RBSE Solution for Class 7 Politics Chapter 6 संचार माध्यमों को समझना
पाठगत प्रश्न
1. अपने परिवार के बड़े लोगों से पूछिए कि जब टी.वी. नहीं था, तब वे रेडियो पर क्या सुनते थे? उनसे पूछिए कि आपके क्षेत्र में पहले-पहल टी.वी. कब आया था? केबल टी.वी. कब शुरू हुआ?
उत्तर : हमारे बुजुर्ग रेडियो पर समाचार, गाना और नाटक सुना करते थे। सबसे पहले टी.वी. नब्बे के दशक में आया था। टी.वी. के लगभग दस साल बाद केबल का भी धीरे-धीरे प्रचलन होने लगा।
2. आपके पड़ोस में कितने लोग इंटरनेट का प्रयोग करते हैं?
उत्तर : हमारे पड़ोस में अभी इंटरनेट का प्रयोग बहुत कम हो पाया है।
3. ऐसी तीन चीज़ों की सूची बनाइए, जो संसार के किन्हीं अन्य भागों से संबंधित हैं और जिनके बारे में आपने टेलीविजन देखकर जाना है। |
उत्तर : हमने जिनके बारे में टेलीविजन देखकर जाना है और जो संसार के किन्हीं अन्य भागों से संबंधित हैं, वे निम्न हैं
- दुबई का खलीफा बुर्ज–दुनिया की सबसे ऊँची इमारत जो संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर में स्थित है।
- पैट्रिश टावर मलेशिया की राजधानी कुआलालाम्पुर में स्थित 120 मंजिला इमारत, जो कि कंकरीट | से बना है। खलीफा बुर्ज के पहले दुनिया की सबसे ऊँची इमारत यही थी।
- लास वेगास संयुक्त राज्य अमेरिका का एक पर्यटक नगर, जिसे दुनिया के मनोरंजन की राजधानी माना जाता है।
4. अपने प्रिय टी.वी. कार्यक्रम के दौरान विज्ञापित होने वाली तीन चीज़ों की सूची बनाइए।
उत्तर : टी.वी. कार्यक्रम के दौरान विज्ञापित होने वाली तीन चीज़ों की सूची
- पैन्टीन शैम्पू
- हीरो मोटरसाइकिल
- लक्स अंडरवियर-बनियान
5. एक समाचार-पत्र लीजिए और उसमें दिए गए विज्ञापनों की संख्या गिनिए। कुछ लोग कहते हैं कि | समाचार-पत्रों में बहुत अधिक विज्ञापन होते हैं। क्या आप सोचते हैं कि यह बात सही है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर : समाचार-पत्रों में अलग-अलग दिनों में अलग-अलग विज्ञापन होता है। सबसे ज्यादा विज्ञापन रविवार के दिन होता है। सबसे ज्यादा विज्ञापन हिन्दुस्तान टाइम्स में होता है। रविवार के दिन इस समाचार-पत्र में 1000 से ज्यादा विज्ञापन होते हैं। यह बात सही है कि समाचार-पत्रों में बहुत ज्यादा विज्ञापन होते हैं। इसके कई कारण हैं
- विज्ञापन से समाचार-पत्रों को काफी अधिक आय प्राप्त होती है।
- विज्ञापन से पाठकों की संख्या में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए नौकरी और शादी के विज्ञापन आदि से पाठकों की संख्या बढ़ती है। वर और वधू ढूँढ़ने वाले, नौकरी ढूँढने वाले समाचार-पत्र को खरीदते हैं।
- विज्ञापनों से समाचार-पत्र के पेज बढ़ जाते हैं।
6. क्या आप ऐसा सोचते हैं कि किसी विषय के दोनों पक्षों को जानना महत्त्वपूर्ण है? क्यों?
उत्तर : हमारे विचार में किसी विषय के दोनों पक्षों को जानना महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि किसी भी विषय से संबंधित सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों के बारे में जानना जरूरी है। दोनों पक्षों को जानने के बाद ही किसी | निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है। अगर हमारी जानकारी किसी विषय से संबंधित नकारात्मक है तो हमारी धारणा उस विषय के संदर्भ में नकारात्मक हो जाएगी और अगर हमारी जानकारी किसी विषय से संबंधित सकारात्मक है तो हमारी धारणा उस विषय के संदर्भ में सकारात्मक हो जाएगी। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर दोनों पक्षों के बारे में जानना जरूरी है।
7. संचार माध्यमों के द्वारा एजेंडा तय करते हुए झोपड़पट्टियों के स्थान पर फैशन वीक की खबर देने से क्या नतीजा निकलता है?
उत्तर : कोई भी समाचार-पत्र बाजार में पाठक वर्ग को ध्यान में रखकर ही खबर को छापते हैं। समाचार-पत्र को झोपड़पट्टियों में बहुत कम पढ़ा जाता है, इसलिए समाचार-पत्र झोपड़पट्टियों से संबंधित बहुत ही कम खबर को छापते हैं। दूसरी तरफ फैशन वीक युवाओं के लिए आर्कषण का केन्द्र है, इसलिए फैशन वीक की खबरों को समाचार-पत्र में जगह मिलती है।
प्रश्न-अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
1. प्रजातंत्र में संचार माध्यम किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं?
उत्तर : प्रजातंत्र में संचार माध्यमों की भूमिका
- संचार माध्यमों से नागरिक जान सकते हैं कि सरकार किस प्रकार काम कर रही है। |
- संचार माध्यम निश्चित करते हैं कि किन बातों पर जनता का ध्यान केन्द्रित किया जाना है। इस प्रकार संचार माध्यम जनमत निर्माण का एक सशक्त माध्यम है।
- वह सरकार की नीतियों की समालोचना करते हैं।
- वह जनता को सरकारी नीतियों अथवा कार्यों के पक्ष और विपक्ष हेतु मंच प्रदान करते हैं।
2. क्या आप इस रेखाचित्र को एक शीर्षक दे सकते हैं? इस रेखाचित्र से आप संचार माध्यम और बड़े व्यापार के परस्पर संबंध के बारे में क्या समझ पा रहे हैं?
उत्तर : शीर्षक-“संचार के माध्यम से व्यापार” संचार के माध्यम से उद्यमी अपने उत्पाद को बेचते हैं। किसी भी नए उत्पाद को बाजार में बेचने के लिए उत्पादकों को विज्ञापन का सहारा लेना पड़ता है। विज्ञापन देखकर ही उपभोक्ता वस्तुओं को खरीदते हैं। जिससे उत्पादकों की वस्तुओं की बिक्री बढ़ जाती है, जिससे उत्पादक अधिक धन बटोरते हैं। इस प्रकार उद्यमी संचार के माध्यम से साधारण दर्शक, श्रोता, पाठक वर्ग को मानसिक एवं आर्थिक रूप से अपने हितों के लिए शोषित करते हैं।
3. आप पढ़ चुके हैं कि संचार माध्यम किस प्रकार एजेंडा बनाते हैं। इनका प्रजातंत्र में क्या प्रभाव पड़ता है? अपने विचारों के पक्ष में दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर : संचार माध्यम अधिक-से-अधिक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के एजेंडा बनाते हैं। यह प्रजातंत्र को अनेक प्रकार से प्रभावित करते हैं। उदाहरण-
- सरकार की नीतियों के बारे में जनता को बतलाती है। जनता सरकार की नीतियों पर अपना जनमत तैयार करती है।
- संचार माध्यम निश्चित करते हैं कि किन बातों पर ध्यान केंद्रित किया जाना है और इस तरह वह एजेंडा निश्चित कर देते हैं।
4. कक्षा परियोजना के रूप में समाचारों में से कोई एक शीर्षक चुनकर उस पर ध्यान केंद्रित कीजिए। और अन्य समाचार-पत्रों में से उससे संबंधित विवरण छाँटिए। दूरदर्शन समाचार पर भी इस विषय पर प्रसारित सामग्री देखिए। दो समाचार-पत्रों के विवरण की तुलना करके उनमें समानता और भिन्नता की रिपोर्ट लिखिए। निम्नलिखित प्रश्न पूछना सहायक हो सकता है
(क) इस लेख में क्या जानकारी दी जा रही है?
(ख) कौन-सी जानकारी इसमें छोड़ दी गई है?
(ग) यह लेख किसके दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर लिखा गया है?
(घ) किसके दृष्टिकोण को छोड़ दिया गया है और क्यों?
उत्तर : शीर्षक-‘प्रदूषण के कारण कारखानों पर वज्रपात’ इस संदर्भ में दो समाचार-पत्र की रिपोर्ट नीचे दी गई है.
(क) इस लेख में प्रदूषण के कारण एक लाख कारखानों के बंद होने से कारखानों के मालिकों और मजदूरों के विरोध से संबंधित एक रिपोर्ट दिया गया है।
(ख) न्यूज ऑफ इंडिया ने कारखानों से फैलने वाले प्रदूषण के दुष्परिणामों के बारे में व्याख्या नहीं की है, जबकि इंडिया डेली की रिपोर्ट में कारखानों और मजदूरों का विरोध करना कितना उचित है तथा नगर निगम द्वारा कारखानों को कितना सुविधा दिया गया है और क्या-क्या कमी रह गई है इसके बारे में नहीं बतलाया गया है।
(ग) न्यूज ऑफ इंडिया के लेख प्रदूषण के कारण कारखानों के बंद होने से मजदूरों द्वारा विरोध करने से सड़कों पर लगने वाले जाम को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार किया गया है, जबकि इंडिया डेली में कारखानों के मालिकों और मजदूरों के प्रतिक्रिया के संबंध में रिपोर्ट तैयार की गई है।
(घ) इन दोनों रिपोर्ट में कुछ दृष्टिकोणों को छोड़ दिया गया है। न्यूज ऑफ इंडिया रिपोर्ट में प्रदूषण से होने वाले नुकसान के संदर्भ में जनता की प्रतिक्रिया के बारे में नहीं बताया गया है। इंडिया डेली रिपोर्ट में मजदूरों के रोजगार और उनके अपर्याप्त पुनस्र्थापन को कोई महत्त्व नहीं दिया गया है।
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