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RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले

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RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले

हिन्दी अनुवाद

पाठ-परिचय – शिक्षा हमारा अधिकार है। हमारे समाज में कई समुदाय इससे लम्बे समय तक वञ्चित रहे हैं। उन्हें इस अधिकार को पाने के लिए लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। लड़कियों को तो और ज्यादा अवरोध झेलना पड़ता रहा है। प्रस्तुत पाठ इस संघर्ष का नेतृत्व करने वाली सावित्री बाई फुले के योगदान पर केन्द्रित है। 

पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् – 

1. उपरि निर्मितं …………………………………. फुले नामधेया। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • आदाय = लेकर।
  • उपरि = ऊपर।  
  • प्रस्तरखण्डान् = पत्थर के टुकड़ों को। 
  • क्षिपति = फेंकता है। 
  • आलपन्ती = बात करती हुई।
  • सहैव = (सह + एव) साथ ही। 
  • जानीथ = जानते हो। 

हिन्दी अनुवाद – (ऊपर निर्मित) (पाठ्यपुस्तक में दिये गये) चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाला का है। यह सामान्य पाठशाला नहीं है। यह महाराष्ट्र की प्रथम कन्या पाठशाला है। एक शिक्षिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। मार्ग में कोई उसके ऊपर धूल और कोई पत्थर के टुकड़ों को फेंकता है। किन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से विचलित नहीं होती है। अपने विद्यालय में बालिकाओं के साथ हँसी-मजाक से बात करती हुई वह अध्यापन कार्य में संलग्न यन भी साथ ही चलता है। यह महिला कौन है? क्या तुम इस महिला को जानते हो? यही महाराष्ट्र की सावित्री बाई फुले नामक प्रथम महिला शिक्षिका है। 

पठितावबोधनम् :

निर्देश: – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत प्रश्ना : 

(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ख) शिक्षिका गृहात् कानि आदाय चलति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) शिक्षिका कस्मात् न विचलति? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका का आसीत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(ङ) ‘जानीथ’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किमस्ति? . 
(च) ‘सा अध्यापने संलग्ना भवति’-अत्र ‘सा’ सर्वनामस्थाने संज्ञापदं किम्? 
उत्तराणि :
(क) सावित्री बाई फुले। 
(ख) पुस्तकानि। 
(ग) स्वदृढ़निश्चियात्।  
(घ) महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका ‘सावित्री बाई फुले’ आसीत्। 
(ङ) यूयम्। 
(च) शिक्षिका।

2. जनवरी मासस्य …………………… अध्ययनं कृतवती। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • अजायत = उत्पन्न हुई। 
  • अभिहितौ = कहे गये हैं। 
  • नववर्ष-देशीया = नौ वर्ष की आयु वाली। 
  • परिणीता = ब्याही गयी। 
  • उत्सम् = प्रवाहित। 

हिन्दी अनुवाद – तीन जनवरी सन् 1831 ई. को महाराष्ट्र के नायगांव नामक स्थान पर सावित्री का जन्म हुआ। उसकी माता का नाम लक्ष्मीबाई और पिता खंडोजी कहे गये हैं। नौ वर्ष की आयु वाली वह सावित्री ज्योतिबा फुले महोदय के द्वारा ब्याही गयी अर्थात् उनके साथ विवाह हुआ।  वह भी उस समय तेरह वर्ष की आयु का ही था। क्योंकि वह स्त्री-शिक्षा का प्रबल समर्थक था, इसलिए सावित्री के मन में स्थित अध्ययन की अभिलाषा प्रवाहित होने लगी। इसके बाद उसने आग्रहपूर्वक अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन किया। 

पठितावबोधनम् प्रश्ना : 

(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ख) सावित्र्याः मनसि स्थिता का उत्सं प्राप्तवती? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) सावित्री केन सह परिणीता? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) सावित्र्याः माता-पिता च कौ अभिहितौ? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(ङ) अजायत’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किमस्ति? 
(च) ‘सोऽपि’ इति पदस्य सन्धिच्छेदं किं भवति? 
उत्तराणि-
(क) सावित्री बाई। 
(ख) अध्ययनाभिलाषा। 
(ग) ज्योतिबाफुलेमहोदयेन। 
(घ) सावित्र्याः माता लक्ष्मीबाई पिता च खंडोजी इति अभिहितौ।
(ङ) सावित्री। 
(च) सः + अपि।

3. १८४८ तमे ……………………………… विद्यालयः प्रारब्धः। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • आरभत = आरम्भ किया।
  • अस्पृश्यत्वात् = छुआछूत के कारण।
  • अपरः = दूसरा, अन्य। 
  • प्रारब्धः = प्रारम्भ किया। 

हिन्दी अनुवाद – सन् 1848 ई. में पुणे (पूना) नगर में सावित्री ने ज्योतिबा महोदय के साथ कन्याओं के लिए प्रदेश का प्रथम विद्यालय आरम्भ किया। उस समय वह केवल सत्रह वर्ष की आयु की थी। सन् 1851 में छुआछूत के कारण तिरस्कृत समुदाय की बालिकाओं के लिए अलग से उसके द्वारा दूसरा विद्यालय आरम्भ किया गया। 

पठितावबोधनम् प्रश्नाः 

(क) पुणे नगरे कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथमं विद्यालयं का आरभत? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) तदानी सावित्री कति वर्षीया आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) 1851 तमे खिस्ताब्दे सावित्र्या कीदृशः अपरः विद्यालयः प्रारब्धः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘आरभत’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किमस्ति? 
(ङ) ‘विद्यालयः’ इति पदस्य गद्यांशे विशेषणपदं किं प्रयुक्तम्? 
(च) ‘महोदयेन’ इति पदे का विभक्तिः? 
उत्तराणि-
(क) सावित्री। 
(ख) सप्तदशवर्षीया।
(ग) 1851 तमे खिस्ताब्दे सावित्र्या अस्पृश्यत्वात् तिरस्कृतस्य समुदायस्य बालिकानां कृते पृथक्तया अपरः विद्यालयः प्रारब्धः। 
(घ) सावित्री। 
(ङ) अपरः। 
(च) तृतीया। 

4. सामाजिककुरीतीन …………………………. सर्वथा समर्थितः। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • निकषा = निकट, समीप। 
  • शीर्ण वस्त्रावृताः = फटे-पुराने वस्त्र पहने हुई। 
  • जलोद्धरणम् = जल निकालना। 
  • अवारयन् = मना कर दिया। 
  • सोदुम् = सहन करने में। 
  • तडागम् = तालाब को। 

हिन्दी अनुवाद : सामाजिक कुरीतियों का सावित्री ने मुखर विरोध किया। विधवाओं के शिर-मुण्डन की प्रथा को दूर करने के लिए वह नाइयों से मिली। फलस्वरूप कुछ नाइयों ने इस रूढ़ि में साथ देना छोड़ दिया। एक बार सावित्री ने मार्ग में देखा कि कुएँ के निकट फटे-पुराने वस्त्र पहने हुई तथाकथित निम्न जाति की कुछ स्त्रियाँ जल पीने के लिए याचना कर रही थीं। 

उच्च वर्ग के लोग उपहास करते हुए कुएँ से जल निकालने के लिए मना कर रहे थे। सावित्री इस अपमान को सहन करने में समर्थ नहीं हुई। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले गई और तालाब दिखलाकर बोली कि इच्छानुसार जल ले जाओ। यह तालाब सार्वजनिक है। इससे जल ग्रहण करने में जाति का बन्धन नहीं है। उसके द्वारा मनुष्यों की समानता और स्वतन्त्रता के पक्ष का हमेशा सभी प्रकार से समर्थन किया गया। 

पठितावबोधनम् :

(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ग) विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा कैः मिलिता? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) एकदा सावित्र्या मार्गे किं दृष्टम्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) ‘याचन्ते स्म’ इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किं प्रयुक्तम् ? 
(च) ‘पातुम्’ इति पदे कः प्रत्ययः? 
उत्तराणि : 
(क) सावित्री बाई। 
(ख) सामाजिककुरीतीनाम्। 
(ग) नापितैः।
(घ) एकदा सावित्र्या मार्गे दृष्टं यत् कूपं निकषा शीर्णवस्त्रावृत्ताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः काश्चित् नार्यः जलं पातुं याचन्ते स्म। 
(ङ) नार्यः। 
(च) तुमुन्। 

5. ‘महिला सेवामण्डल’ …………………………. अवश्यम् अध्येतव्यम्। 

कठिन-शब्दार्थ :

अवदानम् = योगदान। 
उत्पीडितानाम् = सताए गए का। 
दुर्भिक्षकाले = अकाल के समय। 
अश्रान्तम् = बिना थके हुए। 
अविरतम् = लगातार। 
महारोगप्रसारकाले = महामारी फैलने के समय में। 
गहनावबोधनाय = गहराई से समझने के लिए। 

हिन्दी अनुवाद : ‘महिला सेवामण्डल’, ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ इत्यादि संस्थाओं की स्थापना में फुले दम्पती का योगदान महत्त्वपूर्ण है। सत्यशोधक मण्डल की गतिविधियों में भी सावित्री अत्यधिक सक्रिय थी। इस मण्डल का उद्देश्य था-सताए गए समुदायों को अपने अधिकारों के प्रति जगाना। 

सावित्री ने अनेकों संस्थाओं का प्रशासनिक कौशल से सञ्चालन किया। अकाल के समय और प्लेग के समय उसने पीड़ित लोगों की बिना थके हुए और लगातार सेवा की। सहायता-सामग्री की व्यवस्था के सभी प्रकार से प्रयास किये। महामारी फैलने के समय सेवा करते हुए स्वयं वह असाध्य रोग से पीड़ित होकर सन् 1897 ई. में मृत्यु को प्राप्त हो गई। 

साहित्य रचना में भी सावित्री बढ़-चढ़कर है। उसके दो काव्य-संकलन हैं…’काव्यफुले’ और ‘सुबोध रत्नाकर’। भारत देश में महिला-उत्थान को गहराई से समझने के लिए सावित्री महोदया के जीवन-चरित्र का भी अवश्य अध्ययन करना चाहिए। 

पठितावबोधनम् 

प्रश्न 1.
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ख) कस्य गतिविधिषु.अपि सावित्री अतीव सक्रिया आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) सत्यशोधकमण्डलस्य उद्देश्य केषां समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् आसीत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) कासा संस्थाना स्थापनाया फुलेदम्पत्योः अवदान महत्त्वपूर्णम्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(ङ) ‘योगदानम्’ इत्यर्थे गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्? 
(च) ‘स्वाधिकारान्’ इति पदे का विभक्तिः ? 
उत्तराणि :
(क) सावित्र्याः अवदानम्। 
(ख) सत्यशोधकमण्डलस्य।
(ग) उत्पीडितानाम्। 
(घ) ‘महिला सेवामण्डल’, ‘शिशुहत्या प्रतिबन्धक गृह’ इत्यादीनां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानम् महत्त्वपूर्णम्। 
(ङ) अवदानम्। 
(च) द्वितीया। 

पाठ्यपुस्तक प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत-
(क) कीदृशीनां कुरीतीनां सावित्री मुखरं विरोधम् अकरोत्?
उत्तरम्:
सामाजिक।

(ख) के कूपात् जलोद्धरणम् अवारयन्?
उत्तरम्:
उच्च वर्गीयाः।

(ग) का स्वदृढनिश्चयात् न विचलति?
उत्तरम्:
सावित्री बाईफुले।

(घ) विधवानां शिरोमुण्डनस्य निराकरणाय सा कैः मिलिता?
उत्तरम्:
साक्षात् नापितैः।

(ङ) सा कासां कृते प्रदेशस्य प्रथम विद्यालयम् आरभत?
उत्तरम्:
महाराष्ट्रस्य पुणे नगरे।

प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(क) किं किं सहमाना सावित्रीबाई स्वदृढनिश्चयात् न विचलति?
उत्तरम्:
धूलिं प्रस्तरखण्डं सहमाना सावित्रीबाई स्वदृढनिश्चयात् च विचलति।

(ख) सावित्रीबाईफुलेमहोदयायाः पित्रोः नाम किमासीत्?
उत्तरम्:
सावित्रीबाईफुलेमहोदयायाः पित्रोः नाम खंडोजी आसीत्।

(ग) विवाहानन्तरमपि सावित्र्याः मनसि अध्ययनाभिलाषा कथम् उत्साहं प्राप्तवती?
उत्तरम्:
विवाहानन्तरमपि सावित्र्याः मनसि अध्ययनाभिलाषा स्त्री शिक्षा पर्बल समर्थकः उत्साह प्राप्तवती।

(घ) जलं पातुं निवार्यमाणाः नारी: सा कुत्र नीतवती किञ्चाकथयत्?
उत्तरम्:
जलं पातुं निवार्यमाणाः नारी: सा निजगृहं नीतवती अकथयत्।

(ङ) कासां संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानं महत्त्वपूर्णम्?
उत्तरम्:
महिला सेवामण्डल, शिशुप्रतिबन्ध गृहं संस्थानां स्थापनायां फुलेदम्पत्योः अवदानं महत्त्वपूर्णम्।

(च) सत्यशोधकमण्डलस्य उद्देश्यं किमासीत्?
उत्तरम्:
सत्यशोधकमण्डलस्य उत्त्पीड़ितानां, समुदायानां स्वाधिकारान् प्रति जागरणम् उद्देश्यं आसीत्।

(छ) तस्याः द्वयोः काव्यसङ्कलनयोः नामनी के?
उत्तरम्:
काव्यफूले, सुबोधरत्नाकर द्वयोः काव्यसङ्कलनयोः नामनी।

प्रश्न 3.
रेखांकितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणम् कुरुत-
(क) सावित्रीबाई, कन्याभिः सविनोदम् आलपन्ती अध्यापने संलग्ना भवति स्म?
उत्तरम्:
सावित्रीबाई, कामिः सविनोदम् आलपन्ती अध्यापने संलग्ना भवति स्म।

(ख) सा महाराष्ट्रस्य प्रथमा महिला शिक्षिका आसीत्?
उत्तरम्:
सा कस्य प्रथमा महिला शिक्षिका आसीत्।

(ग) सा स्वपतिना सह कन्यानां कृते प्रदेशस्य प्रथम विद्यालयम् आरभत?
उत्तरम्:
सा स्वपतिना सह काम् कृते प्रदेशस्य प्रथम विद्यालयम् आरभत।

(घ) तया मनुष्याणां समानतायाः स्वतन्त्रतायाश्च पक्षः सर्वदा समर्थितः?
उत्तरम्:
तया काम् समानतायाः स्वतन्त्रतायाश्च पक्षः सर्वदा समर्थितः।

(ङ) साहित्यरचनया अपि सावित्री महीयते?
उत्तरम्:
साहित्यरचनया अपि का महीयते।

प्रश्न 4.
यथानिर्देशमुत्तरत-
(क) इदं चित्रं पाठशालायाः वर्तते- अत्र ‘वर्तते’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
उत्तरम्:
पाठशालायाः।

(ख) तस्याः स्वकीयम् अध्ययनमपि सहैव प्रचलति – अस्मिन् वाक्ये विशेष्यपदं किम्?
उत्तरम्:
स्वकीयम् अध्ययनमपि।

(ग) अपि यूयमिमा महिलां जानीथ- अस्मिन् वाक्ये ‘यूयम्’ इति पदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
उत्तरम्:
छात्राणां

(घ) सा ताः स्त्रियः निजगृहं नीतवती – अस्मिन् वाक्ये ‘सा’ इति सर्वनामपदं कस्यै प्रयुक्तम्?
उत्तरम्:
सावित्रीबाईफूले।

(ङ) शीर्णवस्त्रावृताः तथाकथिताः निम्नजातीयाः काश्चित् नार्यः जलं पातुं याचन्ते स्म – अत्र ‘नार्यः’ इति पदस्य विशेषणपदानि कति सन्ति, कानि च इति लिखत?
उत्तरम्:
शीर्णवस्त्रावृता, निम्नजातीयाः।

प्रश्न 5.
अधोलिखितानि पदानि आधृत्य वाक्यानि रचयतः-
स्वकीयम् – __________
सविनोदम् – __________
सक्रिया – __________
प्रदेशस्य – __________
मुखम् – __________
सर्वथा – __________
उत्तरम्:

प्रश्न 6(अ).
अधोलिखितानि पदानि आधुत्य वाक्यानि रचयत-
(क) उपरि – __________
(ख) आदानम् – __________
(ग) परकीयम् – __________
(घ) विषमता – __________
(ङ) व्यक्तिगतम् – __________
(च) आरोहः – __________
उत्तरम्:
(क) उपरि – उपरि निर्मितं चित्रं पश्यत।
(ख) आदानम् – विद्यायाः आदानं क्रियेत।
(ग) परकीयम् – परकीयम् वस्तुं न स्वीक्रियात्।
(घ) विषमता – अस्नाकं जीवने बहुनि विषमंग भवति।
(ङ) व्यक्तिगतम् – कस्यापि व्याक्तिगतं स्वतन्त्रता न तननीना।
(च) आरोहः – बसमानम् अरोहेत शनैः।

प्रश्न 6(आ).
अधोलिखितपदानां समानार्थकपदानि पाठात् चित्वा लिखत-
मार्गे, अविरतम, अध्यापने, अवदानम्, यथेष्टम्, मनसि
(क) शिक्षणे – __________
(ख) पथि – __________
(ग) हृदय – __________
(घ) इच्छानुसारम् – __________
(ङ) योगदानम् – __________
(च) निरन्तरम् – __________
उत्तरम्:
(क) शिक्षणे – अध्यापने
(ख) पथि – मार्गे
(ग) हृदय – यथेष्टम्
(घ) इच्छानुसारम् – मनसि
(ङ) योगदानम् – अवदानम्
(च) निरन्तरम् – अविरतम

प्रश्न 7(अ).
अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग, विभक्तिं, वचनं च लिखतः-

उत्तरम्:

प्रश्न 7(आ).
उदाहरणमनुसृत्य लकारपरिवर्तनं कुरुतः।
वर्तमान कालः अतीतकाल:
यथा – सा शिक्षिका अस्ति। (लङ्लकारः) सा शिक्षिका आसीत्।
1. सा अध्यापने संलग्ना भवति। (लटलकार:)
2. सः त्रयोदशवर्षकल्पः अस्ति। (लङ्लकार:)
3. महिलाः तडागात् जलं नयन्ति। (लोट्लकारः)
4. वयं प्रतिदिनं पाठं पठामः। (विधिलिङ्ग)
5. यूयं किं विद्यालयं गच्छथ? (लटलकार:)
6. ते बालकाः विद्यालयात् गृहं गच्छन्ति। (लङ्लकार:)
उत्तरम्:

सारांश

शब्दार्थ-
वर्तते-है; आदाय – लेकर; प्रस्तरखण्डान – पत्थर के टुकड़ों को; अजायन – पैदा हुई; अभिहितौ – कहे गए है; परिणीता – ब्याही गई; यतोहि- क्योंकि प्रारब्ध – आरम्भ किया; निराकरणाय – दूर करने के लिए; नापित – नाई; रूढौ – रुढि में; निकषा – निकट; सोढुम – सहने में; उत्पीडितानाम् – सताए हुओं का; अश्रान्तम – बिना थके हुए; महीयते – बढ़ चढ़कर है। पद्यबद्धम् – कविता के रूप में; गहनावबोधाय – गहराई से समझने के लिए; निधनम् – मृत्यु को; अध्येतव्यम् – पढ़ना चाहिए।

मूलपाठः
उपरि निर्मितः………….फूले नामधेया।

सरलार्थः
ऊपर बने हुए चित्र को देखो। यह चित्र किसी पाठशाला का है। यह साधारण पाठशाला नहीं है यह है महाराष्ट्र की पहली कन्या पाठशाला। एक शिक्षिका घर से पुस्तकें लेकर चलती है। मार्ग में कोई उस पर धूल फेंकता है। और कोई पत्थर के टुकड़े परन्तु वह अपने दृढ़ निश्चय से नहीं हटती। अपने विद्यालय में बालिकाओं से हँसी-मजाक से बातें करती हुई वह (उन्हें) पढ़ाने में लगी रहती है। उसका अपना अध्ययन भी साथ ही चलता है। कौन है यह महिला? क्या तुम सब इस महिला को जानते हैं? यह ही महाराष्ट्र की प्रथम महिला शिक्षिका है जिसका नाम ‘सावित्री बाई फुले’ है।

जनवरी मासस्य……………………अध्ययनं कृतवती।

सरलार्थः
जनवरी महीने तीसरे दिन सन् 1831 ईस्वी में महाराष्ट्र के नायगाँव नामक स्थान पर सावित्री जन्मी। उसकी माता का नाम लक्ष्मीबाई तथा पिता खंडोजी थे। नौ वर्ष वाली वह ज्योतिबा फुले महोदय से ब्याही गई। वे भी तब तेरह वर्ष के ही थे। क्योंकि वह स्त्री शिक्षा के प्रबल समर्थक थे इसलिए सावित्री के मन में स्थित अध्ययन की अभिलाषा स्रोत को पा गई। इससे पहले उसने आग्रहपूर्वक आङ्गल भाषा का अध्ययन भी किया। सन् 1948 ई. में पुणे नगर में सावित्री ने ज्योतिबा महोदय के साथ कन्याओं के लिए प्रदेश का पहला विद्यालय प्रारम्भ किया। जब वह केवल सत्रह वर्ष की थी। 1951 ई. में छुआछूत से तिरस्कृत की बालिकाओं के लिए उसने अलग से विद्यालय आरम्भ किया।

सामाजिककुरीतीनां सावित्री…………………….सर्वथा समर्थितः।

सरलार्थः
सामाजिक कुरीतियों का सावित्री ने मुखर विरोधी किया। विधवाओं के लिए मुंडाने का निराकरण करने के लिए वह साक्षात् नाइयों से मिली। परिणामत : कुछ नाइयों, ने इस रूढ़ि का साथ छोड़ दिया। एक बार सावित्री ने मार्ग में देखा कि कुएँ के पास फटे-पुराने कपड़े में लिपटी तथा कथित निम्न जाति की कुछ नारियाँ जल पीने के लिए माँग रही थीं। उच्च वर्ग वालों कने उपहास करते हुए कुएँ से जल निकालने के लिए रोक दिया। सावित्री यह अपमान नहीं सह सकी। वह उन स्त्रियों को अपने घर ले गई और तालाब दिखाकर कहा कि जितना चाहो उतना जल ले लो। यह तालाब सार्वजतिनक है। इससे जल लेने में जाति का बन्धन नहीं है। उसने मनुष्यों की समानता व स्वतन्त्रता के पक्ष का पूरी तरह से हमेशा समर्थन किया।

‘महिला सेवामण्डल’…………अवश्यम् अध्येतव्यम्।

सरलार्थः
‘महिला सेवा मण्डल’,’शिशु हत्या प्रतिबन्धक गृह इत्यादि संस्थाओं की स्थापना में फुले दम्पत्ति का महत्त्वपूर्ण योगदान है। सत्यशोधक मण्डल की गतिविधियों पर भी सावित्री अत्यधिक सक्रिय थी इस मण्डल का उद्देश्य था सताए हुए समुदायों को अपने अधिकारी के लिए जाग्रत करना।’ सावित्री ने अपने प्रशासनकौशल से अनेक संस्थाओं का संचालन किया। अकाल और प्लेग के समय उसने पीड़ित लोगों को बिना थके सेव की सहायता सामग्री की व्यवस्था के लिए भरस्क प्रयास किया महामारी फैलने के समय सेवा में लगी हुई वह स्वयं असाध्य रोग से ग्रस्त होकर सन् 1867 ई. में स्वर्गवासी हो गई। साहित्य रचना में भी सावित्री आगे है उसके दो काव्य सकलन है। काव्यफुले और सुबोध रत्नाकर, भारत देश में महिलाओं के उत्थान की गहन जानकारी के लिए सवित्री के जीवन चरित्र का अध्ययन अवश्य करना चाहिए?

RBSE Solution for Class 8 Sanskrit Chapter 11 सावित्री बाई फुले, Study Learner


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