RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 15 प्रहेलिकाः
हिन्दी अनुवाद
पाठ-परिचय – पहेलियाँ मनोरञ्जन की प्राचीन विधा है। ये प्रायः विश्व की सारी भाषाओं में उपलब्ध हैं। संस्कृत के कवियों ने इस परम्परा को अत्यन्त समृद्ध किया है। पहेलियाँ जहाँ हमें आनन्द देती हैं, वहीं समझ-बूझ की हमारी मानसिक व बौद्धिक प्रक्रिया को तीव्रतर बनाती हैं। इस पाठ में संस्कृत प्रहेलिका (पहेली) बूझने की परम्परा के कुछ रोचक उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं।
पाठ के श्लोकों का अन्वय, कठिन-शब्दार्थ एवं हिन्दी-भावार्थ –
1. कस्तूरी जायते ……………………………………. पलायते॥
अन्वयः – कस्तूरी कस्मात् जायते? करिणां कुलं को हन्ति? कातरो युद्धे किं कुर्यात्? मृगात् सिंहः पलायते।
कठिन-शब्दार्थ :
- जायते = उत्पन्न होती है।
- करिणाम् = हाथियों के।
- हन्ति = मारता है।
- कातरः = कमजोर।
- पलायते = भाग जाता है।
हिन्दी भावार्थ – कस्तूरी किससे उत्पन्न होती है? हाथियों के समूह को कौन मारता है? कमजोर युद्ध में क्या करता है? मृग से सिंह भाग जाता है। इस प्रकार प्रस्तुत पहेली के प्रथम तीन चरणों में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर अन्तिम चरण के तीन पदों द्वारा क्रमशः दिया गया है, जो निम्न प्रकार से होगा –
प्रश्न – उत्तर
(i) कस्तूरी कस्मात् जायते? – मृगात्।
(ii) करिणां कुलं को हन्ति? – सिंहः।
(iii) कातरो युद्धे किं कुर्यात्? – पलायते।
2. सीमन्तिनीषु …………………………………………….. बुध्यते॥
अन्वयः – सीमन्तिनीषु का शान्ता? कः गुणोत्तमः राजा अभूत्? विद्वद्भिः सदा का वन्द्या? अत्र एव उक्तम्, न बुध्यते।
कठिन-शब्दार्थ :
- सीमन्तिनीषु = नारियों में।
- शान्ता = शान्त स्वभाव वाली।
- वन्द्या = वन्दनीय।
- न बुध्यते = ज्ञात नहीं है।
हिन्दी भावार्थ – नारियों में शान्त स्वभाव वाली कौन है? गुणों में श्रेष्ठ राजा कौन हुआ? विद्वानों के द्वारा सदा वन्दनीय कौन है? इनका उत्तर यहीं पर दिया गया है, जो ज्ञात नहीं है। इस पहेली के प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरणों में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर उनके प्रथम वर्ण का अन्तिम वर्ण के साथ संयोग करने से निम्न प्रकार से प्राप्त होता है –
प्रश्न – उत्तर
(i) सीमन्तिनीषु का शान्ता? – सीता।
(ii) राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः? – रामः।
(iii) विद्वद्भिः का सदा वन्द्या? – विद्या।
3. कं सञ्जघान ……………………………………………….. बाधते शीतम्॥
अन्वयः – कं सञ्जघान कृष्णः? का शीतलवाहिनी गङ्गा? के दारपोषणरताः? कम् बलवन्तं न बाधते शीतम्?
कठिन-शब्दार्थ :
- सञ्जघान = मारा।
- कंसजघान = कंस को मारा।
- काशीतल-वाहिनी = काशी की भूमि पर बहने वाली।
- दारपोषणरताः = पत्नी के पोषण में संलग्न।
- केदारपोषणरता: = खेत के कार्य में संलग्न।
- कंबलवन्तम् = वह व्यक्ति जिसके पास कंबल है।
- बलवन्तम् = बलवान को।
हिन्दी भावार्थ – कृष्ण ने किसको मारा? (कृष्ण ने कंस को मारा।) शीतलता प्रदान करने वाली गङ्गा कौन है? (काशी की भूमि पर बहने वाली गङ्गा है।) पत्नी के पोषण में संलग्न कौन हैं? (खेत के कार्य में संलग्न हैं।) किस बलवान् को सर्दी पीड़ित नहीं करती है? (जिसके पास कम्बल है उसे सर्दी पीड़ित नहीं करती है।)
इस पहेली के प्रत्येक चरण में प्रथम व द्वितीय अथवा प्रथम तीन वर्षों के संयोग से उस चरण में पूछे गये प्रश्न का उत्तर प्राप्त होता है, जिसे ऊपर हिन्दी-अनुवाद में कोष्ठक के अन्तर्गत दिया गया है। संस्कृत में निम्नानुसार होगा –
प्रश्न – उत्तर
(i) कं सञ्जघान कृष्णः? – कंसम् जघान कृष्णः।
(ii) का शीतलवाहिनी गङ्गा? – काशीतलवाहिनी गङ्गा।
(iii) के दारपोषणरताः? – केदारपोषणरताः।
(iv) कं बलवन्तं न बाधते शीतम्? – कंबलवन्तं न बाधते शीतम्?
4. वृक्षाग्रवासी …………………………………………………. न मेघः॥
अन्वयः – वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः, त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः। त्वग्वस्त्रधारी न च सिद्धयोगी, जलं न बिभ्रत् न घटो न मेघः।
कठिन-शब्दार्थ :
- वृक्षाग्रवासी = पेड़ के ऊपर रहने वाला।
- पक्षिराजः = पक्षियों का राजा (गरुड़)।
- शूलपाणिः = जिनके हाथ में त्रिशूल है (शंकर)।
- त्वगवस्त्रधारी = छाल के वस्त्र धारण करने वाला।
- बिभ्रत = धारण कर घटः = घड़ा।
- बिभ्रत् = धारण करता हुआ।
हिन्दी भावार्थ – पेड़ के ऊपर रहने वाला है किन्तु गरुड़ नहीं है और तीन नेत्रों वाला है किन्तु शिव नहीं है। छाल वस्त्र धारण करने वाला है किन्तु सिद्धयोगी नहीं है और जल को धारण करता हुआ वह न तो घड़ा है और न बादल। इस पहेली का उत्तर होगा-‘नारियल’।
5. भोजनान्ते च …………………………………………………………. दुर्लभम्॥
अन्वयः – भोजनान्ते च किम पेयम? जयन्तः कस्य वै सतः? विष्णपदं कथं प्रोक्तम? तक्रं शक्रस्य दर्लभम।
कठिन-शब्दार्थ :
- सुतः = पुत्र।
- विष्णुपदम् = स्वर्ग, मोक्ष।
- तक्रम् = छाछ, मट्ठा।
- शक्रस्य = इन्द्र का।
हिन्दी भावार्थ – भोजन के अन्त में क्या पीना चाहिए? जयन्त किसका पुत्र था? मोक्ष को कैसा कहा गया है? छाछ इन्द्र के लिए दुर्लभ है। इस पहेली के अन्तिम चरण में क्रमश: तीन प्रश्नों का तीन पदों से उत्तर दिया गया है। यथा
प्रश्न – उत्तर
(i) भोजनान्ते च किं पेयम? – तक्रम्।
(ii) जयन्तः कस्य वै सुतः? – शक्रस्य/इन्द्रस्य।
(iii) कथं विष्णुपदं प्रोक्तम्? – दुर्लभम्
पाठ्यपुस्तक प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1.
श्लोकांशेषु रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) सीमन्निनीषु का ________ राजा ________ गुणोत्तमः।
(ख) कं सञ्जधान ________ का ________ गङ्गा?
(ग) के ________ कं ________ न बाधते शीतम्?
(घ) वृक्षाग्रवासी न च ________ ________ न च शूलपाणिः।
उत्तरम्
(क) सीमन्निनीषु का शान्ता? राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः।
(ख) कं सञ्जधान कृष्णः? का शीतलवाहिनी गङ्गा?
(ग) केदारपोषणरता? कं बलवन्तं न बाधते शीतम्?
(घ) वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।
प्रश्न 2.
श्लोकांशान् योजयत्-
उत्तरम्
प्रश्न 3.
उपयुक्तकथानानां समक्षम् ‘आम्’ अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-
उत्तरम्:
यथा- सिंह, करिणां कुलं हत्ति। (आम)
(क) कातरो युद्धे युद्ध्यते। (न)
(ख) कस्तूरी मृगात् जायते। (आम्)
(ग) मृगात् सिंह: पलायते। (न)
(घ) कंसः जघान कृष्णम्। (न)
(ङ) तक्रं शक्रराजदुर्लभम् (आम्)
(च) जयन्तः कृष्णनस्य पुत्रः। (न)
प्रश्न 4.
सन्धिविच्छेदं पूरयत-
(क) करिणां कुलम् – ________ + _________
(ख) कोऽभूत् – ________ + _________
(ग) अत्रैवोक्तम् – ________ + _________
(घ) वृक्षाग्रवासी – ________ + _________
(ङ) त्वग्वस्त्रधारी – ________ + _________
(च) बिभ्रन्न – ________ + _________
उत्तरम्:
(क) करिणां कुलम् – करिणां + कुलम्
(ख) कोऽभूत् – कः + अभुत्
(ग) अत्रैवोक्तम् – अत्रैव + उक्तम्
(घ) वृक्षाग्रवासी – वृक्ष + अग्रवासी
(ङ) त्वग्वस्त्रधारी – त्वक + वस्त्रधारी
(च) बिभ्रन्न – वि + भ्रन्न
प्रश्न 5.
अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग विभक्तिं वचनञ्च लिखत-
उत्तरम्:
प्रश्न 6(अ).
विलोमपदानि योजयत-
प्रश्न 6(आ).
समानार्थकापदं चित्वा लिखत-
(क) करिणाम् _________। (अश्वानाम् / गजानाम् / गर्दभानाम्)
(ख) अभूत् _________। (अचलत् / अहसत् / अभवत्)
(ग) वन्द्या _________। (वन्दनीया / स्मरणीया / कर्तनीया)
(घ) बुध्यते _________। (लिख्यते / अवगम्यते / पठ्यते)
(ङ) घटः _________। (तडाग: / नल: / कुम्भः)
(च) सजधान _________। (अमारयत् / अखादत / अपिबत)
उत्तरम्:
(क) करिणाम् गजानाम्।
(ख) अभूत् अभवत्।
(ग) वन्द्या वन्दनीया।
(घ) बुध्यते अवगम्यते।
(ङ) घटः कुम्भः।
(च) सजधान अमारयत्।
प्रश्न 7.
कोष्ड्कानतर्गतानां पदानामुपयुक्तविभक्तिप्रयोगेन अनुच्छेदं पूरयत-
एकः काकः _________ (आकाश) डयमानः आसीत्। तृषार्तः सः _________ (जल) अन्वेषणं करोति। तदा स: _________ (घट) अल्पं _________ (जल) पश्यति। सः _________ (उपल) आनीय _________(घट) पातयति। जलं _________ (घट) उपरि आगच्छति। _________ (काक) सानन्दं जलं पीत्वा तृप्यति।
उत्तरम्:
एकः काकः आकाशे (आकाश) डयमानः आसीत्। तृषार्तः सः जलस्य (जल) अन्वेषणं करोति। तदा स घटे (घट) अल्पं जलं (जल) पश्यति । सः उपलान (उपल) आनीय घटे (घट) पातयति। जलं घटे (घट) उपरि आगच्छति। काकः (काक) सानन्दं जलं पीत्वा तृप्यति।
योग्यता-विस्तारः
प्रस्तुत पाठ में दी गयी पहेलियों के आंतरिक्त कुछ अन्य पहेलियाँ अधोलिखित है। उन्हें पढ़कर स्वयं समझने की कोशिश करें और ज्ञानवर्धन करें यदि न समझ पाए तो उत्तर देंखे-
(क) चक्री त्रिशूली न हरो न विष्णुः।
महान् बलिष्ठो न च भीमसेनः।
स्वच्छन्दगामी न च नारदोऽपि।
सीतावियोगी न च रामचन्द्रःड़
उत्तरम्:
वृषभः
(ख) न तस्यादिर्न तस्यान्त: मध्ये यस्तस्य तिष्ठति।
तवाप्यस्ति ममाप्यस्ति यदि जानासि तद्वतड़
उत्तरम्:
नयनम्
(ग) अंपदो दूरगामी च साक्षरो न च पण्डितः।
अमुखः स्फूटवक्ता च यो जानाति स पण्डितःड़
उत्तरम्:
पत्रम्
सारांश
परियोजना-कार्यम्
मनोरञ्जनहीन व हास्यविहीन जीवन को नरक माना जा सकता है। पहेलियाँ मनोरञ्जन की प्राचीन विधा हैं। ये प्रायः विश्व की सारी भाषाओं में उपलब्ध हैं। संस्कृत के कवियों ने इस परम्परा को अत्यन्त समृद्ध किया है। पहेलियाँ जहाँ हमें आनन्द देती हैं, वही समझ-बूझ की हमारी मानसिक व बौद्धिक प्रक्रिया को तेज बनाती हैं। इस पाठ में संस्कृत प्रहेलिका (पहेली) बूझने की परम्परा के कुछ रोचक उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। रोचकपूर्ण ढंग से ज्ञानवर्धक करने के लिए पहेलियाँ उत्तम साधन हैं।
शब्दार्थ-
हन्ति – मरता / ती है; करिणाम् – हाथियों के; कातरः – कायर; सीमान्तिनीषु – नारियों में अभूत् – हुआ; बध्यते – जाना जाता हहै, सञ्जधान मारा; कंसज्जधान् – कंस को मारा; शीतलवाहिनी – शीतलधारी वाली; काशीतलवाहिनी – काशी की भूमि पर बहने वाली; दारपोषणरताः – पत्नी के पोषण में लीन; केदारपोषणरताः – खेत के कार्य में संलग्न; बलवत्तम् – बलवान् को; कम्बलवत्तम् – कम्बल वाले को बाधते – बाधिक करता है; वृक्षावासी – पेड़ों पर रहने वाला; पक्षिराजः – पक्षियों का राजा; त्रिनेत्रधारी – तीन नेत्रों वाला; शूलपाणिः – त्रिशूलधारी; त्वम् – त्वचा, छाल; विभ्रत् – मरार हुआ; विष्णुपदम् – मोक्ष; तक्रम् – छाद, मठा; शक्रस्य – इन्द्र का; दुर्लभम् – कठिन।
मूलपाठः
कस्तूरी जायते कस्मात्?
को हन्ति करिणां कुलम्?
किं कुर्यात् कातरो युद्धे?
भृगात् सिंहः पलायते ॥1॥
अन्वयः
कस्तूरी कस्मात् जायते? कारिणां कुलं कः हन्ति? कातरः युद्ध किं कुर्यात् ? मृगात् सिंहः पलायते।
सरलार्थः
कस्तूरी किससे उत्पन्न होती हैं ? कौन मरता है। हाथियों के कुल को? कायर युद्ध में क्या करता है? ‘हरिण से ‘शेर’, भाग जाता है।’ (ये तीनों की क्रमशः उत्तर है।)
सीमन्तिनीषु का शान्ता?
राजा कोऽभूत् गुणोत्तमः?
विद्वदभिः का सदा वन्द्या?
अत्रैवोक्तं न बुध्यते॥2॥
अन्वयः
सीमन्तिनीषु का शान्ता? कः गुणोत्तमः राजा अभूत् ? विद्वद्भिः सदा का वन्द्या?
सरलार्थः
1. नारियों में कौन शान्त है? (सीता)
2. गुणों में उत्तम राजा कौन हुआ है? (राम)
3. विद्वानों द्वारा सदा कौन पूजी जाती है? (विद्या)
इन्हीं में कहा गया है, पता नहीं चल रहा है।
कं सञ्जधान कृष्णः?
का शीतलवाहिनी गङ्गा?
के दारपोषणरता:?
कं बलवन्तं न बाधते शीतम्॥3॥
अन्वयः
कृष्णः कं सज्जधान? का शीतलवाहिनी गङ्गा? के दारपोषणरता:? शीतं कं बलवन्तं न बाधते?
सरलार्थः
कृष्ण ने किसे मारा? (कंस को)
शीतलधारा वाणी गंगा कहाँ हैं? (काशी में)
स्त्री के पोषण में कौन लगे रहते हैं? (किसान)
किस बलवान् को सर्दी नहीं लगती? (कम्बल वाले को)
वृक्षाग्रवासी न च पक्षिराजः
त्रिनेत्रधारी न च शूलपाणिः।
त्वगवस्त्रधारी न च सिद्धयोगी
जल च विभ्रन्न घटो न मेघः।।4।।
अन्वयः
वृक्षाग्रवासी पक्षिराजः च न त्रिनेत्रधारी (किन्तु) शूलपाणि: च न । त्वग्वस्त्रधारी (परन्तु) सिद्धयोगी च न) जलं च बिभ्रत् न घटः न (च) मेघः।
सरलार्थः
वृक्ष पर रहता है। लेकिन पक्षिराज (गरुड) नहीं है।
तीन नेत्रों वाला है लेकिन शिव नहीं है।
छात्र के वस्त्र पहनता है लेकिन योगी नहीं है।
जल से भरा हुआ है फिर भी न घड़ा है और न बादल।
उत्तर है – नारियल
भोजनान्ते च किं पेयम्?
जयन्तः कस्य वै सुतः?
कथं विष्णुपदं प्रोक्तम्?
तक्रं शुक्रस्य दुर्ललभम्॥5॥
अन्वयः
भोजनान्ते किं पेयम् ? जयन्तः कस्य वैसुतः? विष्णुपदं कथं प्रोक्तम् ? तक्रं शुक्रस्य दुर्लभम्।
सरलार्थः
भोजन के अन्त में क्या पीना चाहिए? (छाछ)
जयन्त किसका पुत्र था? (इन्द्र का)
मोक्ष कैसा कहा गया है? (दुर्लभ)
मट्ठा दुर्लभ है इन्द्र के लिए।
RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 15 प्रहेलिकाः, Study Learner