यों की समानता से यह उपाधि प्रसिद्ध हैं।
समीक्षा – मेरा कतहल शान्त नहीं हो रहा है। सनाए तो वे कौन-से राज्य हैं?
अध्यापिका – मेरा कुतूहल शान्त नहीं हो रहा है। सुनाए तो वे कौन-से राज्य हैं?
अध्यापिका – सुनिए।
दो ‘अ’ (‘अं’ से आरम्भ होने वाले), तीन ‘म’ (‘म) से आरम्भ होने वाले, एक ‘न’ (‘न’ से आरम्भ होने वाला) तथा एक ‘त्रि’ (‘त्रि’ से आरम्भ होने वाला) से युक्त ये दो। यह सात राज्यों का समूह भगिनीसप्तम माना गया है। इस प्रकार भगिनी सप्तक मेंये राज्य हैं-
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- मणिपुर
- मिजोरम
- मेघालय
- नागालैण्ड
- त्रिपुरा।
जबकि क्षेत्रफल में ये छोटे हैं फिर भी गुण और गौरव की दृष्टि से बहुत बड़े हैं।
सभी-कैसे? कैसे?
अध्यापिका-इमाः सप्तभागिन्यः………………….स्वर्ग सदृशानिं इति।
सरलार्थः
ये सात बहनें अपने प्राचीन इतिहास में प्राय: स्वतन्त्र ही दिखाती हैं। किसी भी शासक ने इन्हें अपने अधीन नहीं किया था। अनेक संस्कृति की विशेषता वाली भारत भूमि में इन बहनों की संस्कृति विशेष महत्व वाली है।
तन्वी – यह शब्द सबसे पहले कब प्रयुक्त हुआ?
अध्यापिका – सुनने में मधुर लगने वाला यह शब्द सबसे पहले पिछली शताब्दी के बहत्तरवे वर्ष (1972) में त्रिपुरा राज्य के उद्घाटन के क्रम में किसी ने फैलाया। इस समय फिर से इन राज्यों का संगठन किया गया।
स्वरा – दूसरी भी कोई विशेषता है इनकी?
अध्यापिका – अवश्य ही है। पर्वत, वृक्ष, पुष्प आदि प्राकृतिक सम्पदाओं से समृद्ध हैं ये राज्य। ये भारत रूपी वृक्ष में फूलों के गुलदस्ते के समान सुशोभित हैं।
राजीव – आप। जैसे घर में बहन सबसे अधिक प्रिय और मनोहर होती है। वैसे ही भारत रूपीघर में ये सात बहनें सबसे मनोहर है।
अध्यापिका – तुम्हारे मनमें आई हुई यह भावना बहुत कल्याण वाली है, परन्तु सभी ऐसा नहीं समझते है। ठीक है, इनके विषय में कुछ विशेष कथनीय है। सावधान मन से सुनिए-यह प्रदेश जनजातियों से बहुत है। गारे,खासी, नगा, मिजो आदि अनेक जनजातियाँ यहाँ रहती हैं। शरीर में इस प्रदेश के लोग अनेक भाषाओं से युक्त, पर्यों की परम्पराओं वाले, अपने करतबों और कलाओं मे कुशल हैं।
मालती – महोदया! वहाँ तो बाँस के पेड़ भी पाए जाते हैं।
अध्यापिका – हाँ। इस प्रदेश में हस्तकला की प्रमुखता है। यहाँ वस्त्रों व आभूषणों से लेकर गृहनिर्माण तक अवसर बाँस के पेड़ से बनी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। क्योंकि यहाँ बाँस के पेड़ों की अधिकता है। अब यहाँ का बाँस उद्योग अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि पा चुका है।
अभिनव – क्या बहनों वाला प्रदेश बहुत आकर्ष है।
सलीम – क्या यह प्रदेश भ्रमण के लिए उचित है।
सभी छात्र – (जोर से) महोदया! आगमी अवकाश में हम वहीं जाना चाहते है।
स्वरा – आप भी हमारे साथ चलिए।
अध्यापिका – यह विचार मुझे प्रिय है। ये राज्य भ्रमण के लिए स्वर्ग के समान है।
RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 9 सप्तभगिन्यः, Study Learner