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RBSE Solution for Class 9 Social Science Politics Chapter 3 चुनावी राजनीति

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RBSE Solution for Class 9 Social Science Politics Chapter 3 चुनावी राजनीति

In Text Questions and Answers

पृष्ठ 37 

प्रश्न 1.
क्या अधिकांश नेता अपने चुनावी वायदे पूरा करते हैं? 
उत्तर:
अधिकतर नेता चुनाव में जीत के बाद सत्ता की राजनीति में उलझे रहते हैं। उन्हें याद भी नहीं रहता कि उन्होंने जनता से कोई वादा भी किया था। कुछ हद तक सत्ता में आने वाली पार्टियाँ अपने घोषणा-पत्र में किये गए वादों पर अमल करती हैं। विजयी नेता, जनता द्वारा पूछे जाने पर सरकार द्वारा करवाए गये कामों को गिना कर मुक्ति पा लेते हैं। 

पृष्ठ 38 

प्रश्न 1.
जगदीप और नवप्रीत ने इस कथा को पढ़ा और निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले। क्या आप बता सकते हैं कि इनमें कौन-से निष्कर्ष सही हैं और कौनसे गलत? 
(i) चुनाव से सरकारी नीतियों में बदलाव हो सकता है। 
(ii) राज्यपाल ने देवीलाल के भाषणों से प्रभावित होकर उन्हें मुख्यमंत्री बनने का न्यौता दिया। 
(iii) लोग हर शासक दल से नाराज रहते हैं और हर अगले चुनाव में उसके खिलाफ वोट देते हैं। 
(iv) चुनाव जीतने वाली पार्टी सरकार बनाती है। 
(v) इस चुनाव से हरियाणा के आर्थिक विकास में काफी मदद मिली। 
(vi) अपनी पार्टी के चुनाव हारने के बाद कांग्रेसी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं थी। 
उत्तर:
(i) सही, 
(ii) गलत, 
(iii) गलत, 
(iv) सही, 
(v) गलत, 
(vi) गलत। 

प्रश्न 2.
हमने देखा कि लोकतंत्र के लिये चुनाव क्यों जरूरी है, पर गैर-लोकतांत्रिक देशों के शासकों को भी चुनाव कराने की जरूरत क्यों पड़ती है? 
उत्तर:
गैर-लोकतांत्रिक देशों में अपने शासन तथा विधायिका की वैधानिकता का जनता द्वारा अनुमोदन करवाने के लिये शासकों को चुनाव कराने की आवश्यकता होती है। 

पृष्ठ 40 

प्रश्न 1.
यहाँ दिये गये दोनों कार्टूनों को ध्यान से देखें प्रत्येक कार्टून क्या संदेश देता है, इसे अपने शब्दों में लिखें। 
उत्तर:
(i) बायीं तरफ दिखाए गये कार्टून से यह संदेश मिलता है कि नेताओं के ज्ञान, विचार, वादा, योजना आदि सभी निरर्थक हैं, यदि उन्हें जीत के लिए पर्याप्त वोट प्राप्त नहीं होते। 

(ii) दाहिनी तरफ दिखाए गये कार्टून से यह संदेश प्राप्त होता है कि चुनाव अभियानों के दौरान राजनेताओं द्वारा कई वादे किये जाते हैं। किंतु चुनाव जीतने के बाद जब उन्हें पद प्राप्त हो जाता है तो जनता उनके पीछे भागती रहती है लेकिन उनके पास अपने किये वादों को पूरा करने के लिये वक्त नहीं होता। 

पृष्ठ 42

प्रश्न 1.
पंचायतों की तरह क्या हम संसद और विधानसभाओं की एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित नहीं कर सकते? 
उत्तर:
हमारे समाज की आधी आबादी महिलाओं से बनी है तो फिर उन्हें राज्य विधान सभा सीटों अथवा संसदीय सीटों में एक-तिहाई सीटों पर आरक्षण देना चाहिए, क्योंकि उन्हें संसदीय मंच से अपनी समस्याओं के लिये आवाज उठाने तथा उनका समाधान ढूंढ़ने का पूरा अधिकार है। 

पृष्ठ 43 

प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक में दिये गये नक्शे को देखिये तथा निम्नलिखित प्रश्नों के जवाब दीजिए-
(i) आपके राज्य और इसके दो पड़ोसी राज्यों में लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या कितनी है? 
उत्तर:
हमारे राजस्थान राज्य में 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। हमारे दो पड़ोसी राज्यों गुजरात तथा मध्यप्रदेश में क्रमशः 26 तथा 29 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं। 

(ii) किन-किन राज्यों में लोकसभा के 30 से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र हैं? 
उत्तर:
वे राज्य जिनमें लोकसभा सीटों की संख्या 30 से अधिक है-बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश तथा पश्चिम बंगाल। 

(iii) कुछ राज्यों में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या ज्यादा क्यों है? 
उत्तर:
इन राज्यों में अधिक आबादी के कारण मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है। अतः इनके लिये आवंटित सीटों की संख्या अधिक है। 

(iv) कुछ निर्वाचन क्षेत्र इलाके के हिसाब से छोटे और कुछ बहुत बड़े क्यों हैं?
उत्तर:
मतदाताओं की संख्या के आधार पर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्रफल को निर्धारित किया गया है। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि समान आबादी के लिये प्रतिनिधि की संख्या समान हो। 

यहाँ क्षेत्रफल का कोई खास महत्त्व नहीं होता। हो सकता है कि एक छोटे से क्षेत्र की आबादी एक बड़े क्षेत्र की आबादी जितनी ही हो। यही कारण है कि कुछ निर्वाचन क्षेत्र बहुत छोटे हैं, जबकि दूसरे बहुत बड़े। 

(v) अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र पूरे देश में बिखरे हैं या कुछ इलाकों में इनकी संख्या ज्यादा है? 
उत्तर:
अनुसूचित जाति/जनजाति के लिये सीटें उनकी आबादी के वितरण के आधार पर आरक्षित की गई हैं। अतः इनके लिये आरक्षित सीटें पूरे देश में समान रूप से वितरित नहीं हैं, बल्कि कुछ क्षेत्रों में इनकी सीटें अधिक हैं तो कुछ में कम। 

पृष्ठ 46 

प्रश्न 1.
उम्मीदवारों को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देने की जरूरत क्यों होती है? 
उत्तर:
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार प्रत्येक उम्मीदवार को अपने नामांकन के समय अपने और अपने परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति का ब्यौरा देना आवश्यक कर दिया गया है। इसलिये उम्मीदवारों को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा देने की जरूरत होती है। 

प्रश्न 2.
भारत की चुनाव प्रणाली की कुछ विशेषताएँ और कुछ सिद्धान्त दिए गये हैं। इनके सही जोड़े बनाएँ। 

सिद्धान्तचुनाव प्रणाली की विशेषता
(i) सार्वभौम वयस्क मताधिकारहर चुनाव क्षेत्र में लगभग बराबर मतदाता 
(ii) कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व 18 वर्ष और उससे ऊपर के सभी को मताधिकार
(iii) खुली राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता सभी को पार्टी बनाने या चुनाव लड़ने की आजादी 
(iv) एक मत, एक मोलअनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण 

उत्तर:

(i) सार्वभौम वयस्क मताधिकार18 वर्ष और उससे ऊपर के सभी को मताधिकार
(ii) कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लिये सीटों का आरक्षण 
(iii) खुली राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता सभी को पार्टी बनाने या चुनाव लड़ने की आजादी 
(iv) एक मत, एक मोलहर चुनाव क्षेत्र में लगभग बराबर मतदाता 

पृष्ठ 49 

प्रश्न 1.
मतदान केन्द्रों और मतगणना केन्द्रों पर पार्टी या उम्मीदवार के एजेन्ट क्यों मौजूद होते हैं? 
उत्तर:
मतदान केन्द्रों तथा मतगणना केन्द्रों पर विभिन्न पार्टियों के एजेन्ट उपस्थित रहते हैं, क्योंकि-

  • किसी पार्टी अथवा मतदाता द्वारा मतदान के दौरान किये जाने वाली किसी धाँधली को रोका जा सके। 
  • मतगणना के दौरान मत केंद्र पर होने वाली किसी भी तरह की अनियमितता पर नजर रखी जा सके तथा उसे संबंधित अधिकारियों के सामने लाया जा सके। 

प्रश्न 2.
इनमें कौन-सा काम आदर्श चनाव संहिता का उल्लंघन है. कौन-सा नहीं? 
(i) मतदान की तारीख से पहले मंत्री द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिये नई रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रवाना करना। 
(ii) एक उम्मीदवार ने वायदा किया कि चुने जाने पर वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में नई रेलगाड़ी चलवाएगा। 
(iii) एक उम्मीदवार के समर्थकों द्वारा मतदाताओं को एक मंदिर में ले जाकर उनसे उसी उम्मीदवार को वोट देने की शपथ दिलाना। 
(iv) किसी उम्मीदवार के समर्थकों द्वारा झुग्गी बस्ती में वोट के वायदे लेकर कंबल बांटना। 
उत्तर:
(i) आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन है। 
(ii) आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन नहीं है। 
(iii) आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन है। 
(iv) आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन है। 

पृष्ठ 50

प्रश्न 1.
चुनाव आयोग के पास इतनी शक्ति क्यों है? क्या यह लोकतंत्र के लिये अच्छा है? 
उत्तर:
चुनाव आयोग को इतनी शक्ति इसलिये दी गई है ताकि चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष एवं प्रभावी रूप से संपन्न करवाया जा सके। यह लोकतंत्र के लिये अच्छा है। इससे जनता के सही प्रतिनिधि सही तरीके से चुनकर आयेंगे। 

पृष्ठ 51

प्रश्न 1.
इन सुर्खियों को ध्यान से पढ़िये और पहिचानिये कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग किन शक्तियों का प्रयोग कर रहा है-
(i) चुनाव आयोग ने 14वीं लोकसभा के गठन की अधिसूचना जारी की। 
(ii) बिहार के चुनाव में मतदान के लिये फोटो पहचान पत्र अनिवार्य। 
(iii) चुनाव आयोग ने चुनाव खर्च पर नकेल कसी। 
(iv) चुनाव आयोग का एक और गुजरात दौरा, चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। 
(v) चुनाव आयोग ने गृह मंत्रालय के चुनाव सुधार संबंधी सुझाव नकारे। 
(vi) चुनाव के गुप्त खर्च पर चुनाव आयोग की नजर।
(vii) उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से अपराधी नेताओं पर रोक लगाने को कहा। 
(viii) चुनाव आयोग को हरियाणा के नए पुलिस प्रमुख की नियुक्ति स्वीकार। 
(ix) चुनाव आयोग ने 398 मतदान केन्द्रों पर फिर से वोट डालने के आदेश दिये। 
(x) राजनैतिक विज्ञापनों पर सेंसर का अधिकार हो : चुनाव आयोग।
(xi) ‘एक्जिट पोल’ पर प्रतिबंध लगाने की फिलहाल कोई योजना नहीं चुनाव आयोग । 
उत्तर:
(i) इस अधिसूचना के अन्तर्गत चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने की शक्ति का प्रयोग कर रहा है। 
(ii) इस घोषणा द्वारा आयोग ने चुनाव हित में फैसला लेने संबंधी शक्ति का प्रयोग किया है। 
(iii) यहाँ आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है। 
(iv) यहाँ चनाव आयोग ने निष्पक्ष चनाव के लिये चनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए दौरा किया जिससे स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव हो सकें। यहाँ चुनाव आयोग स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहा है। 
(v) यहाँ चुनाव आयोग स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी शक्ति का उपयोग कर रहा है। 
(vi) यहाँ आयोग ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी शक्ति का प्रयोग किया है। 
(vii) उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार चुनाव आयोग अपराधी नेताओं को चुनाव लडने पर रोक लगायेगा। यह भी स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव हेतु आपराधिक गतिविधियों पर प्रतिबन्ध की शक्ति का प्रयोग है। 
(viii) चुनाव आयोग यहाँ अपनी नियुक्ति सम्बन्धी शक्ति का प्रयोग कर रहा है। 
(ix) चुनाव आयोग को यह लगने पर कि कुछ मतदान केन्द्रों पर या पूरे चुनाव क्षेत्र में मतदान में कोई धाँधली हुई है या कोई अव्यवस्था रही है तो वह वहाँ फिर से मतदान के आदेश की शक्ति का प्रयोग करता है। 
(x) स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने की शक्ति का व्यापक प्रयोग करने हेतु चुनाव आयोग राजनैतिक विज्ञापनों पर सेंसर का अधिकार चाहता है। 
(xi) निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराने की शक्ति। चूंकि चुनाव कई चरणों में होता है अतः अन्य चरण के मतदान पर इसके प्रसारण से असर पड़ सकता है। चुनाव आयोग के पास एक्जिट पोल पर प्रतिबंध लगाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। 

पृष्ठ 54 

प्रश्न 1.
इस कार्टून में एक नेताजी को संवाददाता सम्मेलन से बाहर आते हुये दिखाया गया है और वे भाई भतीजावाद के पक्ष में बोल रहे हैं। 
क्या भाई-भतीजावाद कुछ राज्यों और पार्टियों तक ही सीमित है? 
उत्तर:
नहीं, पारिवारिक राजनीति केवल कुछ राज्यों अथवा पार्टियों तक सीमित नहीं है। कमोबेश यह प्रवृत्ति प्रत्येक राजनैतिक दलों, चाहे वह राष्ट्रीय स्तर के हों या राज्य स्तर के, में देखी जा सकती है। 

प्रश्न 2.
चुनावी अभियान शीर्षक वाला यह कार्टून लातिनी अमेरिका के संदर्भ में बना था। क्या यह भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों पर भी लागू होता है? 
उत्तर:
हाँ, दिखाया गया कार्टून भारत सहित दुनिया के दूसरे अन्य लोकतंत्रों पर भी लागू होता है, क्योंकि प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव अभियान के दौरान एक निश्चित राशि ही खर्च करने की अनुमति है, लेकिन वे उससे ज्यादा खर्च करते हैं और सबसे अधिक खर्च करने वाला प्रायः जीतता है। 

पृष्ठ 55 

प्रश्न 1.
(i) क्या यह कार्टून वोट के पहले और बाद में मतदाता की सही स्थिति को दिखाता है? 
(ii) क्या किसी लोकतंत्र में ऐसा हमेशा ही होगा? 
(iii) क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं जब ऐसा नहीं हुआ हो? 
उत्तर:
(i) हाँ, यह चुनाव के पहले तथा बाद में मतदाताओं के साथ बीतने वाली स्थितियों का बिल्कुल सही चित्रण है। 
(ii) नहीं, हमेशा तो नहीं किंतु अधिकतर इस तरह की बातें एक लोकतंत्र में होती हैं। 
(iii) नहीं, सामान्यतः ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जब ऐसा नहीं हुआ हो। 

प्रश्न 2.
ये भारतीय चुनावों के बारे में कुछ तथ्य हैं। इनमें से प्रत्येक पर टिप्पणी करके यह बताइये कि ये चीजें हमारी चुनाव प्रणाली की शक्ति को बढ़ाती हैं या कमजोरी को। 
(i) लोकसभा में 2009 तक महिला सदस्यों की संख्या 10 फीसदी से कम ही रही है। 
(ii) चुनाव कब हों इस बारे में अक्सर चुनाव आयोग सरकार की नहीं सुनता।
(iii) सोलहवीं लोकसभा के 440 से अधिक सदस्यों की संपत्ति एक करोड़ से भी अधिक है। 
(iv) चुनाव हारने के बाद एक मुख्यमंत्री ने कहा, “मुझे जनादेश मंजूर है।” 
उत्तर:
(i) यह हमारी चनाव पद्धति की कमजोरी है कि आधी आबादी होने के बावजद सांसदों की संख्या में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 10% है। 
(ii) यह हमारी चुनावी पद्धति की शक्ति को बढ़ाता है कि चुनाव आयोग को चुनाव के हित में सरकार की सलाह न मानने की स्वतंत्रता है अर्थात् चुनाव आयोग निष्पक्ष निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। 
(iii) यह हमारे चुनाव तंत्र की कमजोरी है कि अमीरों तथा गरीबों को चुनाव जीतने का बराबर अवसर प्राप्त नहीं होता। अमीर धन बल से चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। 
(iv) यह हमारे चुनाव तंत्र की मजबूती है कि चुनाव हारने तथा जीतने वाले दोनों ही चुनाव परिणाम से अपनी सहमति व्यक्त करते हैं। यह स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव का सूचक है। 

Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1. 
चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है? 
(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फैसला करने का अवसर देते हैं। 
(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं। 
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं। 
(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं। 
उत्तर:
(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं। 

प्रश्न 2. 
भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता? 
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं। 
(ख) भारत में चुनाव आयोग काफी शक्तिशाली है। 
(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है। 
(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं। 
उत्तर:
(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं। 

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में मेल ढूँढ़ें:

(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। 
(ख) कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु. जाति और अनु. जनजाति के लिए आरक्षित हैं ताकि2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले। 
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि 3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि 4. संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।

 उत्तर:
(क) 4, 
(ख) 1, 
(ग) 2, 
(घ) 3 

प्रश्न 4. 
इस अध्याय में वर्णित चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं :
चुनाव घोषणा पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना। 
उत्तर:

  • मतदाता सूची का निर्माण 
  • चुनाव प्रक्रिया की घोषणा 
  • नामांकन पत्र दाखिल करना 
  • चुनाव घोषणा पत्र जारी करना 
  • चुनाव अभियान 
  • मतदान 
  • पुनर्मतदान का आदेश 
  • मतगणना 
  • चुनाव परिणामों की घोषणा। 

प्रश्न 5. 
सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए? 
(क) चुनाव प्रचार 
(ख) मतदान के दिन 
(ग) मतगणना के दिन। 
उत्तर:
(क) चुनाव प्रचार-एक प्रभारी अधिकारी के रूप में सुरेखा को चाहिये कि स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव को ध्यान में रखते हुये वह सुनिश्चित करे कि, 
(i) कोई भी उम्मीदवार अथवा अन्य व्यक्ति मतदाताओं को बहका अथवा धमका नहीं रहा है अथवा उन्हें किसी तरह का लालच देकर अपने समर्थन में वोट डालने के लिये प्रेरित तो नहीं कर रहा है। 
(ii) उम्मीदवारों द्वारा धर्म अथवा जाति के नाम पर मतदाताओं से समर्थन तो नहीं मांगा जा रहा है। 
(iii) सरकारी मशीनरियों का दुरुपयोग तो नहीं किया जा रहा है। 
(iv) क्या ये लोग तय सीमा में चुनाव अभियान के दौरान खर्च कर रहे हैं? 

(ख) मतदान के दिन-सुरेखा को चाहिये कि वह इस बात का ध्यान रखे कि मतदाताओं को किसी भी तरह से वोट डालने से रोका तो नहीं जा रहा है। किसी तरह की धाँधली तो नहीं की जा रही है? उसे मतपेटियाँ छीनने, जबरन बूथ पर कब्जा करने आदि जैसी चीजों की रिपोर्ट तुरंत आयोग को करनी चाहिये। 

(ग) मतगणना के दिन-मतों की स्वतंत्र तथा निष्पक्ष गणना के लिये उसे पर्याप्त सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए। उसे पार्टियों के समर्थकों द्वारा की जाने वाली किसी भी संभावित घटना के लिये सतर्क रहना चाहिये। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी उम्मीदवारों के एजेण्ट वोटों की सुचारु रूप से गणना सुनिश्चित करने के लिए वहाँ विद्यमान हैं। 

प्रश्न 6. 
नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ, तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं, तो क्यों ? 

उत्तर:
हाँ, अमेरिकी कांग्रेस में आरक्षण की पद्धति लागू की जानी चाहिये क्योंकि इसके द्वारा प्रत्येक समुदाय को प्रतिनिधि सभा में बराबर का प्रतिनिधित्व (उनकी आबादी के अनुपात में) मिलना संभव हो सकेगा। 

आबादी में काले लोगों तथा हिस्पैनिक का कुल प्रतिशत हिस्सा 26% होने के बावजूद, कांग्रेस में केवल उन्हें 139 (अर्थात् अपनी आबादी के अनुपात में आधा) प्रतिनिधित्व प्राप्त है, जबकि गोरे लोगों को उनकी आबादी से भी 16% अधिक प्रतिनिधित्व प्राप्त है। 

प्रश्न 7. 
क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए। 
(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं। 
उत्तर:
नहीं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिये चुनाव आयोग को पर्याप्त शक्तियाँ दी गई हैं. 

  • चुनाव संबंधी सरकार की किसी भी सलाह को मानने के लिये आयोग बाध्य नहीं है। 
  • आयोग सत्ताधारी पार्टी को सरकारी मशीनरियों के दुरुपयोग से रोक सकता है। 
  • यह चुनाव आचार संहिता लागू करता है तथा इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों या दलों को सजा देता है। 
  • चनावी डयटी के दौरान सरकारी कर्मचारी चनाव आयोग के अधीन कार्य करता है, न कि सरकार के अधीन। 

(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है। 
उत्तर:
हाँ, यह सच है और यह स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव का सूचक है। 
यदि चुनावों में धाँधली होती तो मतदाताओं की संख्या निरंतर घटती जाती, जबकि भारत में मतदान का प्रतिशत पहले से बढ़ गया है। 

(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिये चुनाव जीतना बहुत आसान होता है। 
उत्तर:
नहीं, शासक दल के लिये चुनाव जीतना अपेक्षाकृत कठिन है, क्योंकि-

  • मतदाता चुनाव के दौरान किये गये वादों को पूरा नहीं किये जाने के कारण प्रायः इनसे नाराज रहते हैं। 
  • विरोधी पार्टियों द्वारा नए वादे करने के कारण माहौल उनके पक्ष में चला जाता है। 
  • सत्ताधारी दल भी निरंतर चुनाव हारते आए हैं। 

(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिये कई कदम उठाने जरूरी हैं। 
उत्तर:
हाँ, चुनावों को पूर्ण स्वतंत्र तथा निष्पक्ष बनाने के लिये वर्तमान में सुधारों की आवश्यकता बढ़ गई है। 

  • चुनाव के दौरान अधिकतम मात्रा में धन का दुरुपयोग होने लगा है। 
  • उम्मीदवारों के रूप में अपराधी पृष्ठभूमि के लोग चुनाव में भाग लेते हैं तथा वे अपनी ताकत से जनता को प्रभावित करने लगते हैं। 
  • चुनाव आयोग को चुनाव में धन के दुरुपयोग को रोकना चाहिए तथा उसे अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को चुनाव लड़ने से रोकना चाहिए। 

प्रश्न 8. 
चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के जुर्म में सजा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी। क्या यह फैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए। 
उत्तर:
न्यायालय का यह निर्णय लोकतान्त्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध नहीं जाता है। आयोग के निर्देशानुसार गंभीर आपराधिक मामले जिन व्यक्तियों पर साबित हुये हैं, उन्हें वह चुनाव लड़ने से वंचित कर सकता है। पहले को दहेज के जुर्म में सजा मिली थी और दूसरे ने संवैधानिक प्रावधान के तहत छुआछूत के व्यवहार का एक दंडनीय अपराध किया था। 

प्रश्न 9. 
यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्ट दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे? 
(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था। 
उत्तर:
हाँ, यह देश भारतीय मतगणना पद्धति से सीख ले सकता है। हमारे यहाँ मतगणना के समय चुनाव में भाग लेने वाले सभी प्रतिनिधियों के पर्यवेक्षक मौजूद होते हैं तथा उनके सामने मतों की गणना की जाती है। इतना ही नहीं, किसी भी तरह का संदेह होने पर पुनर्मतगणना की भी व्यवस्था है। 

(ख) फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी। 
उत्तर:
हाँ, फिजी के लोग भारतीय चुनाव पद्धति से सीख ले सकते हैं-

  • इस तरह की धमकियों से निबटने के लिये संवैधानिक तथा विधिक प्रावधान होने चाहिये तथा ऐसी शक्तिशाली एजेंसी होनी चाहिये जो तत्काल दंडात्मक कार्यवाही कर सके। 
  • यह प्रावधान होना चाहिये कि जो कोई दल या उम्मीदवार इस तरह के कार्यों में लिप्त पाया जायेगा, उसको चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जायेगा। 

(ग) अमेरिका के हर प्रांत में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका। 
उत्तर:
अमेरिका, भारतीय चुनाव पद्धति से सीख ले सकता है- 

  • यहाँ चुनाव में आयोजन के लिये एकीकृत व्यवस्था है जो राष्ट्रीय चुनाव आयोग के रूप में काम करती है। इसके नियम और आदेश संपूर्ण देश में समान रूप से लागू होते हैं। 
  • यह संस्था स्वतंत्र तथा सरकारी प्रभाव से मुक्त है। यह चुनाव के दौरान सरकार के फैसलों पर रोक लगा सकती है, यदि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के हित में न हों। 

प्रश्न 10. 
भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबंधित कुछ रिपोर्ट यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है? 
(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। 
(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली। 
(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम मिले। 
(घ) एक राजनैतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे। 
उत्तर:
(क) (i) चुनाव की घोषणा के बाद मंत्री द्वारा की गई यह घोषणा जनमत को प्रभावित करने वाला कदम है जो निष्पक्ष चुनाव में बाधक है। यह आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। 
(ii) इसके लिये चुनाव आयोग मंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी करे तथा अपेक्षित जवाब नहीं मिलने पर उसकी उस घोषणा को अवैध घोषित करे तथा दंडात्मक कार्यवाही करे। 

(ख) (i) यह निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न करने में बाधक है। इससे उन पार्टियों को जनता तक अपनी बात पहुंचाने का समान अवसर प्राप्त नहीं हुआ है। फलतः मतदान के प्रभावित होने की आशंका है। 
(i) आयोग को चाहिये कि अविलंब इसकी जाँच करवाए तथा सही पाये जाने पर उन पार्टियों की भी दूरदर्शन तथा रेडियो तक पर्याप्त पहुँच सुनिश्चित करने की व्यवस्था करे। 

(ग) (i) इस तरह से स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव बाधित होगा क्योंकि ये सभी वोटर किसी एक पार्टी के पक्ष में मत करेंगे। 
(ii) चुनाव आयोग इस मतदाता सूची को खारिज करे तथा सही मतदाता सूची तैयार करने का आदेश जारी करे। इस कार्य में लिप्त अधिकारियों को दंडित करने के आदेश जारी किये जायें। 

(घ) (i) राजनीति के इस अपराधीकरण से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के होने की संभावना कम हो जायेगी। लोग इनके डर से चुनाव में भाग लेने के लिए आगे नहीं आयेंगे। 
(ii) आयोग को चाहिए कि ऐसे तत्वों तथा संबंधित पार्टी का पता लगाकर उन पर उचित कार्यवाही करे। सभी उम्मीदवारों को समुचित सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाये। प्रशासन से विधि-व्यवस्था की चौकसी बढ़ाने के लिये कहा जाये। 

प्रश्न 11. 
जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया।क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है? 
(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। 
(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए। 
(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए। 
उत्तर:
(क) वोट के अधिकार का संबंध इस बात से बिल्कुल नहीं है कि व्यक्ति अपने उस अधिकार का किस तरह प्रयोग करता है। हाँ, महिलाओं को उनके वोट का महत्त्व अवश्य बतलाया जाना चाहिए। अतः लैंगिक पक्ष का विचार किये बिना प्रत्येक को वोट का अधिकार होना चाहिए। 

(ख) यह सच है कि पार्टी राजनीति समाज में तनाव पैदा करती है, किंतु चुनावों में प्रायः सहमति की संभावना नगण्य है, क्योंकि प्रत्येक उम्मीदवार विजयी होना चाहता है तथा इस मुद्दे पर सहमति बनने की कोई संभावना ही नहीं है। अतः स्वस्थ प्रतियोगिता ही चुनाव का बेहतर विकल्प है। 

(ग) नहीं, यह लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के खिलाफ है। खासकर हमारे देश में, जहाँ अशिक्षा बहुत अधिक है, अतः ऐसा करने से अशिक्षित या कम शिक्षित लोगों के मतदान के अधिकार का हनन होगा। 

RBSE Solution for Class 9 Social Science Politics Chapter 3 चुनावी राजनीति, Study Learner


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