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RBSE Solution for Class 8 sanskrit Chapter 3 डिजीभारतम्

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RBSE Solution for Class 8 sanskrit Chapter 3 डिजीभारतम्

हिन्दी अनुवाद

पाठ-परिचय – प्रस्तुत पाठ ‘डिजिटलइण्डिया’ के मूल भाव को लेकर लिखा गया निबन्धात्मक पाठ है। इसमें वैज्ञानिक प्रगति के उन आयामों को छुआ गया है, जिनमें हम एक ‘क्लिक’ द्वारा बहुत कुछ कर सकते हैं। आज इन्टरनेट ने हमारे जीवन को कितना सरल बना दिया है। हम भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे के अत्यन्त निकट आ गए हैं। इसके द्वारा जीवन के प्रत्येक क्रियाकलाप सुविधाजनक हो गए हैं। ऐसे ही भावों को यहाँ सरल संस्कृत में व्यक्त किया गया है। 

पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् – 

1. अद्य संपूर्णविश्वे …………………………………….. लेखनकार्यम् आरब्धम्। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • श्रूयते = सुनी जाती है। 
  • उत्पद्यते = उत्पन्न होता है/होती है। 
  • परिवर्तते = बदल जाता है/जाती है। 
  • आरब्धम् = आरम्भ हुआ। 

हिन्दी अनुवाद – आज पूरे संसार में ‘डिजिटल-इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। इस शब्द का क्या भाव है, यह मन में जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। समय के बदलने के साथ ही मानव की आवश्यकता भी बदल जाती है। प्राचीन काल में ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक था और विद्या श्रुति-परम्परा (एक कान से दूसरे कान तक मौखिक रूप से सुनाना) के द्वारा ग्रहण की जाती थी। बाद में तालपत्रों के ऊपर और भोजपत्रों के ऊपर लेखन-कार्य आरम्भ हुआ। 

पठितावबोधनम् – 
निर्देशः – उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानां यथानिर्देशम् उत्तराणि लिखत प्रश्नाः 
(क) केन सह मानवस्य आवश्यकता परिवर्तते? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) प्राचीनकाले विद्या कया गृह्यते स्म? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) अद्य संपूर्णविश्वे कस्य चर्चा श्रूयते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘ज्ञातुम् इच्छा’ इत्यर्थे गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्? 
उत्तराणि : 
(क) कालपरिवर्तनेन। 
(ख) श्रुतिपरम्परया। 
(ग) अद्य संपूर्णविश्वे ‘डिजिटलइण्डिया’ इत्यस्य चर्चा श्रूयते। 
(घ) जिज्ञासा। 

2. परवर्तिनिकाले ……………………………..यंत्रेणसाधितानि भवन्ति। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • कर्गदस्य = कागज का। 
  • लेखन्याः = लेखनी (कलम/पैन) का। 
  • टंकणयन्त्रस्य = टाईप करने की मशीन का। 
  • प्रविधेः = तकनीक, विधि की। 
  • संगणक = कम्प्यूटर। 
  • साधितानि = सम्पन्न। 

हिन्दी अनुवाद – परिवर्तन के समय में कागज और कलम (पैन) के आविष्कार से सभी मनोभावों का कागज के ऊपर लिखना आरम्भ हो गया। टंकण (टाईप) मशीन के आविष्कार से तो लिखित सामग्री टं बहुत समय तक के लिए सुरक्षित हो गई। वैज्ञानिक तकनीक (विधि) की प्रगति-यात्रा फिर से आगे बढ़ती गई। आज सभी कार्य कम्प्यूटर नामक यन्त्र से सम्पन्न होते हैं। 

पठितावबोधनम् प्रश्ना : 

(क) कस्याः प्रगतियात्रा पुनरपि अग्रे गता? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) अद्य सर्वाणि कार्याणि केन यंत्रेण साधितानि भवन्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कस्य आविष्कारेण लिखिता सामग्री बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘काले’ इति विशेष्यपदस्य विशेषणपदं गद्यांशात् चित्वा लिखत।
उत्तराणि : 
(क) वैज्ञानिकप्रविधेः। 
(ख) संगणकयन्त्रेण।
(ग) टंकणयन्त्रस्य आविष्कारेण लिखिता सामग्री बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत् । 
(घ) परिवर्तिनि। 

3. समाचार-पत्राणि, ……………………….. उपकारो भविष्यति। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • कर्गदोद्योगे = कागज के उद्योग में। 
  • कर्त्यन्ते स्म = काटे जाते थे। 
  • अधिकाधिक = (अधिक + अधिक) अधिक से अधिक। 
  • दिशि = दिशा में। 

हिन्दी अनुवाद – समाचार-पत्र और पुस्तकें कम्प्यूटर के माध्यम से पढ़ी जाती हैं। कागज के उद्योग में वृक्षों के उपयोग से वृक्षों को काटा जाता था, परन्तु कम्प्यूटर का अधिक से अधिक प्रयोग होने से वृक्षों के काटने में कमी होगी, ऐसा विश्वास है। इससे पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में महान् उपकार होगा। 

पठितावबोधनम् प्रश्नाः 

(क) कर्गदोद्योगे केषाम् उपयोगः भवति स्म? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) कस्याः दिशि महान् उपकारो भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कथं वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘न्यूनता भविष्यति इति विश्वासः’ इत्यत्र अव्ययपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) वृक्षाणाम्।। 
(ख) पर्यावरणसुरक्षायाः। 
(ग) संगणकस्य अधिकाधिक-प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति। 
(घ) इति। 

4. अधुना आपणे …………………………….. सहायकाः सन्ति।

कठिन-शब्दार्थ : 

  • आपणे = बाजार में। 
  • वस्तुक्रयार्थम् = वस्तुएँ खरीदने के लिए। 
  • गृहीतवन्तौ = स्वीकार किये जाते हैं। 
  • वित्तकोशस्य = बैंक का। 
  • अनुप्रयोगाः = ऐप (APP)। 
  • विनिमयाय = लेन-देन के लिए। 

हिन्दी अनुवाद – इस समय बाजार में वस्तुएँ खरीदने के लिए रुपयों की अनिवार्यता नहीं है। ‘डेबिट कार्ड’, ‘क्रेडिट कार्ड’ आदि सभी जगह रुपयों के स्थान पर स्वीकार किये जाते हैं। बैंक के भी सभी कार्य कम्प्यूटर द्वारा सम्पन्न किये जाते हैं। अनेक प्रकार के ‘ऐप’ (APP) मुद्रा से रहित लेन-देन में सहायक हैं। 

पठितावबोधनम् प्रश्ना : 

(क) अधुना आपणे वस्तुक्रयार्थम् केषाम् अनिवार्यता नास्ति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) बैंकस्य सर्वाणि कार्याणि केन सम्पाद्यन्ते? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) मुद्राहीनाय विनिमयाय के सहायकाः सन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘इत्यस्य’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत। 
उत्तराणि : 
(क) रूप्यकाणाम्। 
(ख) संगणकयन्त्रेण। 
(ग) मुद्राहीनाय विनिमयाय बहुविधाः अनुप्रयोगाः सहायकाः सन्ति। 
(घ) इति + अस्य। 

5. कुत्रापि यात्रा ……………………………… प्रदातुं शक्यते। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • कुत्रापि = (कुत्र + अपि) कहीं भी।
  • रेलयानयात्रापत्रस्य = रेल टिकट की। 
  • चलदूरभाषयन्त्रे = मोबाइल फोन में। 
  • सन्दर्य = दिखलाकर। 
  • सौकर्येण = आसानी से, सुगमता से। 
  • नानुभूयते = (न + अनुभूयते) अनुभव नहीं की जाती है। 
  • शुल्कम् = फीस। 

हिन्दी अनुवाद – आज कहीं भी यात्रा करनी हो, रेल टिकट की, हवाई जहाज के टिकट की अनिवार्यता नहीं है। सभी टिकट हमारे मोबाइल फोन में ‘ई-मेल’ नामक स्थान पर सुरक्षित होते हैं, जिनको दिखलाकर हम आसानी से हैं। चिकित्सालय में भी उपचार (इलाज) के लिए रुपयों की आवश्यकता का आज अनुभव नहीं किया जाता है। सभी जगह कार्ड के माध्यम से, ई-बैंक के माध्यम से फीस प्रदान कर सकते हैं। 

पठितावबोधनम् प्रश्ना: 

(क) अद्य उपचारार्थं कुत्र रूप्यकाणाम् आवश्यकता नानुभूयते? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) वयं सौकर्येण कस्याः आनन्दं गृह्णीमः? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) अद्य यात्रापत्राणि कुत्र सुरक्षितानि भवन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) ‘प्रदातुम्’ इति पदे कः प्रत्ययः? 
उत्तराणि : 
(क) चिकित्सालये। 
(ख) यात्रायाः। 
(ग) अद्य यात्रापत्राणि चलदूरभाषयन्त्रे ‘ई-मेल’ इति स्थाने सुरक्षितानि भवन्ति । 
(घ) तुमुन्। 

6. तदिनं नातिदूरम् ………………………………… अपि न भविष्यति। 

कठिन-शब्दार्थ :

  • नातिदूरम् = (न + अतिदूरम्) अधिक दूर नहीं। 
  • आदाय = लेकर। 
  • साधयितुम् = सम्पन्न करने के लिए। 
  • वस्त्रपुटके = जेब में। 
  • अन्वेषणार्थम् = खोजने के लिए। 

हिन्दी अनुवाद – वह दिन अधिक दूर नहीं है जब हम हाथ में एकमात्र मोबाइल फोन को लेकर सभी कार्य सम्पन्न करने में समर्थ हो जायेंगे। जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। पासबुक’, ‘चैक्बुक’ इन दोनों की आवश्यकता नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों, समाचार-पत्रों की अनिवार्यता लगभग समाप्त हो जायेगी। लिखने के लिए अभ्यास-पुस्तिका अथवा कागज की, अथवा नवीन ज्ञान को खोजने के लिए शब्दकोश की भी आवश्यकता नहीं होगी। अपरिचित मार्ग (रास्ते) को जानने के लिए मार्गदर्शक मानचित्र की आवश्यकता का अनुभव भी नहीं होगा। 

पठितावबोधनम् प्रश्नाः 

(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ख) वस्त्रपुटके केषाम् आवश्यकता न भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कस्य ज्ञानार्थं मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकता न भविष्यति? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) वयं हस्ते किम् आदाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(ङ) ‘ज्ञानम्’ इत्यस्य विशेषणपदं किं प्रयुक्तम्? 
(च) ‘आदाय’ इति पदे कः प्रत्ययः? 
उत्तराणि : 
(क) चलदूरभाषयन्त्रम्। 
(ख) रूप्यकाणाम्। 
(ग) अपरिचित-मार्गस्य। 
(घ) वयं हस्ते चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः। 
(ङ) नूतनम्। 
(च) ल्यप्। 

7. एतत् सर्वं …………………………….. द्रुतगत्या अग्रेसरामः। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • शाकादिक्रयार्थम् = शाक (सब्जियाँ) खरीदने के लिए। 
  • कक्षम् = कमरा। 
  • अलम् = पर्याप्त।
  • अग्रेसरामः = आगे बढ़ रहे हैं। 

हिन्दी अनुवाद – यह सब एक ही यन्त्र (मोबाइल फोन) से कर सकते हैं। शाक (सब्जियाँ) खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामघरों (गैस्ट हाऊस) में कमरा सुनिश्चित (बुक) करने के लिए, अस्पताल में फीस देने के लिए, विद्यालय और महाविद्यालय में भी शुल्क देने के लिए, अधिक क्या, दान देने के लिए भी मोबाइल फोन ही पर्याप्त है। ‘डिजिटल भारत’ इस दिशा में हम भारतीय तीव्र गति से आगे बढ़ रहे हैं। 

पठितावबोधनम् प्रश्ना :

(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्? 
(ख) अद्य केन यन्त्रेण सर्वं कर्तुम् शक्यते? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) वयं भारतीयाः ‘डिजीभारतम्’ इति दिशि कया गत्या अग्रेसरामः? (एकपदेन उत्तरत) 
(घ) अद्य विविधशुल्कं दानं चदातुं किम् अलम्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) “अस्यां दिशि वयं भारतीयाः”-इत्यत्र ‘अस्याम्’ पदस्य विशेष्यपदं किम्?
(च) ‘चापि’ इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत। 
उत्तराणि : 
(क) डिजीभारतम्। 
(ख) चलदूरभाषयन्त्रेण। 
(ग) द्रुतगत्या। 
(घ) अद्य विविधशुल्कं दानं च दातुं चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्।
(ङ) दिशि। 
(च) च + अपि। 
(ग) केषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत्? 

पाठ्यपुस्तक प्रश्न और उत्तर

1. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक पद में लिखिए)

(क) कुत्र ‘डिजिटल इण्डिया’ इत्यस्य चर्चा भवति?
उत्तराणि:
सम्पूर्णविश्वे

(ख) केन सह मानवस्य आवश्यकता परिवर्तते?
उत्तराणि:
कालपरिवर्तनेन

(ग) आपणे वस्तूनां क्रयसमये केषाम् अनिवार्यता न भविष्यति?
उत्तराणि:
रूप्यकाणाम्

(घ) कस्मिन् उद्योगे वृक्षाः उपयुज्यन्ते?
उत्तराणि:
कर्गदोद्योगे

(ङ) अद्य सर्वाणि कार्याणि केन साधितानि भवन्ति?
उत्तराणि:
संगणकयन्त्रेण

2. अधोलिखितान् प्रश्नान् पूर्णवाक्येन उत्तरत
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्णवाक्य में लिखिए)

(क) प्राचीनकाले विद्या कथं गृह्यते स्म?
उत्तराणि:
(क) प्राचीनकाले विद्या मुखेन गृह्यते स्म।

(ख) वृक्षाणां कर्तनं कथं न्यूनतां यास्यति?
उत्तराणि:
वृक्षाणां कर्तनं संगणकस्य प्रयोगेण न्यूनतां यास्यति।

(ग) चिकित्सालये कस्य आवश्यकता अद्य नानुभूयते?
उत्तराणि:
चिकित्सालये रूप्यकाणाम् आवश्यकता अद्य नानुभूयते।

(घ) वयम् कस्यां दिशि अग्रेसरामः?
उत्तराणि:
वयम् ‘डिजीभारतम्’ इति दिशि अग्रेसरामः।

(ङ) वस्त्रपुटके केषाम् आवश्यकता न भविष्यति?
उत्तराणि:
वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति।

3. रेखांकितपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित पदों के लिए प्रश्न निर्माण कीजिए)

(क) भोजपत्रोपरि लेखनम् आरब्धम्।
उत्तराणि:
भोजपत्रोपरि किं आरब्धम्?

(ख) लेखनार्थम् कर्गदस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः न भविष्यति।
उत्तराणि:
लेखनार्थम् कस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः न भविष्यति?

(ग) विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं भवेत्।
उत्तराणि:
कुत्र कक्षं सुनिश्चितं भवेत्?

(घ) सर्वाणि पत्राणि चलदूरभाषयन्त्रे सुरक्षितानि भवन्ति।
उत्तराणि:
सर्वाणि पत्राणि कस्मिन् सुरक्षितानि भवन्ति?

(ङ) वयम् उपचारार्थम् चिकित्सालयं गच्छामः।
उत्तराणि:
वयम् किमर्थम् चिकित्सालयं गच्छामः?

4. उदाहरणमनुसृत्य विशेषण विशेष्यमेलनं कुरुत
(उदाहरण के अनुसार विशेषण और विशेष्य को मिलाइए)

यथा- विशेषण – विशेष्य
संपूर्णे – भारते
(क) मौखिकम् – (1) ज्ञानम्
(ख) मनोगताः – (2) उपकारः
(ग) टङ्किता – (3) काले
(घ) महान् – (4) विनिमयः –
(ङ) मुद्राविहीनः – (5) कार्याणि
उत्तरम्-
संपूर्णे – भारते
(क) मौखिकम् – (1) ज्ञानम्
(ख) मनोगताः – (2) कार्याणि
(ग) टङ्किता – (3) काले
(घ) महान् – (4) उपकारः
(ङ) मुद्राविहीनः – (5) विनिमयः

5. अधोलिखितपदयोः सन्धिं कृत्वा लिखत
(निम्नलिखित पदों के लिए संधि करके लिखिए)

पदस्य + अस्य
उत्तराणि:
पदस्य + अस्य = पदस्यास्य।

तालपत्र + उपरि
उत्तराणि:
तालपत्र + उपरि = तालपत्रोपरि।

च + अतिष्ठत
उत्तराणि:
च + अतिष्ठत = चातिष्ठत्।

कर्गद + उद्योगे
उत्तराणि:
कर्गद + उद्योगे = कर्गदोद्योगे।

क्रय + अर्थम्
उत्तराणि:
क्रय + अर्थम् = क्रयार्थम्।

इति + अनयोः
उत्तराणि:
इति + अनयोः = इत्यनयोः।

उपचार + अर्थम्
उत्तराणि:
उपचार + अर्थम् = उपचारार्थम्।

6. उदाहरणमनुसृत्य अधोलिखितेन पदेन लघु वाक्य निर्माणं कुरुत –
(उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित पदों से लघु वाक्यों का निर्माण कीजिए)

यथा- जिज्ञासा – मम मनसि वैज्ञानिकानां विषये जिज्ञासा अस्ति।

(क) आवश्यकता – …………………
उत्तराणि:
(क) आवश्यकता-अद्यत्वे लेखनार्थं कर्गदस्य आवश्यकता नास्ति।

(ख) सामग्री – …………………
उत्तराणि:
सामग्री-लेखनसामग्री वृक्षाणां वल्कलेन निर्मीयते।

(ग) पर्यावरण सुरक्षा – …………………
उत्तराणि:
पर्यावरण सुरक्षा-पर्यावरण सुरक्षा अस्माभिः कर्त्तव्या।

(घ) विश्रामगृहम् – …………………
उत्तराणि:
(घ) विश्रामगृहम्-नगरे विश्रामगृहम् अस्ति।

7. उदाहरणानुसारम् कोष्ठकप्रदत्तेषु पदेषु चतुर्थी प्रयुज्य रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत –
(कोष्ठक से शब्द छाँटकर चतुर्थ विभक्ति से रिक्तस्थान पूर्ति कीजिए)

यथा- भिक्षुकाय धनं ददातु। (भिक्षुक)

(क) ……… पुस्तकं देहि। (छात्र)
उत्तराणि:
छात्राय पुस्तकं देहि।

(ख) अहम् …………….. वस्त्राणि ददामि। (निर्धन)
उत्तराणि:
अहम् निर्धनाय वस्त्राणि ददामि।

(ग) ……….. पठनं रोचते। (लता)
उत्तराणि:
लतायै पठनं रोचते।

(घ) रमेशः ……… अलम्। (सुरेश)
उत्तराणि:
रमेशः सुरेशाय अलम्।

(ङ) ………….. नमः। (अध्यापक)
उत्तराणि:
अध्यापकाय नमः।

अतिरिक्त महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि निर्देशानुसारं लिखत –

(क) अद्य सम्पूर्णविश्वे “डिजिटलइण्डिया” इत्यस्य चर्चा श्रूयते। अस्य पदस्य कः भावः इति मनसि
जिज्ञासा उत्पद्यते। कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्तते। प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म। अनन्तरं तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि च लेखनकार्यम् आरब्धम्।

I. एकपदेन उत्तरत –

(i) मनसि का उत्पद्यते?
उत्तराणि:
जिज्ञासा।

(ii) लेखनकार्यं कुत्र आरब्धम्?
उत्तराणि:
पत्रोपरि।

II. पूर्णवाक्येन उत्तरत

(i) प्राचीनकाले विद्या कथं गृह्यते स्म?
उत्तराणि:
प्राचीनकाले विद्या श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म।

(ii) प्राचीनकाले मौखिकं किम् आसीत्?
उत्तराणि:
प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्।

III. निर्देशानुसारम् उत्तरत

(i) ‘मनसि’ इत्यत्र का विभक्तिः ?
(क) तृतीया
(ख) षष्ठी
(ग) सप्तमी
(घ) चतुर्थी।
उत्तराणि:
(ग) सप्तमी

(ii) ‘श्रूयते’ इत्यस्य बहुवचनान्तरूपं लिखत।
(क) श्रूयध्वे
(ख) श्रूयन्ति
(ग) श्रूयन्ते
(घ) श्रूयाम हे।
उत्तराणि:
(ग) श्रूयन्ते

(iii) ‘आवश्यकताऽपि’ इत्यत्र कः सन्धिः?
(क) दीर्घ
(ख) गुण
(ग) यण
(घ) वृद्धि।
उत्तराणि:
(क) दीर्घ

(iv) ‘आरब्धम्’ इत्यत्र कः प्रत्ययः?
(क) धम्
(ख) ब्धम्
(ग) क्त
(घ) त।
उत्तराणि:
(ग) क्त।

रिक्तस्थानस्य पूर्ति कृत्वा भावं स्पष्टीकुरुत – 

(i) कालस्य ………….. सह मानवस्य आवश्यकताऽपि …………
उत्तराणि:
कालस्य परिवर्त्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्त्तते।

(ii) प्राचीनकाले ………. आदान-प्रदानं च ……… आसीत्।
उत्तराणि:
प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं च मौखिकम् आसीत्।

शुद्धकथनं (✓) चिह्नेन, अशुद्धकथनं चिह्नन अङ्कय(क) ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्।

(i) ज्ञानस्य आदान-प्रदानं वाण्या भवति स्म।
(ii) ज्ञानस्य आदान-प्रदानं लेखनेन भवति स्म।
उत्तराणि:
(i) ज्ञानस्य आदान-प्रदानं वाण्या भवति स्म। (✓)
(ii) ज्ञानस्य आदान-प्रदानं लेखनेन भवति स्म। (✗)

विपरीतार्थ शब्दान् लिखत ।

शब्दाः विलोमः
प्राचीनकाले ……………….
आसीत् ……………….
आवश्यकता ……………….
सुरक्षिता ……………….
उपयोगेन ……………….
न्यूनता ……………….
उत्तराणि:
शब्दाः – विलोमः
प्राचीनकाले – आधुनिककाले
आसीत् – अस्ति
आवश्यकता – अनावश्यकता
सुरक्षिता – असुरक्षिता
उपयोगेन – अनुपयोगेन
न्यूनता – अधिकता

अधोलिखितानां शब्दानां समक्षं दतैरथैः सह मेलनं कुरुत –

शब्दाः – अर्थाः
पदस्य – दातुम्
अनन्तरम् – ज्ञानम्
बहु – तीव्रम्
प्रदातुम् – शब्दस्य
द्रुतम् – पश्चात्
अन्वेषणम् – अनेकम्
उत्तराणि:
शब्दाः – अर्थाः
पदस्य – शब्दस्य
अनन्तरम् – पश्चात्
बहु – अनेकम्
प्रदातुम् – दातुम्
द्रुतम् – तीव्रम्
अन्वेषणम् – ज्ञानम्

अधोलिखितंगद्यांशं पठित्वा प्रश्नानाम् उत्तराणि निर्देशानुसारं लिखत –

कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताऽपि परिवर्तते। प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म्। अनन्तरः तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि च लेखनकार्यम् आरब्धम्। परिवर्तिनि काले कर्गदस्य लेखन्याः च आविष्कारेण सर्वेषामेव मनोगतानां भावानां कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम्।

I. एकपदेन उत्तरत –

(क) प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदान कीदृशमासीत्।
(i) लिखितम्
(ii) मौखिकम्
(iii) दर्शनेन
(iv) श्रवणेन।
उत्तराणि:
(ii) मौखिकम्

(ख) लेखनकार्यं प्राचीनकाले कथम् आरब्धम्?
(i) भूर्जपत्रोपरि
(ii) पाषाणोपरि
(iii) कर्गदोपरि .
(iv) वस्त्रोपरि।
उत्तराणि:
(i) भूर्जपत्रोपरि

II. ‘लेखन्याः’ इत्यत्र का विभक्तिः?
(i) षष्ठी
(ii) तृतीया
(iii) चतुर्थी
(iv) द्वितीया।
उत्तराणि:
(i) षष्ठी

III. ‘कालपरिवर्त्तनेन …… परिवर्त्तते’- इत्यत्र क्रियापदं किम्?
(i) सह
(ii) मानवस्य
(iii) परिवर्तते
(iv) आवश्यकता।
उत्तराणि:
(iv) आवश्यकता।

IV. ‘ज्ञानस्य’ इत्यस्य विपरीतार्थकशब्दं लिखत
(i) दु:खस्य
(ii) अज्ञानस्य
(iii) स्नेहस्य
(iv) शास्त्रस्य।
उत्तराणि:
(ii) अज्ञानस्य

V. ‘भूर्जपत्रम्’ इत्यत्र कः समासः?
(i) कर्मधारय
(ii) बहुव्रीहि
(iii) तत्पुरुष
(iv) अव्ययीभाव।
उत्तराणि:
(iii) तत्पुरुष

VI. ‘सर्वेषाम्’ इत्यस्य एकवचनान्तरूपं लिखत
(i) सर्वे,
(ii) सर्वस्य,
(iii) सर्वेण,
(iv) सर्वेः।
उत्तराणि:
(ii) सर्वस्य,

VII. ‘मानवस्य’ इत्यस्य पर्यायशब्दं लिखत
(i) दानवस्य
(ii) मनुष्यस्य
(iii) देवस्य
(iv) मुनेः।
उत्तराणि:
(ii) मनुष्यस्य

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