RBSE Solution for Class 9 Sanskrit Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्
सप्रसङ्ग हिन्दी-अनुवाद एवं संस्कृत-व्याख्या
1. संकेत-भटः-जयतु ………………………………..तिरस्क्रियते
शब्दार्थ
हिन्दी सरलार्थ भट-महाराज की जय हो।
राजा-तुम्हारी प्रसन्नता अद्भुत-सी लग रही है, बताओ किस कारण इतने प्रसन्न हो?
भट-अविश्वसनीय प्रिय प्राप्त हो गया है, अभिमन्यु पकड़ लिया गया है। राजा-अब वह किस प्रकार पकड़ लिया गया है? भट-रथ पर पहुँचकर निश्शङ्क भाव से हाथों द्वारा उतार लिया गया है।
(प्रकट रूप से) इस ओर, इस ओर से कुमार।
अभिमन्यु-अरे यह कौन? जिसने एक हाथ से पकड़ कर अधिक बलशाली होकर भी मुझे पीड़ित नहीं किया।
बृहन्नला-कुमार इधर चलें।
अभिमन्यु-अरे! यह दूसरा कौन है, ऐसा लग रहा है जैसे महादेव ने उमा का वेष ग्रहण किया हो।
बृहन्नला-आर्य! मुझे इससे बात करने की बहुत उत्सुकता हो रही है। आप इसे बोलने के लिए प्रेरित करें।
भीमसेन-(एक ओर को) अच्छा (प्रकट रूप से) अभिमन्यु! अभिमन्यु-अभिमन्यु? भीमसेन-यह मुझसे चिढ़ता है, तुम्हीं इसे बात करने के लिए प्रेरित करो। बृहन्नला-अभिमन्यु!
अभिमन्यु-क्यों, मेरा नाम अभिमन्यु है? अरे! क्या यहाँ विराटनगर में क्षत्रिय-कुमारों को नीच लोग भी नाम लेकर पुकारते हैं, अथवा मैं शत्रुओं के अधीन हो गया, इसलिए अपमानित किया जा रहा है मुझे।
संकेत-बृहन्नला-अभिमन्यो! सुखमास्ते ………………………….. केनायं गृहीतः?
शब्दार्थ
हिन्दी सरलार्थ बृहन्नला-अभिमन्यु! तुम्हारी माता सकुशल है?
अभिमन्यु-क्या, क्या? माता? क्या आप मेरे पिता या चाचा हैं? आप क्यों मुझ पर पिता के समान अधिकार दिखाकर माता के सम्बन्ध में प्रश्न कर रहे हैं?
बृहन्नला-अभिमन्यु! देवकीपुत्र केशव सकुशल हैं?
अभिमन्यु-क्या आदरणीय कृष्ण को भी नाम से……? और क्या, और क्या! (कुशल हैं) (दोनों एक-दूसरे की ओर देखते हैं)
अभिमन्यु-ये मेरे ऊपर अज्ञानी की तरह क्यों हँस रहे हैं?
बृहन्नला-क्या कुछ ऐसा ही नहीं है? पिता पार्थ तथा मामा श्रीकृष्ण वाला युवक : युद्ध में निपुण होकर भी युद्ध में परास्त हो जाता है।
अभिमन्यु-स्वच्छन्द प्रलाप करना बन्द करो। हमारे कुल में आत्म प्रशंसा करना अनुचित है। युद्ध क्षेत्र में मेरे बाणों से मारे हुए सैनिकों के शरीरों को देखिए, (बाणों पर) मेरे अतिरिक्त दूसरा नाम नहीं होगा।
बृहन्नला-अरे वाणी की ऐसी वीरता! फिर उन्होंने तुम्हें पैदल ही क्यों पकड़ लिया?
अभिमन्यु-वे अशास्त्र (शस्त्रहीन) होकर मेरे सामने आए। पिता अर्जुन को याद करके मैं उन्हें कैसे मारता? मुझ जैसे लोग शस्त्रहीन पर प्रहार नहीं करते। अतः इस शस्त्रहीन ने मुझे धोखा देकर पकड़ लिया।
राजा-तुम उस अभिमन्यु को शीघ्र बुला लाओ। बृहन्नला-कुमार इधर आएँ। यह महाराज हैं। आप समीप जाएँ। अभिमन्यु-आह। किसके महाराज? . राजा-आओ, आओ पुत्र! तुम मुझे प्रणाम क्यों नहीं करते? (मन में)
अरे! यह क्षत्रियकुमार बहुत घमण्डी है। मैं इसका घमण्ड शान्त करता हूँ। (प्रकट रूप से) तो इसे किसने पकड़ा?
संकेत-भीमसेनः-महाराज! मया ……………………………. तम् आलिङ्गन्ति।
शब्दार्थ
हिन्दी सरलार्थ भीमसेन-महाराज! मैंने। अभिमन्यु-शस्त्रहीन होकर पकड़ा’-ऐसा कहिए।
भीमसेन-शान्त हो जाइए। धनुष तो दुर्बलों के द्वारा उठाया जाता है। मेरी तो भुजाएँ ही शस्त्र हैं।
अभिमन्यु-नहीं! क्या आप हमारे मध्यम तात हैं, जो उनके समान वचन बोल रहे हैं।
भगवान्-पुत्र! यह मध्यम तात कौन हैं?
अभिमन्यु-सुनिए-जिसने अपनी भुजाओं से जरासन्ध का कण्ठावरोध करके कृष्ण के लिए जो असाध्य कार्य था, उसको साध्य बना दिया था।
राजा-तुम्हारे निन्दापूर्ण वचनों से मैं चिढ़ता नहीं हूँ। तुम्हारे चिढ़ने से मुझे आनन्द प्राप्त होता है। तुम यहाँ क्यों खड़े हो, जाओ यहाँ से-यदि मैं ऐसा कहूँ तो क्या मैं अपराधी नहीं होऊँगा?
अभिमन्यु-यदि आप मुझ पर कृपा करना चाहते हैं तो-
मेरे पैर बाँधकर मुझे उचित दण्ड दीजिए। मैं हाथों से पकड़कर लाया गया हूँ। मेरे मध्यम तात भीम मुझे हाथों से ही छुड़वाकर ले जाएँगे। (तब उत्तर का प्रवेश)
उत्तर:भगवन् ! मैं प्रणाम करता हूँ।
राजा-दीर्घायु हो पुत्र! क्या युद्ध में वीरता दिखाने वाले वीरों का सत्कार कर दिया गया है?
उत्तर:अब सबसे अधिक पूज्य की पूजा कीजिए।
राजा-किसकी पूजा पुत्र? उत्तर:यहीं मौजूद अर्जुन की। राजा-क्या अर्जुन यहाँ आए हैं? उत्तर:और क्या? पूज्य अर्जुन ने श्मशान से अपना धनुष तथा अक्षय तरकश लेकर भीष्म आदि राजाओं को परास्त कर दिया तथा हम लोगों की रक्षा की।
राजा-ऐसी बात है? उत्तर:आप अपना सन्देह दूर करें। धनुर्विद्या में प्रवीण अर्जुन यही हैं। बृहन्नला–यदि मैं अर्जुन हूँ तो यह भीमसेन है और यह राजा युधिष्ठिर हैं।
अभिमन्यु-ये मेरे पूज्यं पितागण हैं, इसीलिए मेरे निन्दापूर्ण वचनों से ये क्रुद्ध नहीं होते और हँसते हुए मुझे चिढ़ाते हैं। . गौ-अपहरण की यह घटना सौभाग्य से सुखांत हुई है। इसी के कारण मुझे अपने सभी पिताओं के दर्शन हो गए।
(ऐसा कहकर क्रम से सबको प्रणाम करता है और सब उसका आलिंगन करते हैं।)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत
(क) भटः कस्य ग्रहणम् अकरोत्?
उत्तर:
भटः सौभद्रस्य ग्रहणम् अकरोत्।
(ख) अभिमन्युः कथं गृहीतः आसीत् ?
उत्तर:
अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।
(ग) भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः किमर्थम् उत्तरं न ददाति?
उत्तर:
भीमसेनेन बृहन्नलया च पृष्टः अभिमन्युः उत्तरं न ददाति यतः सः अपहरणेन क्षुब्धः आसीत्।
(घ) अभिमन्युः स्वग्रहणे किमर्थं वञ्चितः इव अनुभवति?
उत्तर:
अभिमन्युः स्वग्रहणे वञ्चितः इव अनुभवति यतः सः अशस्त्रः वञ्चयित्वा गृहीतः।
(ङ) कस्मात् कारणात् अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते?
उत्तर:
अभिमन्युः गोग्रहणं सुखान्तं मन्यते यतः अनेनैव तस्य पितरः दर्शिताः
प्रश्न 2.
अंधोलिखितवाक्येषु प्रकटितभावं चिनुत-
(क) भोः को नु खल्वेषः? येन भुजैकनियन्त्रितो बलाधिकेनापि न पीडितः अस्मि। (विस्मयः, भयम्, जिज्ञासा)
उत्तर:
विस्मयः।
(ख) कथं कथं! अभिमन्यु माहम्। (आत्मप्रशंसा, स्वाभिमानः, दैन्यम्)
उत्तर:
स्वाभिमानः।
(ग) कथं मां पितृवदाक्रम्य स्त्रीगतां कथां पृच्छसे? (लज्जा, क्रोधः, प्रसन्नता)
उत्तर:
क्रोधः।
(घ) धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते मम तु भुजौ एव प्रहरणम्। (अन्धविश्वासः, शौर्यम्, उत्साहः)
उत्तर:
शौर्यम्।
(ङ) बाहुभ्यामाहृतं भीमः बाहुभ्यामेव नेष्यति। (आत्मविश्वासः, निराशा, वाक्संयमः)
उत्तर:
आत्मविश्वासः।
(च) दिष्ट्या गोग्रहणं स्वन्तं पितरो येन दर्शिताः। (क्षमा, हर्षः, धैर्यम्)
उत्तर:
हर्षः।
प्रश्न 3.
यथास्थानं रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत
उत्तर:
(क) खलु + एषः = खल्वेषः।
(ख) बल + अधिकेन + अपि = बलाधिकेनापि
(ग) विभाति + उमावेषम = विभात्युमावेषम्।
(घ) वाचालयतु + एनम् = वाचालयत्वेनम्।
(ङ) रुष्यति + एष = रुष्यत्येष।
(च) त्वमेव + एनम् = त्वमेवैनम्।
(छ) यातु + इति = यात्विति।
(ज) धनञ्जयाय + इति = धनञ्जयायेति।
प्रश्न 4.
अधोलिखितानि वचनानि कः कं प्रति कथयति
यथा – कः – कं प्रति
आर्य, अभिभाषणकौतूहलं मे महत्। – बृहन्नला – भीमसेनम्
उत्तर
(क) कथमिदानीं सावज्ञमिव मां हस्यते? – अभिमन्युः – बृहन्नलाम्
(ख) . अशस्त्रेणेत्यभिधीयताम्। – अभिमन्युः – भीमसेनम्
(ग) पूज्यतमस्य क्रियतां पूजा। – उत्तरः – राजानम्
(घ) पुत्र! कोऽयं मध्यमो नाम। – भगवान्। – अभिमन्युम्
(ङ) शान्तं पापम् ! धनुस्तु दुर्बलैः एव गृह्यते। – भीमसेनः – अभिमन्युम्
प्रश्न 5.
अधोलिखितानि स्थूलानि सर्वनामपदानि कस्मै प्रयुक्तानि
(क) वाचालयतु एनम् आर्यः।
उत्तर:
अभिमन्यवे।
(ख) किमर्थं तेन पदातिना गृहीतः।
उत्तर:
भीमाय।
(ग) कथं न माम अभिवादयसि।.
उत्तर:
राज्ञे।
(घ) मम तु भुजौ एव प्रहरणम्।
उत्तर:
भीमसेनाय।
(ङ) अपूर्व इव ते हर्षो ब्रूहि केन विस्मितः?
उत्तर:
भटाय।
प्रश्न 6.
श्लोकानाम् अपूर्णः अन्वयः अधोदत्तः। पाठमाधृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
उत्तर:
(क) पार्थं पितरम् मातुलं जनार्दन म उद्दिश्य कृतास्त्रस्य तरुणस्य युद्धपराजयः युक्तः।
(ख) कण्ठश्लिष्टेन बाहुना जरासन्धं योक्त्रयित्वा तत् असह्यं कर्म कृत्वा (भीमेन) कृष्णः अतदर्हतां नीतः।
RBSE Solution for Class 9 Sanskrit Chapter 7 प्रत्यभिज्ञानम्, Study Learner