RBSE Solution for Class 9 Social Science Geography Chapter 2 भारत का भौतिक स्वरूप
In Text Questions and Answers
पृष्ठ 8
प्रश्न 1.
महान हिमालय में पायी जाने वाली हिमानियों तथा दरों के नाम ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
(1) महान हिमालय में पाई जाने वाली हिमानियाँ-
- सियाचिन,
- बलटारो,
- बिआफो,
- हिस्पार,
- गंगोत्री,
- चतुरंगी।
(2) महान हिमालय में पाए जाने वाले दै-
- नाथुला दर्रा,
- शिपकी ला दर्रा,
- काराकोरम दर्रा,
- अशील दर्रा,
- जोजिला दर्रा,
- मानानीति दर्रा।
प्रश्न 2.
भारत के उन राज्यों के नाम लिखिए जहाँ ऊँचे शिखर स्थित हैं।
(पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 8 पर दी गई तालिका के अनुसार)
उत्तर:
(1) कंचनजुंगा – सिक्किम
(2) नंगा पर्वत – जम्मू और कश्मीर
(3) नंदा देवी – उत्तराखण्ड
(4) कामेट – उत्तराखण्ड
(5) नामचा बरुआ – अरुणाचल प्रदेश
प्रश्न 3.
एटलस से मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत की स्थिति देखें तथा उन राज्यों के नाम लिखें जहाँ वे स्थित हैं।
उत्तर:
स्थान – राज्य
मसूरी – उत्तराखण्ड
नैनीताल – उत्तराखण्ड
रानीखेत – उत्तराखण्ड
Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए-
(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो-
(क) तट
(ख) प्रायद्वीप
(ग) द्वीप
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) प्रायद्वीप
(ii) भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम-
(क) हिमाचल
(ख) पूर्वांचल
(ग) उत्तराखण्ड
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) पूर्वांचल
(iii) गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी-
(क) कोरोमण्डल
(ख) कन्नड़
(ग) कोंकण
(घ) उत्तरी सरकार।
उत्तर:
(ग) कोंकण
(iv) पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर-
(क) अनाईमुडी
(ख) महेंद्रगिरी
(ग) कंचनजुंगा
(घ) खासी।
उत्तर:
(ख) महेंद्रगिरी
प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए-
(i) ‘भाबर’ क्या है?
उत्तर:
नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि.मी. की चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इसे ‘भाबर’ के नाम से जाना जाता है।
(ii) हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए।
उत्तर:
उत्तर से दक्षिण के क्रम में हिमालय के तीन प्रमुख विभाग निम्न प्रकार हैं-
- महान या आन्तरिक हिमालय या हिमाद्रि
- निम्न हिमालय या हिमाचल
- बाहरी हिमालय या शिवालिक।
(iii) अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौनसा पठार स्थित है?
उत्तर:
मालवा का पठार।
(iv) भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।
उत्तर:
लक्षद्वीप द्वीप-समूह (लकादीव, मीनीकाय एवं एमीनदीव) प्रवाल भित्ति के हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) बांगर और खादर
(ii) पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट।
उत्तर:
(i) बांगर और खादर में अन्तर-
बांगर | खादर |
1. उत्तरी मैदान के पुरातन जलोढ़ को बांगर कहते हैं। | 1. बाढ़ के मैदानों के नवीन तथा युवा जलोढ़ को खादर कहते हैं। |
2. ये नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं जहाँ बाढ़ का पानी नहीं पहुँच पाता है। | 2. इन क्षेत्रों में बाढ़ के समय नदी का पानी सम्पूर्ण क्षेत्र में फैल जाता है तथा नयी जलोढ़-परत जम जाती है। |
3. इनका प्रति-वर्ष पुनर्निर्माण नहीं होता है। | 3. इनका प्रत्येक वर्ष पुनर्निर्माण होता है। |
4. यह कम उपजाऊ है। | 4. यह अधिक उपजाऊ है। |
(ii) पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर-
पूर्वी घाट | पश्चिमी घाट |
1. ये भारत के पूर्वी तट पर स्थित हैं। | 1. ये भारत के पश्चिमी तट पर स्थित हैं। |
2. पूर्वी घाटों की औसत ऊँचाई 600 मी. है। | 2. पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचे हैं। इनकी औसत ऊँचाई 900-1600 मी. है। |
3. पूर्वी घाट बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों द्वारा खण्डित, अनियमित और कटा-फटा है। | 3. पश्चिमी तट के समानान्तर चलते हुए, पश्चिमी घाट बेहद समानता दर्शाता है। ये निरन्तरता लिए हुए हैं और इन्हें दरों से होकर ही पार किया जा सकता है। |
4. महेंद्रगिरी (1,500 मी.), पूर्वी घाट का सर्वोच्च पर्वत शिखर है। | 4. सबसे ऊँचे शिखरों में अनाइमुडी (2,695 मी.) और डोडा बेटा (2,633 मी.) शामिल हैं। |
5. पूर्वी घाट में वर्षा बहुत कम होती है। | 5. वर्षा वाहक आर्द्र पवनों को रोककर पश्चिमी घाट, पर्वतीय वर्षा कराने में सहायक होते हैं। |
प्रश्न 4.
भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौनसे हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग निम्नलिखित हैं-
- हिमालय पर्वत श्रृंखला
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप-समूह।
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में अन्तर निम्न प्रकार है-
हिमालय क्षेत्र | प्रायद्वीप पठार |
1. हिमालय को उत्तर से दक्षिण की ओर तीन भागों में बाँट सकते हैं-(i) महान या आन्तरिक हिमालय या हिमाद्रि(ii) हिमाचल या निम्न हिमालय (iii) शिवालिक | 1. प्रायद्वीपीय पठार के दो मुख्य भाग हैं- (i) मध्य उच्च भूमि(ii) दक्कन का पठार |
2. हिमालय में ऊँचे शिखर, गहरी घाटियाँ तथा तेज बहने वाली नदियाँ हैं। | 2. इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं। |
3. ये अवसादी शैलों से बना है। | 3. ये क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपान्तरित शैलों से बना है। |
4. यह नवीन वलित पर्वतीय क्षेत्र है। | 4. यह पठारी क्षेत्र अति प्राचीन भूखण्ड है। |
प्रश्न 5.
भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत का उत्तरी मैदान
भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन निम्न बिन्दुओं में किया जा सकता है-
(1) निर्माण-उत्तरी मैदान का निर्माण तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र एवं इनकी सहायक नदियों की आपसी क्रियाओं से हुआ है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
(2) स्थिति व आकृति-उत्तर का विशाल मैदान धनुषाकार आकृति वाला है। यह लगभग 2400 किलोमीटर लम्बाई तथा 240 से 320 किलोमीटर चौड़ाई में फैला हुआ है। यह हिमालय पर्वत व दक्षिण के पठार के मध्य में स्थित है। इसे सतलज-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान के नाम से भी जाना जाता है।
(3) क्षेत्रफल-उत्तर के विशाल मैदान का क्षेत्रफल लगभग 7 लाख वर्ग किलोमीटर है।
(4) उत्तरी मैदान का विभाजन-उत्तरी मैदान को निम्न तीन उपवर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
- पंजाब का मैदान-उत्तरी मैदान का पश्चिमी भाग पंजाब का मैदान कहलाता है। यह सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों द्वारा बनाया गया है। इसका बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है। पंजाब के मैदान में दोआब बहत अधिक संख्या में हैं।
- गंगा का मैदान-गंगा का मैदान घग्घर तथा तिस्ता नदियों के बीच स्थित है। यह उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल में फैला है।
- ब्रह्मपुत्र का मैदान-ब्रह्मपुत्र का मैदान इसके पश्चिम विशेषकर असम में स्थित है।
(5) धरातलीय उच्चावच में भिन्नता-उत्तरी मैदान के धरातलीय उच्चावच में भी कुछ विविधता पाई जाती है। आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदान को निम्न चार भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- भाबर-नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि.मी. की चौड़ी पट्टिका में गुटिका का निक्षेपण करती हैं। इस क्षेत्र को भाबर कहते हैं।
- तराई-भाबर पट्टी के दक्षिण में स्थित नम तथा दलदली क्षेत्र तराई कहलाता है।
- बांगर-पुराने जलोढ़ से निर्मित उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग बांगर कहलाता है। यह वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करता है।
- खादर-बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेप खादर कहलाते हैं। इनका प्रतिवर्ष पुनर्निर्माण होता है। इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
(6) महत्त्व-भारत के उत्तरी मैदान का बहुत महत्त्व है । यहाँ सघन जनसंख्या पाई जाती है। उपजाऊ मृदा, पानी की पर्याप्त उपलब्धता तथा अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उपजाऊ क्षेत्र है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
(i) मध्य हिमालय
(ii) मध्य उच्च भूमि
(iii) भारत के द्वीप-समूह।
उत्तर:
(i) मध्य हिमालय-इसका वर्णन निम्न प्रकार है-
- इसे हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
- मध्य हिमालय सर्वाधिक असम है।
- इन शृंखलाओं का निर्माण मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है।
- इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है।
- मध्य हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लम्बी तथा सबसे महत्त्वपूर्ण शृंखला है। धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं।
- इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित हैं।
- धर्मशाला, डलहौजी, शिमला, नैनीताल, मसूरी, दार्जिलिंग आदि कई पर्वतीय नगर भी इसके निचले भागों में स्थित हैं।
- इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए भी जाना जाता है।
(ii) मध्य उच्च भूमि-इसका वर्णन निम्न प्रकार है-
- नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है, मध्य उच्च भूमि के नाम से जाना जाता है।
- इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ-चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की तरफ बहती है।
- मध्य उच्च भूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
- इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखण्ड तथा बघेलखण्ड के नाम से जाना जाता है।
- इसके और पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटा नागपुर पठार दर्शाता है।
(iii) भारत के द्वीप-समूह-भारत में दो द्वीप-समूह हैं। इनका वर्णन निम्न प्रकार है-
I. लक्षद्वीप समूह-
- यह छोटे-छोटे द्वीपों का समूह है जो केरल के मालाबार तट के पास अरब सागर में स्थित है।
- द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है।
- यह 32 वर्ग किमी. के छोटे-से क्षेत्र में फैला है।
- 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप समूह रखा गया। पहले इन द्वीपों को लकादीव, मीनीकाय एवं एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
- कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है।
- इस द्वीप-समूह पर पादप तथा जन्तु के बहुत से प्रकार पाए जाते हैं।
- पिटली द्वीप, जहाँ मनुष्य का निवास नहीं है, वहाँ एक पक्षी अभयारण्य है।
II. अण्डमान निकोबार द्वीप-समूह-
- ये द्वीप बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण की तरफ फैले हुए हैं।
- ये द्वीप-समूह आकार में बड़े, संख्या में बहुल तथा बिखरे हुए हैं।
- इस द्वीप-समूह को दो भागों में बाँटा गया है-उत्तर में अण्डमान तथा दक्षिण में निकोबार।
- इन द्वीप-समूहों में पाए जाने वाले पादप एवं जन्तुओं में बहुत अधिक विविधता है।
- ये द्वीप विषुवत् वृत्त के समीप स्थित हैं अतः यहाँ की जलवायु विषुवतीय है तथा ये घने जंगलों से आच्छादित हैं।
- यह माना जाता है कि ये द्वीप-समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं।
मानचित्र कौशल
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाइए-
(i) पर्वत शिखर-के-2, कंचनजुंगा, नंगा पर्वत, अनाईमुडी।
(ii) पठार-शिलांग, छोटा नागपुर, मालवा तथा बुंदेलखण्ड।
(iii) थार मरुस्थल, पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप समूह, गंगा-यमुना दोआब तथा कोरोमण्डल तट।
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